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शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

लघु कथा-समय नया -सोच वही



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                                           [फोटो बुक्केट से साभार ]
......शर्मा जी और सब तो ठीक है बस समीर चाहता है कि कनक बिटिया बाल नए फैशन के कटवा ले ......यू नो .....आजकल के लड़के कैसी पत्नी पसंद करते हैं !'' यह कहकर समीर के मामा जी ने फोन काट दिया .शर्मा जी असमंजस में पड़ गए ....आखिर ये कैसी डिमांड है ? शर्मा जी के पास बैठी उनकी पत्नी मिथिलेश बोली ''क्या कह रहे थे भाईसाहब ?' शर्मा जी मुस्कुराते हुए बोले ''मिथिलेश याद है तुम्हे शादी से पहले तुम किरण बेदी टाईप बाल रखती थी और मेरी जिद पर तुमने इन्हें बढा लिया था क्योंकि मै चाहता था कि तुममे लक्ष्मी जी का पूरा रूप दिखे पर .........आज देखो होने वाला दामाद चाहता है कि कनक अपने बाल कटकर छोटे करा ले .......कितने अजीब ख्यालात रखती है नयी पीड़ी !'' मिथिलेश व्यंग्य में मुस्कुराते हुए बोली ''नयी हो या पुरानी पीड़ी चलती तो पुरुष की ही है न !जाती हूँ कनक के पास ;उसे तैयार भी तो करना है बाल छोटे करवाने के लिए .''
                                                  शिखा  कौशिक  
                               [मेरी कहानियां ]

शनिवार, 22 जनवरी 2011

फूल-लघु कथा

सिमरन दो साल के बेटे विभु को लेकर जब से मायके आई थी; उसका मन उचाट था.गगन से जरा सी बात पर बहस ने ही उसे यंहा आने के लिए विवश किया था.यूँ गगन और उसकी 'वैवाहिक रेल' पटरी पर ठीक गति से चल रही थी पर सिमरन के नौकरी की जिद करने पर गगन ने इस रेल में इतनी जोर क़ा ब्रेक लगाया क़ि यह पटरी पर से उतर गई और सिमरन विभु को लेकर मायके आ गयी.सिमरन अपने से निकली तो देखा विभु उस फूल की तरह मुरझा गया था जिसे बगिया से तोड़कर बिना पानी दिए यूँ ही फेंक दिया गया हो.कई बार सिमरन ने मोबाईल उठाकर गगन को फोन मिलाना चाह पर नहीं मिला पाई ये सोचकर क़ि ''उसने क्यों नहीं मिलाया?' मम्मी-पापा व् छोटा भाई उसे समझाने क़ा प्रयास कर हार चुके थे. विभु ने ठीक से खाना भी नहीं खाया था बस पापा के पास ले चलो क़ि जिद लगाये बैठा था.विभु को उदास देखकर आखिर सिमरन ने मोबाईल से गगन क़ा नम्बर मिलाया और बस इतना कहा-''तुम तो फोन करना मत,विभु क़ा भी ध्यान नहीं तुम्हे ?'' गगन ने एक क्षण की चुप्पी के बाद कहा -''सिम्मी मैं शर्मिंदा था......मुझे शब्द नहीं मिल रहे थे...........पर तुम अपने घर क़ा गेट तो खोल दो ........मैं बाहर ही खड़ा हूँ....!''यह सुनते ही सिमरन की आँखों में आंसू आ गए वो विभु को गोद में उठाकर गेट खोलने के लिए बढ़ ली. गेट खोलते ही गगन को देखकर विभु मचल उठा ........पापा.....पापा........'' कहता हुआ गगन की गोद में चला गया.सिमरन ने देखा की आज उसका फूल फिर से खिल उठा था और महक भी रहा था.

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

तमन्ना-एक लघु कथा


तमन्ना-एक लघु कथा

[photo search se sabhar ]
-----कितने रंग है दुनिया में लेकिन तुम तो बस अँधेरे में खो जाना चाहती हो जिसमे केवल काला रंग है .मै तुम्हारे दुःख को जानती हूँ लेकिन इस तरह जीवन को बर्बाद करना तुम्हारी जैसी गुनी लड़की को शोभा देता है क्या ? तमन्ना अपने को संभालो !आज पुनीत से अलग हुए तुम्हे पूरे 6माह हो गए है, लेकिन तुम हो कि ..........' ' नहीं दीदी ऐसी बात नहीं' तमन्ना बीच में ही बोल पड़ी 'ऐसा नहीं की मेरे मन में पुनीत के लिया कोई प्रेम या स्नेह है;वो तो उसी समय समाप्त हो गया था जब वो सीमा को हमारे घर में लाया था;वो घर उसी दिन से मेरे लिए नरक हो गया था' बहुत चाहते हुए भी मै इस हादसे से उबर नहीं पा रही . कुछ नया करने कि सोचती हूँ तो मन में आता है कि कंही इसका अंत भी बुरा न हो ;बस यही सोचकर रुक जाती हूँ ' . पुण्या दीदी बोली ' देखो तमन्ना अगर कुछ करने कि ठान लोगी तो कम से कम इस निराशा के सागर से तो निकल जाओगी .मैंने तुम्हारे लिए अपने कॉलेज की प्रिंसिपल से बात की थी; वो कह रही थी क़िअगले १५ दिन में जब चाहो ज्वाइन कर सकती हो' .तमन्ना ने 'हाँ' में धीरे से गर्दन हिला दी .
अब टीचर की  नौकरी ज्वाइन करे तीन माह बीत चुके थे. पुण्या दीदी से रोज मुलाकात होती . पुण्या दीदी ने बताया क़ि पुनीत का फ़ोन उनके पास आया था . वो तमन्ना से मिलना चाहता था . पुण्या दीदी के समझाने पर तमन्ना ने  उससे मिलने का फैसला किया . पहले पहल तो उस रेस्टोरेंट में बैठे हुए पुनीत को पहचान नहीं पाई तमन्ना .पहले पुनीत बड़ा जचकर रहता था लेकिन आज बढ़ी हुई दाढ़ी ;ढीला ढाला कुरता . पुनीत ने खड़े  हो कर उससे बैठने के लिए  कहा और बोला ''तमन्ना मुझे माफ़ कर दो ;मैंने तुम्हे  बहुत दुःख दिया लेकिन देखो उस नीच औरत ने मेरा क्या हाल कर दिया . प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो अब हम फिर से साथ साथ रहेंगे !' ये सब सुनकर तमन्ना के होठों  पर कडवी मुस्कराहट तैर गयी ;वो बोली 'मिस्टर पुनीत शायद आपको याद  नहीं जब मै आपके घर को छोड़कर आ रही थी ;तब आपने ही कहा था क़ि मुझमे ऐसा कुछ नहीं जो आप जैसे काबिल आदमी की पत्नी में होना चाहिए . आज मै कहती हूँ क़ि आप इस काबिल नहीं रहे जो मै आपको अपना सकूं .'' इतना कहकर तमन्ना अपनी कुर्सी से खडी हो गयी और पर्स कंधे पर डालकर स्वाभिमान के साथ रेस्टोरेंट के बाहर आ गयी .
                                शिखा कौशिक 
                 http://shikhapkaushik.blogspot.com

रविवार, 16 जनवरी 2011

बिजली विभाग पर मुकदमा !

बिजली विभाग पर मुकदमा !

सांयकाल के साढ़े सात बज रहे थे.जून क़ा महीना था.तनु ने भोजन डायनिंग टेबल पर लाकर रखा ही था क़ि बिजली भाग गयी. इनवर्टर दो दिन से ख़राब था.साहिल ने किसी तरह टॉर्च ढूढ़ कर ऑन की और एक मोमबत्ती जला दी.तनु पहले ही पसीने-पसीने हो रही थी.बिजली भागते ही उसका गुस्सा फूट पड़ा--''.....आपसे परसों से कह रही हूँ इनवर्टर ठीक करा दीजिये...लाइट क़ा तो यही है......मैं मरुँ या जियूं आप पर तो फर्क ही नहीं पड़ता .जब कुछ करना ही नहीं था तो शादी क्यों की ?अब ऐसी गर्मी में क्या खाना खाया जायेगा? ''यह कहती हुई तनु बैडरूम की ओर बढ़ ली .साहिल क़ा दिमाग भी गर्मी से भन्ना रहा था. वो ऊँची आवाज में बोला ''तुम्हारा जितना कर दूँ उतना कम .अरे भाई इंसान हूँ दिनभर आफिस में किटकिट और घर पर तुम्हारी बडबड .....'' बैडरूम के द्वार तक पहुची तनु इस बात पर भड़कती हुई बोली ''......अच्छा मैं बड-बड करती रहती हूँ.......ठीक है सुबह ही अपने मायके चली जाती हूँ तभी तुम्हे ....'' तनु अपना वाक्य पूरा करती इससे पहले ही बिजली आ गयी.पंखा चलने से मोमबती बुझ गयी और तनु-साहिल क़ा गुस्सा भी.तनु डायनिंग टेबल की ओर आती हुई बोली ''कहो चली जाऊ ? '' साहिल मुस्कुराता हुआ बोला ''हाँ ! चली जाओ .मैं तो बिजली विभाग पर केस ठोक दूंगा क़ि तुम्हारी वजह से मेरी पत्नी घर छोड़ कर चली गयी............''साहिल के वाक्य पूरा करने से पहले ही बिजली फिर से भाग गयी.इस बार दोनों अँधेरे में जोर से हँस पड़े.तनु हँसते हुए बोली ''लो ठोक ही दो बिजली विभाग पर मुकदमा''.