

ऑपरेशन थियेटर के बाहर खड़े रोहित का दिल जोर जोर से धड़क रहा था .जया के अचानक ही डिलीवरी डेट से दो हफ्ते पहले लेबर पेन उठ जाने के कारण रोहित आनन् फानन में उसे पास के एक नर्सिंग होम में ले आया था .सघन चिकित्सा कक्ष से निकली एक नर्स ने आकर रोहित को तसल्ली देते हुए कहा -''.....आपकी वाइफ और बेबी ठीक है .मुबारक हो आपके घर लक्ष्मी आई है !'' बेटी हुई है सुनकर रोहित थोडा बुझ सा गया .तभी काफी देर से वहीँ उपस्थित एक बुजुर्ग उसके पास आकर बोले -''क्या बेटी के होने से हताश हो ?'' रोहित ने झिझकते हुए कहा -''...नहीं ....नहीं तो '' बुजुर्ग बोले -'' बेटा ऐसा कभी मत करना वरना ये बोझ बनकर जिंदगी भर अपने दिल पर ढ़ोना होगा .मैं भी अपनी बेटी के होने पर ऐसे ही दुखी हो गया था .मेरी पत्नी से मेरा इसी झुंझलाहट में इतना झगडा हुआ कि वो कई महीनों को मायके चली गयी थी .घर वालों के समझाने पर मैं उसे वापस ले आया .समय बीतता गया और मेरी वही बिटिया आज इतनी काबिल है कि लोग पूछते हैं ..''आप डॉ नीरजा के पिता जी हैं !''...तब मेरा सिर गर्व से ऊँचा उठ जाता है पर....फिर अपनी बिटिया के जन्म पर अपने किये व्यवहार को सोचकर दिल पर एक बोझ सा महसूस करता हूँ .बेटा तुम ऐसा कभी मत होने देना .''रोहित ने उन बुजुर्ग के झुककर चरण स्पर्श करते हुए कहा -''.....आप डॉ नीरजा के पिता जी हैं !!!....मतलब जिन्होंने अभी अभी मेरी पत्नी और बच्ची की ऑपरेशन कर जान बचाई है .आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने न केवल मेरी सोच को बदला है बल्कि मुझे मेरी बिटिया के सामने भविष्य में शर्मिंदा होने से भी बचा लिया है .''
शिखा कौशिक
[मेरी कहानियां ]
सलाम मदर इण्डिया को -लघु कथा
'विलास .. .. विलास ' बाइक पर विलास के घर के बाहर कुंदन और किशोर दबी जुबान में आवाज लगा रहे थे .फरवरी के महीने की सुबह के चार बज रहे थे . विलास हल्के क़दमों से हाथ में एक थैला लेकर चुपके से घर से निकल लिया .बाइक पर किशोर के पीछे विलास के बैठते ही कुंदन ने बाइक स्टार्ट कर दी .हवा में उड़ते हुए तीनों एक घंटे में शहर के चौराहे पर पहुँच गए .विलास ने घडी में टाइम देखा .पांच बजने वाले थे .कुंदन बोला -''तैयार रहना विलास आज उन दोनों की सारी हेकड़ी निकाल देंगें .'' तभी सामने से स्कूटी पर आती दो छात्राएं दिखाई दी . उनके थोडा आगे निकलते ही कुंदन ने बाइक उनकी स्कूटी के पीछे दौड़ा दी .सड़क पार होते ही स्कूटी ज्यों ही एक गली में मुड़ी कुंदन ने सुनसान इलाका देख अपनी बाइक की रफ़्तार बढ़ा दी और स्कूटी के आगे जाकर रोक दी .तेज ब्रेक लगाने के कारण स्कूटी का संतुलन बिगड़ा और संभलते संभलते भी भी दोनों छात्राएं सड़क पर गिर पड़ी .विलास तेजी से बाइक से उतरा और थैले में से बोतल निकालकर उनकी ओर बढ़ा .बोतल का ढक्कन खोलकर उसमे भरा द्रव सड़क पर गिरी छात्राओं के चेहरों पर उड़ेल दिया .छात्राओं ने चीखकर अपना मुंह ढक लिया पर ये क्या वहां चारो ओर गुलाब जल की खुशबू फ़ैल गयी .विलास ने हाथ में पकड़ी बोतल के मुंह को नाक के पास लाकर सूंघा ..उसमे से गुलाब जल की ही खुशबू आ रही थी .उसने बोतल को ध्यान से देखा .ये तेजाब वाली बोतल नहीं थी .
तभी किशोर जोर से बोला -''....विलास जल्दी भाग .......पुलिस ...पुलिस पुलिस की जीप आ रही है .विलास के हाथ कांप गए बोतल हाथ से छूटकर वही गिर गयी ..विलास बाइक की ओर दौड़ा तभी गली में एक कार आकर रुकी .विलास पहचान गया ये उनकी ही कार थी .कार का गेट तेजी से खुला और एक महिला उसमे
से बाहर निकली .विलास उन्हें देखते ही बोला .-''..मम्मी आप ...यहाँ ....!!!'' पीछे से आती पुलिस की जीप भी वहां आकर रुकी .महिला ने विलास के पास आकर एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और क्रोध में कांपते हुए बोली -''....मैं तेरी मम्मी नहीं .!!''दौड़कर आते पुलिस के सिपाहियों को देखकर तीनों भागने का प्रयास करने लगे पर विफल रहे .विलास की मम्मी ने फिर उन छात्राओं के पास पहुंचकर उन्हें सहारा देकर खड़ा किया ओर उन्हें अपनी कार से डॉक्टर की क्लिनिक तक पहुँचाया .................फिर एक लम्बी सांस लेकर सोचा -'''अगर मैं विलास की गतिविधियों पर ध्यान न देती और तेजाब की बोतल की जगह थैले में गुलाब जल की बोतल न रखती तो आज उसने तो इन कलियों को झुलसा ही डाला था .
shikha kaushik