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मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

कैसा विरोध प्रदर्शन -लघु कथा



Protesters : lots of furious people protesting (a group of people protesting, protest, demonstrator, protest man, demonstrations, protest, demonstrator, hooligan, fan, protest design, protest poster) Stock Photo

शहर में हुए छोटी बच्ची के साथ बलात्कार के विरोध-प्रदर्शन हेतु विपक्षी  पार्टी ने पाँच-पाँच सौ रूपये में झोपड़-पट्टी में रहने वाले परिवारों की महिलाओं को छह घंटे के लिए किराये पर लिया था . विपक्ष के पार्टी कार्यालय से पार्टी द्वारा वितरित वस्त्र धारण कर व् हाथों में बैनर लेकर , दिए गए नारे लगाते हुए महिलाओं का काफिला सरकार की मुखिया के आवास की ओर बढ़ लिया . तभी उसमे सबसे जोर से नारे लगा रही कार्यकर्ती के मोबाइल की घंटी बजी .उसने सोचा जरूर पांच नंबर के बंगले वाली मोटी का फोन होगा .कह दूँगी आज बच्चा  बीमार है कल को आउंगी . पर कॉल घर से थी .उसने रिसीव करते हुए पूछा -''क्यों किया बबली फून ?'' बबली हकलाते हुए बोली -'' मम्मी वो भाई ने हैण्ड  पम्प पर पानी भरने आई सुमन का दुपट्टा खीचकर खुलेआम उसके साथ छेड़छाड़ कर दी .बहुत पब्लिक इकट्ठी हो गयी है .भाई बहुत पिटेगा आज ! जल्दी आजा मम्मी !'' कार्यकर्ती जोश में बोली -'बबली तू चिंता न कर ...देंखूं कौन हाथ लगावे है मेरे बेटे  को ? ससुरी इस सुमन में धरा क्या है ? मैं दस मिनट में पहुँचरी बबली ..तू घबरावे ना !'' ये कहकर कार्यकर्ती काफिले से अलग होकर अपने इलाके की ओर बढ़ चली !
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

वो एम्.एल.ए. हो गया !!!-लघु कथा

वो एम्.एल.ए. हो गया !!!-लघु कथा


फेसबुक पर अपने मित्र  का फोटो पहचान कर गुप्ता जी गदगद हो गए .फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी मित्तल जी को  . मित्तल  जी भी अपने दोस्त को पहचान गए और फ्रेंड रिक्वेस्ट कन्फर्म कर दी .और फिर  शुरू  हुआ चैट का सिलसिला .गुप्ता जी ने पूछा -'...और मित्तल वहीँ गाँव में हो या कहीं और ?..मित्तल ने बताया -'' ..अरे यार मैं तो गाँव में ही हूँ पर तू तो कनाडा जाकर हमें भूल ही गया और घर-परिवार ठीक तो है ....सत्रह  साल हो गए तुझे गए ...दुनिया ही बदल गयी .अब तो गाँव भी हाईटेक हो गए हैं ससुरे .'' ..मित्तल की इस बात पर ठहाका लगाते हुए गुप्ता जी ने चैट में लिखा -''...हाँ यार... मैं सपरिवार मौज से हूँ यहाँ ..तू बता तेरे दोनों लड़के क्या कर रहें हैं अब ?बड़ा वाला तो बहुत होशियार था पढ़ाई में ..और वो छोटा ..आवारा ...बदमाश !'गुप्ता जी के प्रश्न पर मित्तल ने उत्तर लिखा -'' गुप्ता बड़े वाले ने परचून की दूकान कर रखी है .एम्.ए.बी.एड. तक पढ़ा पर सरकारी नौकरी के लिए रिश्वत के पैसे कहाँ से लाता ?....और वो छोटा ...वो मज़े से है ..वो एम्.एल.ए. हो गया !!!'

शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

''स्वयं निर्णय लो ''-लघु कथा

 

 ''स्वयं निर्णय लो ''-लघु कथा

''जूली बेटा ये क्या पहना है ?''  माँ ने मिनी स्कर्ट-टॉप पहनकर कॉलेज  जाती सत्रह वर्षीय बिटिया को टोकते हुए कहा . ''मॉम आजकल यही फैशन है .कल मैं सलवार कुरता पहनकर गयी तो मेरी सब फ्रेंड्स मुझसे बोली-आज बहन जी बनकर क्यों आई हो ?......हाउ बैकवर्ड लुकिंग ! '' जूली की माँ उसके कंधें पर हाथ रखते हुए बोली -''बेटा जब मैं पढ़ती थी तब मेरे रहन-सहन पर भी मेरे  साथी छात्र-छात्राएं फब्तियां कसा करते थे पर मैंने कभी इसकी परवाह नहीं की क्योंकि तुम्हारी नानी ने मुझे समझाया था कि आधुनिक हम फैशन के कपड़ों से नहीं बल्कि अपनी सोच व् विचारों से बनते हैं .मैंने सदैव मर्यादित वस्त्र धारण किये .अब तुम स्वयं निर्णय लो कि तुम्हे क्या पहनना  चाहिए ?''ये कहकर जूली की  माँ अपना स्टेथोस्कोप लेकर अपने क्लिनिक के लिए निकल गयी !
                              शिखा कौशिक 'नूतन'

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु कथा

 महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु कथा

Rickshaw : UNIDENTIFIED WOMAN IN DUST STORM. SHOT AT AFTERNOON HOURS ON APRIL 05, 2013 IN PATNA, INDIA.

एक राज्य के मुख्य मंत्री महोदय महिला उद्यमियों के कार्यक्रम में महिला -सशक्तिकरण एवं भ्रूण हत्या  मुद्दों पर बोल रहे थे .पूरे कार्यक्रम का प्रसारण राष्ट्रीय चैनल पर घर-घर प्रसारित किया जा रहा था . दो रिक्शावाले भी टी .वी .की एक दुकान के सामने खड़े होकर उनका मनमोहक भाषण सुनने लगे .मुख्यमंत्री जी धाराप्रवाह बोल रहे थे -' निर्णय  में महिलाओं की भागीदारी से ही बदलेगी देश की तकदीर .'' ऐसी  लुभावनी बातें कर उन्होंने उपस्थित सभी महिला उद्यमियों का दिल जीत लिया .दोनों रिक्शावाले भी उनके महान विचारों से प्रभावित हो ताली बजाने  लगे .तभी एक संभ्रांत महिला उनके पास आकर रुकी . सीधे पल्ले की साड़ी पहने ,  सिर ढके , उस महिला ने एक नज़र टी.वी. पर प्रसारित कार्यक्रम पर डाली और फिर ताली बजाते एक रिक्शावाले से पूछा -'' बेटा सरकारी अस्पताल चलोगे ? रिक्शावाला मुस्कुराकर बोला -''क्यों नहीं माँ जी ! आप आराम से बैठ जाइये .'' ये कहकर  उसने उनका हाथ पकड़कर रिक्शा में चढ़कर बैठने में उनकी मदद की और फिर रिक्शा लेकर चल दिया .रिक्शा जब सरकारी अस्पताल पर पहुंची तब वे संभ्रांत महिला रिक्शावाले की मदद से नीचे उतरी और उसको पैसे देते हुए बोली -''बेटा जिस आदमी के भाषण पर तुम ताली बजा रहे थे और जो महिलाओं की निर्णय में भागीदारी की बात कर रहे थे ...वे मेरे पति हैं जिन्होंने अपनी महत्वाकांक्षाओं  के कारण जीवन भर मेरी उपेक्षा की .कभी ये जानने तक की कोशिश नहीं की  कि मैं जिंदा हूँ या मर गयी .अगली बार जब भी उनके भाषण पर ताली बजाने का मन करे तब एक बार इस बीमार अम्मा को याद कर लेना .'' ये कहकर वे अस्पताल की सीढियाँ चढ़कर अन्दर की ओर चल दी और रिक्शावाले ने अपनी हथेलियों को भींचकर मुठ्ठी बना ली 

         शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 10 अप्रैल 2013

नेता जी नहीं डरेंगें-एक राजनैतिक लघु कथा

 
  
गठबंधन की सरकार में मुख्य  समर्थक दल के नेता मीडिया से बात कर रहे थे .एक पत्रकार ने सवाल दागते हुए पूछा-''क्या आपकी पार्टी समर्थन वापस ले रही है ?  '' नेता जी सँभालते हुए बोले ''....नहीं ....बिलकुल नहीं ! हमें सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखना है इसलिए समर्थन जारी रहेगा और फिर आप जानते ही हैं किस तरह हमारे जैसे ही एक दल द्वारा पिछले दिनों  सरकार से समर्थन वापस लेने पर उसके यहाँ ख़ुफ़िया एजेंसी का छापा डलवा दिया गया .इससे उस दल पर कोई फर्क नहीं पड़ा और सभी दल जो सरकार को समर्थन दे रहे थे डर गए .मतलब अन्य समर्थक दलों को यह सन्देश दिया गया कि-अगर हमारा साथ नहीं निभाओगे तो तुम्हारा हश्र क्या होगा ?'' तभी नेता जी का मोबाइल बज उठा और वो ऐसे चौंक पड़े जैसे मुख्य ख़ुफ़िया एजेंसी ने उनकी गर्दन दबोच ली हो .नेता जी ने फोन स्विच ऑफ किया और जेब से रूमाल निकालकर पसीनों से तर-ब-तर चेहरा पोंछते  हुए हकलाकर बोले - '' ...मगर हम डरने वाले नहीं हैं ...'' यह सुनकर सभी उपस्थित मीडियाकर्मी व् पत्रकार ठहाका  लगाकर हँस पड़े .

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

एक पुरुष पर विश्वास और बलात्कृत लड़की !-एक लघु कथा









 कोर्ट मैरेज कर  ज्यों  ही पवित्रा व्  प्रभात रजिस्ट्रार ऑफिस से बाहर आये  विभिन्न टी.वी.  चैनलों के संवाददाताओं ने उन्हें घेर लिया .सभी उन्हें बधाई देने लगे .मून चैनल के संवाददाता ने अपने कैमरामैन से कैमरा उन दोनों पर फोकस करने का इशारा करते हुए अपना माइक प्रभात की ओर करते हुए प्रश्न पूछा -'' प्रभात जी एक बलात्कार पीडिता से विवाह कर उसके जीवन में आशा का संचार करने का आत्म विश्वास आपमें कैसे जागा ?'' प्रभात थोड़े सख्त लहजे में बोला -'' आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहलाते हैं पर आप में इतनी भी संवेदना नहीं कि आप एक स्त्री को खुलेआम बार-बार  ''बलात्कार-पीडिता''  कहकर उसकी गरिमा की धज्जियाँ उड़ाते हैं .मेरी पत्नी का नाम पवित्रा है उसे इसी नाम से संबोधित करें और रही बात आत्म विश्वास की तो ये पवित्रा का मुझ पर अहसान है कि उसने एक पुरुष पर विश्वास कर विवाह-निवेदन को स्वीकार किया अन्यथा जंगली कुत्तों के जैसे पुरुषों की दरिंदगी का शिकार होने के बाद कौन लड़की किसी पुरुष पर विश्वास कर सकेगी ?'' यह कहकर  प्रभात ने पवित्रा का हाथ पकड़ा और भीड़ को  चीरता हुआ वहां से निकल लिया !

       शिखा कौशिक 'नूतन '