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गुरुवार, 25 अगस्त 2011

'गुडिया मुझे माफ़ कर देना !''

''गुडिया मुझे माफ़ कर देना !''

[फोटो सर्च से साभार ]

सुधा और दीपक दो दिन की यात्रा के पश्चात्  घर पहुंचें.शाम के पांच  बजने आये थे .फरवरी का  माह था अत: हवाओं में शीतलता बची  हुई थी .दीपक ने घर के किवाड़  खुलवाने को अपने बेटे को आवाज लगाई -''बिट्टू ......बिट्टू ....'' तीन-चार  आवाज पर भी जब किवाड़ नहीं खुले तो सुधा ने भी आवाज लगाना  शुरू कर दिया ''....तानी....तानी....किवाड़ खोलो बेटा .''जब इस पर भी किवाड़ नहीं खुले तो दीपक ने किवाड़ों पर जोर से धक्का मारा और किवाड़ तेजी से खुल गए .दीपक ने बमुश्किल अपने को गिरने से बचाया .''....आखिर कहाँ मर दोनों ?''सुधा आपा खोते हुए बोली .दीपक ने उसे समझाते हुए कहा  '......अरे  गुस्सा क्यों करती हो !यही आस-पड़ोस में गए होंगे कहीं .....तुम देखो जरा....मैं पान का  बीड़ा बंधवाकर अभी वापस आता हूँ .''यह कहकर दीपक घर से बाहर निकल लिया .सुधा ने सारा सामान एक ओर रखा और स्वागत कक्ष  में पहुँच कर देखा वहां कोई नहीं था .वह तानी के कमरे की ओर चल दी .कमरे में पहुँचते ही जो उसने देखा उसके पैरों तले की जमीन खिसक गयी .उसकी सत्रह वर्षीय बेटी तानी बेहोश नग्न अवस्था में लहुलुहान बिस्तर पर पड़ी थी.सारा कमरा इस  बात की गवाही दे रहा था कि तानी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए काफी संघर्ष किया होगा .सुधा के मुंह से चीख निकलने  ही वाली थी कि उसने अपने होंठ भीच लिए .उसने तुरंत कमरा अन्दर से बंद किया और एक चद्दर से तानी का शरीर ढक दिया .पास स्टूल पर रखे पानी के गिलास से पानी ले तानी के मुंह पर छिड़का तो वह कुछ होश में आई और बडबडाने लगी -''..........बिट्टू भैया मुझे छोड़ दो .......छोड़ दो ....मै मम्मी से कह दूँगी  .....''और फिर बेहोश हो गयी .सुधा का दिल जोर से धड़कने लगा .उसने तानी के चेहरे पर धीरे से चपत लगा होश में लाने  का प्रयास किया ''......बेटा उठ ....देख मैं .....मम्मी ....''लगातार सुधा की आँखों से आंसू बहे जा रहे थे .तानी को होश आया तो सुधा से लिपट गयी .....''मम्मी ...मम्मी देखो बिट्टू भैया ने क्या किया ...?''सुधा उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोली ''.......बेटा चुप हो जा .....कुछ नहीं हुआ !'''  तानी को साहस बंधाती हुई सुधा खुद फफक -फफक कर रो पड़ी तभी स्वागत कक्ष से दीपक की आवाज सुनाई दी''....सुधा कहाँ हो तुम /अब तुम भी रल गयी क्या ?...''सुधा तानी को चुप रहने का निर्देश दे स्वागत कक्ष तक किसी प्रकार चलकर आई पर वहां पहुँचते ही उसके पैरों ने जवाब दे दिया और दिल ने भी.गहरी सांस भरते हुए किसी प्रकार बोली -''दीपक....दीपक....बिट्टू ने ....तानी के साथ .....बहुत गन्दा ...कम कर दिया !''यह कहते कहते वह फर्श पर निढाल हो बैठ गयी .दीपक के मुंह से बस इतना निकल पाया ''क्या कह रही हो ?पागल हो गयी हो क्या ?''इतने में बिट्टू बाहर से आता दिखाई दिया .पहले सुधा की नज़र उस पर पड़ी उसने मुंह फेर लिया पर तभी बिजली की तेजी से उठी और बिट्टू के पास पहुँच कर चांटों से उसका मुंह लाल कर दिया .लगातार रोती सुधा को  तभी दीपक ने पीछे हटाया और बिट्टू की गर्दन पकड़ते हुए दीवार के पास सटाकर बोला -''हरामजादे .......अपनी सगी बहन के साथ मुंह काला करते शर्म न आई ?''गर्दन कसी होने के कारण बिट्टू की साँस उखड़ने लगी थी .सुधा ने किसी तरह दीपक के हाथ की पकड़ ढीली करवाई इस प्रयास में उसे भी धक्का लगा .दीपक बिट्टू के मुंह पर  थूकते हुए बोला ''कमीने ...दूर हो जा मेरी नज़रों से '''.दीपक के हाथ गर्दन से हटते ही बिट्टू अपने कमरे की और दौड़ पडा  .दीपक सोफे पर सिर पकड़ कर बैठ गया फिर अचानक कुछ दृढ  निश्चय कर उठ खड़ा हुआ और सुधा से बोला -''....देखो अभी तुम तानी के पास जाओ ...मैं बाज़ार होकर  आता हूँ .''सुधा ने दीपक की आँखों में ऐसा कठोरपन आज तक नहीं देखा था .कुछ भी पूछने की हिम्मत न कर सकी .सुधा चुपचाप तानी के पास चली गयी .थोड़ी देर में दीपक हाथ में एक दूध से भरा गिलास लेकर तानी के कमरे में पहुंचा .तानी का  चेहरा देखकर उसकी आँखों में नमी आई पर तुरंत वही कठोरपन वापस आ गया .सुधा को वो गिलास पकड़ते हुए बोला -''यह तानी को पिला दो इसकी हालत में सुधार  हो जायेगा   '' सुधा ने प्रश्नवाचक नज़रों से दीपक की ओर देखा ....''पिला दो ''कड़क  आदेश  था यह दीपक का     .सुधा   ने कांपते  हाथों  से  वह  गिलास   लेकर तानी   के पास   पहुँच  उसे  बड़े  प्यार  से उठाते  हुए  कहा  -''  तानी  बेटा ! ले  उठ  ये  पी  ले .....सब  ठीक  हो  जायेगा  .''सुधा  के  ममतामय  इन  शब्दों  के आश्वासन   पर  अर्द्ध -चेतनायुक्त  तानी वह सारा  दूध   पी गयी  .और  फिर  .....अगले  दिन   तानी की  चिता  को  आग  देते  हुए  दीपक  मन  ही  मन  माफ़ी  मांग  रहा  था  -''मेरी  गुडिया  मुझे  माफ़  कर  देना  मैं  इसी  तरह  अपने  और  तेरे  गौरव  की  रक्षा  कर सकता  था  !''
                                     शिखा कौशिक

8 टिप्‍पणियां:

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

mera dimaag sanna rah gaya ise padhkar..kaya kasur tha us bechari ka...kaya ladki sirf bhog ki vastu hoti hai...?

Shalini kaushik ने कहा…

आज की एक दुखद सच्चाई को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है आपने..


फ़ोर्ब्स की सूची :कृपया सही करें आकलन

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

लड़की होने के कसूर की इतनी बड़ी सज़ा ...वो भी अपने ही पिता द्वारा ......

Mithilesh dubey ने कहा…

समाज के दुखद पहलू को दर्शाती मार्मिक रचना

अभिषेक मिश्र ने कहा…

शर्मनाक हालात को दर्शाती रचना.

Kapil Sharma ने कहा…

sundar kahani....loved yer blog....thanx for visiting mine :)

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आप बहुत अच्छा लिखती हैं...वाकई


1 ब्लॉग सबका ...

Unknown ने कहा…

behad bhavuk kar dene wali katha.. mai ise apni magzine me prakashit karna chahta hu.. kripya sahyog de(if u want)

shravan shukla
9716687283
panchayat sandesh