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सोमवार, 29 जुलाई 2013

बुआ -कहानी

Indian beautiful  female doctor Royalty Free Stock Images
बुआ -कहानी 

बुआ के  साथ रहने का अलग ही आकर्षण था .कहाँ शहर का कोलाहल भरा वातावरण और कहाँ बुआ के गाँव में चारों ओर शांत -सुहाना वातावरण .वैसे तो हम चारों भाई -बहनों को बुआ समान रूप से स्नेह करती क्योंकि हम उनके एकलौते भाई की संतान थे पर मुझ पर बुआ का विशेष स्नेह था क्योंकि मैं सब भाई बहनों में सबसे छोटा था .बुआ ने समाज सेवा का व्रत लिया था इसीलिए एम्.बी.बी.एस. करते ही गाँव  में अपना क्लिनिक खोला था ..पिता जी के तगड़े विरोध के बावजूद .विवाह के लिए भी वे तैयार नहीं हुई थी ...पर ये सब मुद्दे मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते थे क्योंकि मुझे तो माँ से भी बढ़कर बुआ अच्छी लगती थी .बुआ को जब भी फुर्सत मिलती तब शहर हमारे पास अवश्य आती .पिता जी से कम बात होती और हमारे साथ खेलने में ज्यादा मगन रहती .जब भी आती मंजू दीदी व् प्रीती दीदी के लिए उनकी रुचि की चीज़ें लाती और पिंटू भैय्या व् मेरे लिए ढेर सारे खिलौने .मेरे लिए मेरी पसंद की चौकलेट व् टॉफी लाना भी बुआ कभी नहीं भूलती थी .धीरे-धीरे बड़े होते हुए मैंने भी बुआ की तरह डॉक्टर बनने का निश्चय किया .बुआ के मार्गदर्शन से मैंने हर बार अच्छे अंको से हर परीक्षा उत्तीर्ण की . एम्.बी.बी.एस. कर लेने के बाद मेरे सामने धर्म-संकट खड़ा हो गया .बुआ की इच्छा से मैं भली-भांति परिचित   था कि मैं गाँव उनके पास रहकर उनके क्लिनिक  को ज्वाइन करूँ पर घर की  आर्थिक  स्थिति व् जवान हुई बहनों के विवाह की  चिंता के कारण मेरा लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाकर पिता जी को सहारा देना बन गया था .बुआ से सलाह व् समर्थन लेना चाहता था . लेकिन पिता जी ने पहले ही फैसला सुना दिया और कड़े स्वर में कहा -'' दिनेश मैंने तुम्हारे लिए क्लिनिक का इंतजाम यही शहर में कर दिया है ..यही रहो और उन्नति करो .''बुआ पिता जी के इस निर्णय से बहुत नाराज़ हुई क्योंकि इसके बाद उनका हमारे पास आना-जाना लगभग बंद हो गया और फोन द्वारा  भी संपर्क टूट गया .पिंटू भैय्या ने रेडीमेट गारमेंट्स की  दुकान कर ली थी और मैंने चिकित्सा की .हाँ ! यही लगा था मुझे बुआ के अनुसार गाँव न जाकर शहर में क्लिनिक पर पहली बार जाते हुए .जैसी की पिता जी को उम्मीद थी मैं उतनी ज्यादा कमाई इस पेशे से नहीं कर पाता था क्योंकि मैं अपने मरीजों को लूट नहीं सकता था .मंजू दीदी व् प्रीती दीदी की  शादी में भी बुआ नहीं आई .दोनों बार मनी ऑडर द्वारा शुभकामनायें प्रेषित कर दी .पिता जी भी अपने जिद्दी स्वभाव के कारण उन्हें मनाने नहीं गए गाँव . मैं भी इतना व्यस्त रहता था कि बुआ के पास जाने के लिए समय नहीं निकाल पाता था ...सच कहूं तो उनके पास जाने की  हिम्मत ही नहीं थी .पिंटू भैय्या के विवाह के अवसर पर मैंने डायरी से बुआ का पोस्टल एड्रेस निकाल कर विशेष आग्रह के साथ ''जरूर आना है '' की  विनती भरी चिट्ठी लिखी .चिट्ठी का जवाब तो आया लेकिन पिंटू  भैय्या की  शादी हो जाने के बाद .बुआ ने लिखा कि वे व्यस्त रहती हैं अत: आ नहीं पाती .मैं जानता था उनकी व्यस्तता  .मैंने  निश्चय किया कि इस रविवार को बुआ के पास जरूर जाऊंगा .पिता जी भी चाहते थे कि बुआ की  नाराज़गी दूर हो जाये .मैं रविवार को सुबह साढ़े छह बजे की  बस पकड़कर उनके गाँव के लिए रवाना हो लिया .रास्ते भर बस यही सोचता रहा कि बुआ क्या अब भी उतने प्यार से मुझसे मिलेगी जबकि मैंने उनका दिल तोडा है ? उन्होंने  मुझे डॉक्टर बनाने के लए कितनी भाग-दौड़ की और मैंने डॉक्टर बनते ही उनके सपने चकनाचूर कर दिए .कितनी उत्साहित थी वे मेरे डॉक्टरी की  ओर बढ़ते क़दमों को देखकर .उत्साहित होकर कहती -'' अब मेरी क्लिनिक में एक और काबिल डॉक्टर आ जायेगा .कितनी ही अनमोल जान बचाई जा सकेगी जो यहाँ चिकित्सकों की कमी के कारण चली जाती हैं .''पूरे साढ़े तीन साल हो गए थे बुआ से ना मिले .बस रुकी , मैंने अपना बैग कंधें पर  टांगा  व्  ब्रीफकेस  उठाकर बुआ के  क्लिनिक की ओर चल दिया क्योंकि मैं जानता था कि वे वही होंगी .रास्ता मेरा जाना-पहचाना था .हजारो बार बुआ के साथ उनके क्लिनिक पर गया था मैं .बुआ के क्लिनिक पर पर पहुँचते ही पाया कि ये अब तक वैसा का वैसा ही है .बुआ मुझे देखते ही खड़ी हो गयी और विस्मित होकर बोली -'' अरे ....दिनेश तुम ?'' मैंने आगे बढ़कर चरण स्पर्श करते हुए कहा -'' बुआ दिनेश कहकर पराया मत करो मैं तो आपका गुड्डू हूँ ...वही छोटा सा गुड्डू .'' बुआ की आँख भर आई आंसू पोछते हुए बोली -'' हाँ हाँ ..मेरा गुड्डू !! '' वे मुझे घर ले गयी .फ्रेश होने के बाद मैंने बुआ से पूछा -'' बुआ अब भी नाराज़ हो मुझसे ?'' बुआ मुस्कुराई और बोली -'' अरे अपने बच्चों से कोई नाराज़ होता है ?..लेकिन हाँ  मैंने तुम्हे इसलिए डॉक्टर नहीं बनाया था कि तुम  इसे एक व्यवसाय बनाओ ...मैं चाहती थी तुम मेरे इस क्लिनिक को संभालो और इस पेशे को पूजा का सम्मान दो .मेरे इस क्लिनिक से भी इतना पैसा तो मेरे पास आ ही जाता है जिससे मैं ठीक से खा-पहन सकूं और सेवा कार्य भी कर सकूं .लेकिन तुमने भैय्या की .....चलो वैसे भी मेरा कौन सा अधिकार है तुम पर जो तुम मेरे कहे अनुसार चलते ?''मैं भावुक हो उठा और बोल -'' बुआ ..प्लीज़ ऐसा मत कहो .मैं इस बार जाकर पिता जी से साफ कह दूंगा कि मुझे आपके पास यही रहकर सेवा कार्य करना है .'' बुआ ने मुझे गले से लगा लिया .शहर पहुंचकर मैंने पिता जी को अपना निश्चय सुना दिया और यह भी बता दिया कि मैं और अपनी आत्मा के साथ धोखा नहीं कर सकता .पिता जी शायद बुआ के अहसानों के कारण इस बार ना नहीं कर पाए .अब जब बुआ इस दुनिया में नहीं हैं तब उनके क्लिनिक में बैठा हुआ मैं अक्सर सोचा करता हूँ कि मैंने वो निर्णय लेकर कितना सही कदम उठाया था .

शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 28 जुलाई 2013

इत्मिनान की साँस -short story

Brother_sister : Two smiling little kids hugging each other, isolated on white
इत्मिनान की साँस -short story
सर्वाधिकार सुरक्षित
  

''सौम्या   कहाँ है ?'' रमेश ने सुमन को कड़कदार आवाज़ लगाते हुए पूछा .सुमन आटा मांडना  बीच में छोड़कर हडबडाती हुई  रसोईघर से निकलते   हुए ड्राइंग रूम में प्रवेश करते हुए बोली -'' आती ही होगी ...मार्किट गयी है ...अभी शाम के साढ़े पांच ही तो बजे हैं !'' रमेश उबलता हुआ बोला -'' पांच बजे या चार ...लड़की का ज्यादा देर घर से बाहर रहना ठीक नहीं .....दिल्ली  तक में बुरा हाल है ..यहाँ के माहौल का क्या कहना ...?'' सुमन रमेश को ठंडा करते हुए बोली -'' चिंता मत करो छोटू गया है उसके साथ .'' रमेश इत्मिनान की साँस   लेता  हुआ बोला '...सौम्या की माँ तू भी पगली है ...ये बात पहले बतानी चाहिए थी ...चलो ठीक है !'' ये कहकर रमेश निश्चिन्त होकर देवी माँ के संध्या-वंदन की तैयारी में जुट गया .

शिखा कौशिक 'नूतन '

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

फेकबुक का जाल ..जरा संभाल -लघु कथा

Two teenage girls Stock Photography
फेकबुक का जाल ..जरा संभाल -लघु कथा 

''श्रुति कहाँ जा रही है इतना सज-संवर  कर ? स्नेहा ने उतावली में घर से निकलती अपनी सोलह वर्षीय छोटी बहन को टोका .श्रुति मुंह बनाते हुए बोली -''दीदी ......टोका मत करो !....मैं अपनी एक सहेली के यहाँ जा रही हूँ .''  ''इतना सज-धजकर ?'' स्नेहा ने व्यंग्य की पिचकारी श्रुति के झूठे मुंह पर दे मारी .इस बार श्रुति ने सैंडिल पहना पैर पटका और घर से तेजी से निकल ली स्नेहा को आँख दिखाती हुई .स्कूटी से सागर होटल पहुंचकर श्रुति ने मोबाइल से एस.एम्.एस. किया -''मैं पहुँच गयी हूँ रोहित .'' दूसरी तरफ से एस.एम्.एस. आया -'' ठीक है दूसरी  मंजिल पर बारह नंबर के रूम में पहुँच जाओ ....स्वीट हार्ट !'' फेसबुक पर दोस्त बने रोहित से श्रुति की बातचीत एस.एम्.एस. के जरिये ही होती थी . श्रुति ने मोबाइल पर्स में रखा और सीढियाँ चढ़ते  हुए   बारह नंबर के रूम की ओर चल दी .रूम पर पहुँचते ही श्रुति ने डोर खटखटाया तो डोर खुला हुआ ही था .श्रुति अन्दर घुस गयी तभी डोर जोर से बंद हुआ .श्रुति ने पीछे मुड़कर देखा अरे ये तो स्नेहा थी .स्नेहा ने आगे बढ़कर श्रुति के चेहरे पर जोरदार तमाचा जड़ दिया और बिफरते हुए बोली -''कितनी बार समझाया था  तुझे फेसबुक पर फेक एकाउंट  बनाकर लड़कियों को फंसाते हैं बदमाश  .ये तो मैं तेरी हर गतिविधि पर नज़र रख रही थी इसलिए सबक सिखाने को रोहित नाम से फेक एकाउंट बनाया .नया सिम ख़रीदा और मीठी मीठी चैटिंग कर तुझे आसानी से फंसा लिया .सोच अगर  आज  कोई  और रूम में घुसते  ही ये डोर बंदकर तेरी इज्ज़त तार-तार कर देता तो तू क्या करती ?घबरायी श्रुति स्नेहा से लिपट गयी और उसकी आँखों से आंसुओं की धारा बह निकली .
                            शिखा कौशिक 'नूतन '

सोमवार, 22 जुलाई 2013

इब है कहाँ जातिवाद !!!-लघु कथा

इब है कहाँ जातिवाद !!!-लघु कथा
Unity : pattern of the palms of hot colors
इब है कहाँ जातिवाद !!!-लघु कथा
 सर्वाधिकार सुरक्षित 

''जातिवाद भारतीय समाज के लिए जहर है ''इस विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जाना था . संगोष्ठी आयोजक महोदय ने अपने कार्यकर्ताओं को पास बुलाया और निर्देश देते हुए बोले -'' देखो . . वो सफाई वाला है न . . अरे वो चूड़ा . . उससे धर्मशाला की सफाई ठीक से करवा लेना . वो चमार का लौंडा मिले . . अरे वही भूरू का लौंडा .  .  उससे कहना जेनरेटर की व्यवस्था ठीक -ठाक करवा दे . कोने वाली चाय की दुकान वाले सैनी से बोल देना ठीक दो बजे से पहले चाय -समोसा कार्यस्थल पर पहुंचा दे कल को . बामन ,बनियों ,सुनारों ,छिप्पियों इन सबके साइन तू करवा लायो ठाकुर सूचना रजिस्टर में और जैन साहब से कहियो कुर्सियों का इंतजाम करने को . जाट -गुर्जरों को पीछे बैठाने का इंतजाम करियो ओ पंडित ! बहुत हो हल्ला मचावे हैं ये . पानी पिलाने का काम तेरे जिम्मे रहेगा राजपूत .बर्तन माँजने को उस धीमरी . . क्या नाम है ? चल कुछ भी उसे बुला लियो . . . अच्छा और कुछ पूछना हो इभी पूछ लियो . चलो कुछ नी पूछना तमे . ढंग से कर लियो सब इंतजाम . . कहीं मेरा नाम बदनाम करा दो कि चौधरी साब पे इतेक सा काम न  कराया गया छोरों से . मेरी समझ में तो यूँ नी आता ऐसे मुद्दों पर बहस की जरूरत ही क्या है ?इब है कहाँ जातिवाद !!!

शिखा कौशिक ' नूतन'

रविवार, 21 जुलाई 2013

'लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''-SHORT STORY

Cute Kids in Children\'s Costumes


''ए ...अदिति ...कहाँ चली तू ? ढंग से चला -फिरा कर ...बारहवे साल में लग चुकी है तू ...ये ही ढंग रहे तो तुझे ब्याहना मुश्किल हो जायेगा .कूदने -फांदने की उम्र नहीं है तेरी !..अब बड़ी हो गई तू .'' दादी के टोकते ही अदिति उदास होकर वापस घर के अन्दर चली गई .तभी अदिति की मम्मी उसके भाई सोनू  के साथ बाज़ार से शॉपिंग कर लौट आई . सोनू ने आते ही पानी पीने के लिए  काँच का गिलास उठाया और हवा में उछालने लगा .ठीक से लपक न पाने के कारण गिलास फर्श पर गिरा और चकनाचूर हो गया .सोनू पर नाराज़ होती हुई उसकी मम्मी बोली -'' कितना बड़ा हो गया पर अक्ल नहीं आई !'' दादी बीच में ही टोकते हुए बोली -'' ...अरे चुप कर बहू ...एक ही तो बेटा जना है तूने ...उसकी कुछ कदर कर लिया कर ....अभी सत्रहवे में ही तो लगा है ...खेलने -कूदने के दिन है इसके ..अदिति को आवाज़ लगा दे झाड़ू से बुहारकर साफ कर देगी यहाँ से काँच .'' कमरे की चौखट पर खड़ी अदिति दादी की ये बात सुनकर बस इतना ही समझ पाई कि ''लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

कीमती सलाह -लघु कथा

Two Old Indian Man With Colorful Turban Stock Image - Image: 25949511
[कीमती सलाह -लघु कथा [सर्वाधिकार सुरक्षित ]चित्र गूगल से साभार ]

''...और सुनाओ ठाकुर क्या चल रहा है ? लौंडा किसी काम पर लगा या नहीं ?'' सत्तो ने सड़क पर अचानक मिले अपने मित्र से पूछा तो ठाकुर खिसियाता हुआ बोला -'' कहाँ यार ? कुछ सूझ ही नहीं रहा है ....तू बता क्या धंधा जुड़वाऊं ?'' सत्तो दोनों हाथ पीछे बाँधकर तजुर्बेदार बनता हुआ बोला -''..रोड़ी -बदरपुर का काम जोड़ ले ,सीमेंट की एजेंसी ले ले .....भाई अब के नगरपालिका  चुनाव में अपने वार्ड से तेरा जीतना तय  है .जो भी चेयरमैन बने उससे बनाकर रखना ...ठेकेदार का कमीशन पक्का रखना ..बस माल के ऑडर पर ऑडर मिलते जायेंगें तू सप्लाई करता जाना ....सच्ची कहूँ करोड़ों कमावेगा .'' ठाकुर ने सत्तो से हाथ मिलाते हुए कहा -''...सच यार ..दूर की कौड़ी ढूंढ लाया है तू तो ..शुक्रिया !

शिखा कौशिक 'नूतन '

मंगलवार, 16 जुलाई 2013

'' ये एच.एम् क्या है ?''लघु कथा

Unity : Unity of India Stock Photo
'' ये एच.एम् क्या है ?''लघु कथा
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रात के आठ बजे 'चोर..चोर..चोर ' का शोर सुनते ही गली के सभी लोग घरों से बाहर निकल आये .शर्मा जी ने एक किशोर का कॉलर कसकर पकड़ रखा था .शर्मा जी का चेहरा गुस्से से लाल था .अग्रवाल साहब उनके समीप पहुँचते हुए बोले -'' क्या हुआ शर्मा जी ?'' . शर्मा जी भड़कते हुए बोले -'' ये बदमाश मेरे घर में घुसकर एक कोने में छिपा हुआ था .वो तो अचानक मेरी नज़र वहां पड़ गयी वरना ये चोरी कर भाग जाता और हम सिर फोड़ते रह जाते .''शर्मा जी की बात सुनकर एकत्र  हुई भीड़ गुस्से में भर गयी और उस चोर को पीटने के लिए आगे बढ़ी .तभी वो चोर चीखता हुआ बोला -'' ख़बरदार जो मेरे किसी ने हाथ लगाया ...मैं मुसलमान हूँ ...एच.एम्.हो जावेगी !''वर्मा जी ने जैन साहब से धीरे से पूछा -'' ये एच.एम् क्या है ?'' जैन साहब उनके कान में धीरे से बोले -'' अरे भाई हिन्दू-मुस्लिम .''  बढती भीड़ के कदम पीछे हटने लगे तभी भीड़ को चीरते हुए दूसरी गली के जाकिर मियां चोर के पास पहुँच गए और उसके मुंह पर तमाचा लगाते हुए बोले '' क्या कहा तूने एच.एम्. हो जावेगी .चोरी के लिए तो तुझे माफ़  कर देता पर इस घटिया बात के लिए तो तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा !'' जाकिर मिया का गुस्सा देख अग्रवाल साहब व् जैन साहब ने उन्हें बमुश्किल काबू में किया .वर्मा जी ने पुलिस को फोन कर घटना स्थल पर बुला लिया और पुलिस उस चोर को  पकड़कर ले गयी .

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 14 जुलाई 2013

पिल्ले की माँ और सी.एम् साहब -लघु कथा

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पिल्ले की माँ और सी.एम् साहब -लघु कथा 

सी .एम. साहब सुबह की सैर पर ड्राइवर को लेकर अपनी शाही  कार से निकल लिए .ड्राइवर भी सत्ता की नींद से जागा नहीं था .सड़क पर वो दौड़ाई गाड़ी कि गुजरात की अर्थवयवस्था की विकास दर को भी रफ़्तार  में पछाड़ दिया .  सी.एम्. साहब पीछे की सीट पर थे .तभी जोरदार ब्रेक लगाकर ड्राइवर  ने कार रोक दी .सी.एम् साहब भड़ककर बोले -'' क्या  हुआ? क्यों  रोक दी कार ?'' ड्राइवर घबराते हुए बोला -'' साहब एक कुत्ते का पिल्ला सामने आ गया .उतरकर देखना पड़ेगा बचा या नहीं ?'' ड्राइवर कार से निकला तो सी.एम्. साहब भी निकल लिए .दयावान सी.एम्. कोमल ह्रदय के जो है .राज्य में क़त्ल-ए.आम हो जाये तो कोई बात नहीं पर कुत्ते का पिल्ला कार के नीचे आ जाये ये उनके दिल को दुःख पहुंचाता है .बड़े लोगों की बड़ी बड़ी बातें पर कार से ज्यों ही सी.एम्.साहब निकल कर खड़े हुए  पिल्ले की माँ ने उनके पैर में दांत गड़ा दिए .सी.एम्. साहब दर्द से कराहते हुए बोले -'' मैं कार   नहीं चला रहा था .तुम्हारे पिल्ले पर कार इस ड्राइवर ने चढाई है .'' पिल्ले की माँ पिल्ले को चाटते  हुए बोली -'' ओह गलती हो गयी .आपको को काटने का मुझे दुःख तो है पर अफ़सोस नहीं .'' ये कहकर पिल्ले की माँ उसे अपने साथ ले गयी और ड्राइवर सी.एम्.साहब को लेकर अस्पताल के लिए रवाना हो लिया .

शिखा कौशिक 'नूतन '
Sweet dog holding heart with the inscription I love you mom - stock vector

गुरुवार, 11 जुलाई 2013

ऐसी सुहागन से विधवा ही भली .'' -लघु- कथा

ऐसी सुहागन से विधवा  ही  भली .'' -लघु- कथा  
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पति के शव के पास बैठी ,मैली धोती के पल्लू से मुंह ढककर ,छाती पीटती ,गला  फाड़कर चिल्लाती सुमन को बस्ती की अन्य महिलाएं ढाढस  बंधा रही थी  पल्लू के भीतर  सुमन की आँखों से एक  भी  आंसू  नहीं  बह  रहा था  और  उसका दिल  कह  रहा था  -''अच्छा   हुआ हरामजादा ट्रक  के नीचे  कुचलकर मारा  गया  . मैं  मर  मर  कर  घर  घर  काम करके  कमाकर   लाती   और  ये   सूअर   की औलाद  शराब में  उड़ा   देता .मैं  रोकती  तो  लातों -घूसों से  इतनी   कुटाई   करता   कि हड्डी- हड्डी  टीसने  लगती  . जब चाहता  बदन नोचने    लग  जाता  और अब  तो जवान  होती  बेटी  पर भी ख़राब  नज़र  रखने  लगा  था  .कुत्ता  कहीं  का  ....ठीक  टाइम  से  निपट  गया  .ऐसी  सुहागन  से  तो मैं विधवा  ही  भली .'' सुमन  मन  में ये सब सोच  ही  रही  थी  कि  आस  पास  के मर्द  उसके  पति  की  अर्थी  उठाने  लगे  तो सुमन  बेसुध  होकर बड़बड़ाने लगी -  ''   हाय ...इब मैं किसके लिए सजूँ सवरूंगी ......हाय मुझे भी ले चलो ..मैं भी इनकी चिता पर जल मरूंगी ....'' ये कहते कहते वो उठने लगी तो इकठ्ठी  हुई महिलाओं ने उसे कस कर पकड़ लिया .उसने चूड़ी पहनी कलाई ज़मीन पर दे मारी
सारी चूड़ियाँ चकनाचूर हो गयी और सुमन  दिल ही दिल में सुकून   की साँस लेते हुए बोली  -'' तावली ले जाकर फूंक दो इसे ...और बर्दाश्त नहीं कर सकती मैं .''

शिखा कौशिक 'नूतन' 

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

घिनौनी सोच -लघु कथा

Girls Whispering Stock Photo - 18989420
घिनौनी सोच -लघु कथा 


आज  हिंदी की अध्यपिका माधुरी  मैडम स्कूल नहीं आई तो सांतवी की छात्राओं को तीसरे वादन में बातें बनाने  के लिए खाली समय मिल गया .दिव्या सुमन के कान के पास अपना मुंह लाकर धीरे से बोली -'' जानती  है ये जो बिलकुल तेरे बराबर में बैठी हैं ना मीता ...   ..इसकी   मम्मी    हमारे   यहाँ   पखाना   साफ़   करती  हैं .छि: मुझे  तो घिन्न आती है इससे !'' सुमन उसकी  बात  सुनकर  एकाएक  खड़ी  हुई  और  उसका  हाथ  पकड़कर  उसे  कक्षा  से बहार  खींच  कर  बरामदे  में ले  आई और गुस्सा होते हुए बोली - ''कभी खुद किया है पाखाना साफ ? कितना कठिन काम है और जो तुम्हारी गंदगी साफ कर तुम्हे सफाई  में रखता है उससे घिन्न आती है तुम्हे ? सच कहूँ मुझे तुम्हारे विचारों से घिन्न आ रही है .ईट- पत्थर से बना पाखाना तो चलो मीता की मम्मी साफ कर जाती है पर ये जो तुम्हारे दिमाग में बसी गंदगी है इसे कोई साफ नहीं कर सकता .आज से मैं तुम्हारे पास कक्षा में नहीं बैठूँगी !'' ये कहकर सुमन अपनी सीट पलटने के लिए कक्षा में भीतर चली गयी .

शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 7 जुलाई 2013

मीठी मुस्कान-कडवी आलोचना -एक राजनैतिक लघु कथा

Peoples Leader Rahul Gandhi Committed and ensuring progress and development of all sections of society, including the poor, down-trodden, farmers and toiling masses without discriminating on the grounds of caste, creed or religion.
मीठी मुस्कान-कडवी आलोचना -एक राजनैतिक लघु कथा 
 



''भोजन लगा दूं राहुल बेटा ?'' बाबुभाई ने संसदीय क्षेत्र का दौरा करके लौटे राहुल से पूछा .'' नहीं काका ..मैं खाकर आया हूँ ..आपने खा लिया ?'' बाबू भाई इस प्रश्न के उत्तर में प्रश्न करते हुए बोले -'' कभी खाया है तुम्हे खिलाये बिना ? ..पर बेटा तुम कहाँ खाकर आये हो ?'' राहुल ने हाथ में पकडे हुए कागज टेबिल पर पेपर वैट से दबाकर रखते हुए कहा -'' काका क्षेत्र में दौरा करते हुए एक बच्चे ने पूछा -आप हमारे यहाँ चाय पियोगे ...हम छोटी जात के हैं राहुल भैया !'' मैंने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा -न केवल चाय पियूंगा बल्कि खाना भी खाऊंगा ..बस उन्ही के घर खाकर आ रहा हूँ .'' बाबूभाई कुछ चिंतित होते हुए बोले -''बेटा तेरे दिल की धडकन है भारतीय जनता पर कल को देखना अख़बार में तेरे बारे में अनर्गल छपेगा ....विरोधी हंसी उड़ायेगें   ...सच कहूं आग लग जाती है इस सब से !''राहुल अपने खद्दर के कुरते की बांह चढाते   हुए बोले -  '' बाबूभाई उड़ाने दीजिये हंसी ...वो आलोचना कितनी भी कडवी क्यों न हो उस बच्चे के चेहरे पर आई मीठी मुस्कान को देखकर जो मुझे ख़ुशी हुई है उसे कडवा नहीं कर सकती !''

शिखा कौशिक 'नूतन '

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

मिठाई वाले मुंह कडवे हो गए !-एक लघु कथा

                       मिठाई वाले मुंह कडवे हो गए !-एक लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित 

दूसरे गाँव में ठेकेदार के साथ आये मजदूरों ने दिन भर की हाड़तोड़ मेहनत कर लाला जी की नई कोठी के लेंटर का काम निपटाया तो लाला जी ने मिठाई मंगवाकर सबमें  बटवाई .सब  मिठाई खा  ही  रहे  थे  कि ठेकेदार का मोबाइल बजा .ठेकेदार ने कॉल रिसीव की और  मजदूरों में से  मुन्ना  को  ऊँगली  के इशारे  से  बुलाया .पसीने से तर- बतर मुन्ना दायें हाथ में मिठाई पकडे दौड़कर आया .ठेकेदार मोबाईल  उसको पकड़ाते हुए बोला - ''तेरी घरवाली का फोन है .'' मुन्ना ने बाएं हाथ से मोबाइल पकड़ते हुए पूछा-'' के हो गया ...फून क्यूंकर किया तूने ?'' उधर से उसकी घरवाली रोते हुए बोली -'' अजी के बताऊँ ...जिब से तम गए यहाँ सी बारिश चले जा री .. म्हारी कच्ची छत गिर पड़ी ..मैं तो बब्बू को ले के सामने वाले के मकान की दहलीज़ पे बैठी   सी ..किब लो आलोगे तम ?'' घरवाली के पूछने पर मुन्ना बस इतना उत्तर दे पाया -'' तवली आ लूँगा .'' ये कहकर फोन  काट दिया  .ठेकेदार को मोबाइल पकड़ाकर एक बार मुन्ना ने लाला जी के नए लेंटर पर नज़र डाली और अपने मजदूर भाइयों के पास पहुंचा .मजदूर भाइयों के फोन आने का कारण पूछने पर जब उसने अपनी छत   गिरने की बात बताई तो सभी मिठाई वाले मुंह कडवे हो गए !

शिखा कौशिक 'नूतन'