-----कितने रंग है इस दुनिया में लेकिन तुम तो बस अँधेरे में खो जाना चाहती हो जिसमे केवल काला रंग है .मै तुम्हारे दुःख को जानती हूँ लेकिन इस तरह जीवन को बर्बाद करना तुम्हारी जैसी गुणी लड़की को शोभा देता है क्या ? तमन्ना अपने को संभालो !आज पुनीत से अलग हुए तुम्हें पूरे 6माह हो गए है, लेकिन तुम हो कि ..........' ' नहीं दीदी ये बात नहीं'' तमन्ना बीच में ही बोल पड़ी ''ऐसा नहीं कि मेरे मन में पुनीत के लिये कोई प्रेम या स्नेह है;वो तो उसी समय समाप्त हो गया था जब वो सीमा को हमारे घर में लाया था;वो घर उसी दिन से मेरे लिए नरक हो गया था' बहुत चाहते हुए भी मै इस हादसे से उबर नहीं पा रही . कुछ नया करने की सोचती हूँ तो मन में आता है कि कंही इसका अंत भी बुरा न हो ;बस यही सोचकर रुक जाती हूँ ' . पुण्या दीदी बोली 'देखो तमन्ना अगर कुछ करने की ठान लोगी तो कम से कम इस निराशा के सागर से तो निकल जाओगी .मैंने तुम्हारे लिए अपने कॉलेज की प्रिंसिपल से बात की थी; वो कह रही थी क़िअगले १५ दिन में जब चाहो ज्वाइन कर सकती हो' .तमन्ना ने 'हाँ' में धीरे से गर्दन हिला दी .
अब शिक्षिका की नौकरी ज्वाइन करे तीन माह बीत चुके थे. पुण्या दीदी से रोज मुलाकात होती . पुण्या दीदी ने बताया क़ि पुनीत का फ़ोन उनके पास आया था . वो तमन्ना से मिलना चाहता था . पुण्या दीदी के समझाने पर तमन्ना ने उससे मिलने का फैसला किया . पहले पहल तो उस रेस्टोरेंट में बैठे हुए पुनीत को पहचान नहीं पाई तमन्ना .पहले पुनीत बड़ा जचकर रहता था लेकिन आज बढ़ी हुई दाढ़ी ;ढीला ढाला कुरता . पुनीत ने ख़ड़े हो कर उससे बैठने के लिये कहा और बोला ''तमन्ना मुझे माफ़ कर दो ;मैंने तुम्हें बहुत दुःख दिया लेकिन देखो उस नीच औरत ने मेरा क्या हाल कर दिया . प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो अब हम फिर से साथ साथ रहेंगे !' ये सब सुनकर तमन्ना के होठों पर कडवी मुस्कराहट तैर गयी ;वो बोली 'मिस्टर पुनीत शायद आपको याद नहीं जब मै आपके घर को छोड़कर आ रही थी ;तब आपने ही कहा था क़ि मुझमे ऐसा कुछ नहीं जो आप जैसे काबिल आदमी की पत्नी में होना चाहिए . आज मै कहती हूँ क़ि आप इस काबिल नहीं रहे जो मै आपको अपना सकूं .'' इतना कहकर तमन्ना अपनी कुर्सी से खडी हो गयी और पर्स कंधे पर डालकर स्वाभिमान के साथ रेस्टोरेंट के बाहर आ गयी .
शिखा कौशिक 'नूतन '
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