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सोमवार, 22 अगस्त 2022

कर्मों का फेर - लघुकथा

 कर्मों का फेरा 


सफाईकर्मी को कूड़े का ढ़ेर उठाकर ले जाते देखकर पिया का मन बहुत उदास हो उठा. वह सोचने लगी कि - '' आखिर ऐसे भी क्या पूर्वजन्म के कर्म कि मानव को ऐसे कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़े? '' तभी वहां से एक साधु महाराज निकले जो सफाईकर्मी को देखकर मस्त अंदाज में बोले - '' अब करो बेटा काम। पिछले जन्म में बहुत नौकरों के दम पीकर आये हो। पानी तक खुद उठाकर न लेते थे। तुम गंदगी फैलाते नौकर साफ करते। अब वे नौकर साहब बन गये और तुम नौकर। हिसाब बराबर। '' यह कहकर वह साधु ठहाका लगाकर हंस पड़ा और सफाईकर्मी उसे झिड़क कर आगे बढ़ गया। पिया यह सब देखकर सोचने लगी - '' साधु बाबा सच ही तो कह रहे थे। कर्म तो लौट कर आता ही है। मैं तो आज से अपना सारा कार्य स्वयं ही करा करूंगी। ''


(मौलिक रचना - Do not copy)

डॉ शिखा कौशिक नूतन 


शुक्रवार, 17 जून 2022

यथा राजा तथा प्रजा - लघुकथा

 यथा राजा तथा प्रजा - लघुकथा 



राजभवन से निकलते ही प्रजा ने अपने सम्राट को घेर लिया. कुछ प्रजा ज़न अत्यंत भावुक होकर सम्राट के चरणों में गिर कर गिड़गिड़ाने लगे - " महाराज भुखमरी, बढ़ते अपराध, बेरोजगारी के कारण हम बहुत त्रस्त हैं. प्रभु कृपा कीजिए. हमारी रक्षा कीजिए." सम्राट उन सब को आश्वस्त करते हुए बोले - " घबराये नहीं. मैंने मंहगाई, बेरोजगारी, अपराधों पर फिल्म बनाने के निर्देश दे दिए हैं. राष्ट्र हित में हुआ तो उन फ़िल्मों को टैक्स फ्री भी कर दूँगा. ठीक है! " प्रजा यह आश्वासन पाते ही हर्ष मग्न होकर नृत्य करने लगी।

शुक्रवार, 10 जून 2022

नंगी राजनीति - लघुकथा

 


राजनीति किसी इंसान को कैसे दरिन्दा बना देती है? आज और अभी सोलह वर्षीय स्नेहा ने अपनी आंखों से देखा था. नेता जी के समर्थक किस तरह चुनाव में उनका विरोध कर रही दलित बस्ती को तहस नहस कर के गए थे, यह झोपड़ी के कोने में दुबकी वह देखती रही थी पर उसके लहुलुहान पिता ने यह कहकर संतोष की सांस ली थी कि - अच्छा हुआ गुंडों की नज़र जवान बेटियों पर नहीं पड़ी नहीं तो हम नंगे ही हो जाते। "