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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

लघु कथा -''कुछ खास नहीं है !''

''अरे जाग गए आप ...आज के अखबार में तो आप छाये हुए हैं ...आपको पार्टी ने इस लोकसभा से अपना उम्मीदवार जो बनाया है ..अखबार में पूरे पन्ने पर आपसे सम्बंधित खबरे छपी हैं और ...आपका फोटो भी प्रकाशित हुआ है ...अब उठिए भी ..'' नेहा ने अपने पतिदेव से उत्साहित होते हुए कहा .पतिदेव ऊंघते हुए बोले -''अरे भाई पहले एक कप चाय तो पिलाओ ...दिन बना दिया तुमने तो मेरा !'' पतिदेव के ये कहते ही नेहा दोगुने उत्साह के साथ अख़बार बैड पर पतिदेव के सिरहाने रख चाय बनाने चली गयी . इधर पतिदेव ने लेटे-लेटे ही अखबार उठाया और अपनी खबर व् फोटो देखकर हर्षित हो उठे तभी उन्हें याद आया कि पिछले वर्ष जब नेहा को सर्वश्रेष्ठ साहित्य्कार का सम्मान मिलने की खबर अख़बार में छपी थी तब अख़बार पहले उनके ही हाथ में आया था और वे अपनी पत्नी की बढ़ती लोकप्रियता व् सामाजिक सम्मान से चिढ गए थे .उन्होंने पूरा अखबार देखकर ये कहते हुए एक ओर रख दिया था कि ''आज अखबार में कुछ भी खास नहीं है !''
शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 29 जनवरी 2014

लिबास-कहानी

मंजू ने लम्बी साँस लेते हुए मन में सोचा -''आज सासू माँ की तेरहवीं भी निपट गयी .माँ ने तो केवल इक्कीस साल संभाल कर रखा मुझे पर सासू माँ ने अपने मरते दम तक मेरे सम्मान ,मेरी गरिमा और सबसे बढ़कर मेरी इस देह की पवित्रता की रक्षा की . ससुराल आते ही जब ससुर जी के पांव छूने को झुकी तब आशीर्वाद देते हुए सिर पर से ससुर जी का हाथ पीछे पीठ पर पहुँचते ही सासू माँ ने टोका था उन्हें -'' बिटिया ही समझो ...बहू नहीं हम बिटिया ही लाये हैं जी !''सासू माँ की कड़कती चेतावनी सुनते ही घूंघट में से ही ससुर जी का खिसियाया हुआ चेहरा दिख गया था मुझे . .उस दिन के बाद से जब भी ससुर जी के पांव छुए दूर से ही आशीर्वाद मिलता रहा मुझे .
पतिदेव के खानदानी बड़े भाई जब किसी काम से आकर कुछ दिन हमारे घर में रहे थे तब एक बेटे की माँ बन चुकी थी थी मैं ...पर उस पापी पुरुष की निगाहें मेरी पूरी देह पर ही सरकती रहती .एक दिन सासू माँ ने आखिर चाय का कप पकड़ाते समय मेरी मेरी उँगलियों को छूने का कुप्रयास करते उस पापी को देख ही लिया और आगे बढ़ चाय का कप उससे लेते हुए कहा था -''लल्ला अब चाय खुद के घर जाकर ही पीना ...मेरी बहू सीता है द्रौपदी नहीं जिसे भाई आपस में बाँट लें .'' सासू माँ की फटकार सुन वो पापी पुरुष बोरिया-बिस्तर बांधकर ऐसा भागा कि ससुर जी की तेरहवी तक में नहीं आया और न अब सासू माँ की . चचेरी ननद का ऑपरेशन हुआ तो तीमारदारी को उसके ससुराल जाकर रहना पड़ा कुछ दिन ...अच्छी तरह याद है वहाँ सासू माँ के निर्देश कान में गूंजते रहे -'' ...बचकर रहना बहू ..यूँ तेरा ननदोई संयम वाला है पर है तो मर्द ना ऊपर से उनके अब तक कोई बाल-बच्चा नहीं ...''
आखिरी दिनों में जब सासू माँ ने बिस्तर पकड़ लिया था तब एक दिन बोली थी हौले से -'' बहू जैसे मैंने सहेजा है तुझे तू भी अपनी बहू की छाया बनकर रक्षा करना ..जो मेरी सास मेरी फिकर रखती तो मेरा जेठ मुझे कलंक न लगा पाता .जब मैंने अपनी सास से इस ज्यादती के बारे में कहा था तब वे हाथ जोड़कर बोली थी मेरे आगे कि इज्जत रख ले घर की ..बहू ..चुप रह जा बहू ...तेरी गृहस्थी के साथ साथ जेठ की भी उजड़ जावेगी ..पी जा बहू जहर ..भाई को भाई का दुश्मन न बना ....और मैं पी गयी थी वो जहर ..आज उगला है तेरे सामने बहू !!'' ये कहकर चुप हो गयी थी वे और मैंने उनकी हथेली कसकर पकड़ ली थी मानों वचन दे रही थी उन्हें ''चिंता न करो सासू माँ आपके पोते की बहू मेरे संरक्षण में रहेगी .'' सासू माँ तो आज इस दुनिया में न रही पर सोचती हूँ कि शादी से पहले जो सहेलियां रिश्ता पक्का होने पर मुझे चिढ़ाया करती थी कि -'' जा सासू माँ की सेवा कर ..तेरे पिता जी पर ऐसा घर न ढूँढा गया जहाँ सास न हो '' उन्हें जाकर बताऊँ कि ''सासू माँ तो मेरी देह के लिबास जैसी थी जिसने मेरी देह को ढ़ककर मुझे शर्मिंदा होने से बचाये रखा न केवल दुनिया के सामने बल्कि मेरी खुद की नज़रों में भी .'
शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 27 जनवरी 2014

”..और आग बुझ गयी !”-लघु कथा

''लखन चला गोली ....इस औरत के मज़हब वालों ने ही तेरा घर जला डाला ...तेरे बापू ..तेरी माँ ....सबको जला डाला ....सोच क्या रहा है ....चला गोली ...मार डाल ....!!'' सूरज ने लखन का कन्धा झंझोरते हुए कहा . लखन होश में आते हुए बोला -'' ना सूरज ना ...मैं नहीं चलाऊंगा गोली ...इनमे मुझे मेरी माँ दिखाई दे रही है ...मैं नहीं कर सकता इनका क़त्ल ...!!'' लखन के ये कहते ही सूरज का खून खौल उठा और उसने लखन के हाथ से रिवाल्वर झपटते हुए कहा -'' बकवास मत कर ....कायर ...गद्दार ...तू भी ज़िंदा नहीं बचेगा ...तू ज़िंदा रहने के काबिल नहीं !!'' ये कहते -कहते सूरज ने लखन को निशाना बनाते हुए गोली चला दी पर तभी लखन को अपने पीछे खींचते हुए उस औरत ने गोली के निशाने पर खुद को लाकर खड़ा कर दिया .गोली उस औरत का दिल चीरते हुए आर-पार निकल गयी और वो औरत चीख के साथ ज़मीन पर गिर पड़ी . लखन ने ज़मीन पर बैठते हुए उस औरत का सिर अपनी गोद में रखा और रोते हुए बोला -'' माँ आपने ये क्या किया ?'' उस औरत ने अंतिम सांस के साथ हिचकी लेते हुए कहा -''माँ अपने सामने अपने बेटे को क़त्ल होते कैसे देख लेती भला !'' ये कहते कहते वो औरत हमेशा के लिए शांत हो गयी और शांत हो गयी सूरज के दिल में धधकती हुई साम्प्रदायिकता की आग !!
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

बैडलक या गुडलक -लघु कथा


किशोर वय सागर ने माँ की गोद में सिर रखते हुए कहा -'' माँ कभी -कभी मैं सोचता हूँ कि मैं कितना बद्नसीब हूँ .मेरे जन्म लेने से एक माह पहले ही डैडी की हत्या हो गयी ...हो ना हो मेरे बैडलक के कारण ही ऐसा हुआ !'' विभा सागर के सिर को स्नेह से सहलाते हुए बोली -''नहीं तुम बदनसीब नहीं हो .तुम तो मेरे जीवन की पूँजी हो और अपने डैडी का नवीन छोटा रूप जिसने उनके बाद भी मुझे जीने का लक्ष्य दिया .जिस समय तुम्हारे डैडी माफिआओं से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे यदि तुम उनका अंश मेरी कोख में न होते तो शायद मैं भी आत्म-हत्या कर लेती पर ...तुम ही थे जिसने मुझे इस कायरता से रोक लिया .तुम अपने डैडी की मौत का नहीं मेरे ज़िंदा रहने का कारण हो सागर .तुम मेरा गुडलक हो ...समझे !!'' विभा की आँखें ये कहते कहते भर आयी और सागर भी भावुक हो उठा .
शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 22 जनवरी 2014

मुझे माफ़ कर दो माँ -लघु कथा

mother son people
चौदह वर्षीय रेहान ने डायनिंग टेबिल परभोजन की थाली गुस्से में अपने आगे से सरकाते हुए कहा-'' माँ ..आपने प्रॉमिस किया था कि आज आलू के परांठे बनाओगी और फिर से ये दाल-रोटी बना दी ..मैं नहीं खाऊंगा !!'' ये कहकर वो उठा और घर से बाहर आकर खड़ा हो गया .उसकी माँ ने कई आवाज़ें लगाकर उसे रोकना चाहा पर वो नहीं रुका . बाहर खड़े हुए रेहान की नज़र सड़क किनारे मोची का काम करने वाले एक बच्चे और उसकी अंधी माँ पर पड़ी .रेहान ने देखा वो बच्चा सड़क पर लगे हैंडपम्प से हाथ धोकर एक गिलास पानी भरकर लाया और एक पोटली से रोटी-सब्ज़ी निकालकर पहला निवाला अपनी माँ के मुंह में रखने लगा .अंधी माँ ने हाथ से टटोल कर वो निवाला बच्चे के मुंह में रख दिया तब उस बच्चे ने दूसरा निवाला तोड़कर माँ के मुंह में रख दिया .उस बच्चे का अपनी माँ के प्रति प्यार देखकर रेहान लज्जित हो उठा अपने पर .वो तुरंत वापस घर में गया और डायनिंग टेबिल पर उदास बैठी माँ के चरणों में झुककर माफ़ी मांगते हुए बोला- '' माँ मुझ माफ़ कर दीजिये ...चलिए भोजन करते हैं .'' माँ के स्नेह से सिर पर हाथ रखते ही रेहान की आँखें भर आयी .
शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 19 जनवरी 2014

सीधे गोली मार-लघु कथा

कैंटीन में आमने -सामने बैठे नेहा व् विवेक के चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था कि दोनों एक दुसरे से बहुत नाराज़ हैं .नेहा ने अपना पर्स खोला और उसमे से ''फ्रेंडशिप बैंड' निकाल कर विवेक की ओर बढ़ाते हुए कहा -'मुझे मालूम नहीं था कि तुम और लड़कियों को भी ये फ्रेंडशिप बैंड देते फिरते हो वरना मैं एक सेंकेंड के लिए भी इसे अपनी कलाई पर नहीं पहनती .'' विवेक ने झट से वो बैंड वापस लेते हुए कहा- ''रहने दो ....रहने दो ..सच क्यूँ नहीं कहती किसी और लड़के से फ्रेंडशिप करना चाहती हो ...राहुल से ना ....जाओ जाओ ..मुझे भी किसी की परवाह नहीं .'' नेहा का गुस्सा विवेक की ये बात सुनकर सातवे आसमान पर पहुँच गया .वो बिफरते हुए बोली --'' परवाह नहीं ....माय फुट ...अपने जैसा समझ रखा है क्या ? लेकिन एक बात मैं सच सच कहे देती हूँ जिस दिन भी मुझसे बदला लेने का दिल करे तो सीधे सामने से आकर गोली मार देना ...तेज़ाब मत फेंकना !'' नेहा की इस बात को सुनते ही विवेक सन्न रह गया और नम आँखों के साथ वहाँ से उठकर चलने लगा .नेहा ने तेजी से खड़े होकर उसका हाथ थामते हुए कहा -''सॉरी...कुछ ज्यादा ही बोल गयी मैं ...यू नो आई एम् मैड ...वैसे वो फ्रेंडशिप बैंड वापस मुझे दे दो ...तुम्हे तो लाखों नेहा मिल जाएँगी पर मुझे मेरी कड़वी बातें सहन करने वाला विवेक नहीं मिलेगा .'' नेहा की इस बात पर विवेक की अधरों पर मुस्कान आ गयी पर दिल में नेहा के ये शब्द काँटों की तरह चुभते ही रहे -'' ... मुझसे बदला लेने का दिल करे तो सीधे सामने से आकर गोली मार देना ...तेज़ाब मत फेंकना !'' सच में कुछ सिरफिरों की करनी का दंड सभी लड़कों को ऐसी बातें सुनकर चुकाना पड़ता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

मेरी माँ सबसे अच्छी लघु कथा...

Mother and daughter in the park - stock photo
''मॉम आपको नहीं लगता मैं आपसे ज्यादा लकी हूँ .मैं जो चाहती हूँ पहन सकती हूँ ,घूम-फिर सकती हूँ ,जितना चाहूं पढ़ सकती हूँ .....मुझ पर वे पाबंदियां नहीं जो आपको झेलनी पड़ी !'' किशोरी स्वाति ने सोफे पर बैठी अपनी मॉम के गले में पीछे से आकर बाहें डालते हुए ये सब कहा तो उसकी मॉम ने मुड़कर उसे देखते हुए उत्तर दिया -'' ...पर एक बात में मैं तुमसे हमेशा लकी रहूंगी ...पूछो क्या ?'' स्वाति विस्मित होते हुए बोली -'' वो क्या मॉम ?'' मॉम मुस्कुराती हुई बोली -'' वो ये कि मेरी माँ तुम्हारी मॉम से ज्यादा अच्छी थी .'' स्वाति इंकार में गर्दन हिलाते हुए बोली -'' नो मॉम ...आप दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो ..इस मामले में भी मैं ही आपसे ज्यादा लकी हूँ !'' स्वाति की मॉम उसकी इस बात पर चुटकी लेते हुए बोली -'' इस बात से मैं क्या कोई भी बेटी कभी सहमत नहीं हो सकती ..मेरे लिए मेरी माँ बेस्ट थी और आने वाले समय में जब तुम एक प्यारी सी बेटी की माँ बनोगी तब तुम्हारी बेटी यही कहेगी ...नो मॉम आप दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो ...तब समझ आएगा तुम्हे .'' मॉम की इस बात पर स्वाति शरमा गयी और झुककर माँ के गले लग गयी !''
शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 12 जनवरी 2014

आखिर एक लड़की होकर भी-लघु कथा

सीमा ने कविता को छेड़ते हुए कहा -''तुझे पता भी है तेरा बड़ा भाई सन्नी आजकल रूपा के घर के आस-पास घूमता रहता है .दिया बता रही थी कि उसने रूपा के पास सन्नी के कई प्रेम-पत्र भी देखे हैं .'' कविता सीमा की बात पर कुछ आक्रोशित होते हुए बोली -''नहीं ऐसा नहीं हो सकता ...मेरा भाई तो बहुत भोला है ..जरूर उस चुड़ैल रूपा ने ही कुछ कर के मेरे भाई को फँसाया होगा ....चल मेरे साथ उस रूपा के घर अभी अक्ल ठिकाने लगा कर आती हूँ बेवजह मेरे भाई को बदनाम कर रही है !!!'' ये कहते-कहते कविता तेजी से चल दी तभी दिया का भाई टोनी वहाँ आ पहुंचा और कविता से बोला -'' दीदी ! नमस्ते ....मुझे रूपा दीदी ने भेजा है . उन्होंने आपके लिए एक मैसेज भेजा है .उन्होंने कहा है कि आप अपने भाई सन्नी को समझाएं अन्यथा रूपा दीदी को कोई कड़ा कदम उठाना पड़ेगा ..आपके भाई की वजह से रूपा दीदी ने कॉलेज व् ट्यूशन सब जगह जाना छोड़ दिया है .उनका मानना है कि आप उनकी हमउम्र हैं ..आप उनकी परेशानी को समझेंगी ..वे नहीं चाहती कि उनके पिता जी को इस सब का पता चले वरना मामला पुलिस तक जा सकता है !'' टोनी के ये कहकर वहाँ से जाते ही कविता अपनी सोच पर शर्मिंदा हो उठी .उसके मन में आया -''आखिर एक लड़की होकर भी मैंने अपने भाई की आवारगी के लिए रूपा को दोषी ठहरा दिया .....अब मुझे कुछ करना होगा ...मुझे माँ व् पापा को इस सबके के बारे में बताना ही होगा ....आज पापा से बहुत झड़ेगा भाई !'' ये सोचते सोचते कविता ने अपने कदम रूपा के घर की ओर बढ़ाने की जगह अपने ही घर की ओर बढ़ा दिए और सीमा ने जिस पटाखे को आग लगाई थी वो फुस्स निकल गया .
शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

विवाह के उद्देश्य -लघु कथा

दिसंबर का महीना था .रविवार के दिन अरुण अपने बगीचे में धूप सेंक रहा था . उससे मिलने उसका मित्र अनिल आया तो उसने खड़े होकर उसे गले लगा लिया . स्थानीय विषयों से अंतराष्ट्रीय मुद्दों तक बात करते करते दोनों अपने अपने दादा-परदादा के विषय में बताने लगे .अरुण बोला -'' पता है अनिल ..मेरे दादा जी ने तीन विवाह किये .तीनों बार अलग-अलग उद्देश्य ! पहला विवाह उनका इक्कीस वर्ष की आयु में हुआ जिसका उद्देश्य था वंश -वृद्धि .इस विवाह से उनके मेरे पिता जी समेत पांच पुत्र हुए पर दुर्भाग्यवश पांचवी संतान के प्रसव के समय पहली दादी चल बसी .अब दुधमुहे बच्चे व् अन्य बच्चों की परवरिश कैसे हो इसीलिए घर-बार सँभालने हेतु बत्तीस वर्ष की आयु में दादा जी का दूसरा विवाह हुआ .ये विवाह पैंतीस वर्ष चला .दूसरी दादी से और कोई संतान नहीं हुई पर उन्होंने पिता जी समेत सभी बच्चों को पाल-पोसकर काबिल बनाया और पोते-पोतियों से भरे घर-बार को देखकर आँखें मूँद ली . दूसरी दादी के आँख मूँदते ही दादा जी को पानी का गिलास तक पकड़ाने वाला न रहा कोई . इस बार चिंता घर-बार न होकर दादा जी को खुद को सँभालने की थी .अड़सठ वर्ष की आयु में उन्होंने बेटों के प्रबल विरोध के बावजूद एक नि:संतान पचास वर्षीय विधवा स्त्री से विवाह किया . दोनों का साथ बहुत अच्छा रहा . नब्बे की आयु में चल बसे और कुछ महीने के अंतर पर तीसरी दादी जी भी ....मैं सोचता हूँ अनिल कि क्या पुरुष की तरह किसी महिला को भी अपने पति के मरने पर भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए विवाह का अवसर हमारा समाज इसी तरह प्रदान कर देता ? '' अनिल ने ''ना' में गर्दन हिलाई तो अरुण के अधरों पर व्यंग्यमयी मुस्कान तैर गयी !
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 2 जनवरी 2014

लघु -कथा-रिक्वेस्ट [CONTEST ]

<img src="http://t1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSmO34G6bcUVl9CRunQOj6alEWz8nXju4y0A70dwDhMCsx2uBdX" alt="" />
''सुनो ....'' लेट  नाइट  न्यू  ईयर  पार्टी   अटैंड  कर  सोहा  जैसे  ही  क्लब  से  बाहर  आकर  सड़क  पर  ऑटो  का  इंतजार  करने  लगी उसे पीछे से किसी ने आवाज़ दी . सोहा ने पीछे मुड़कर देखा तो ये साजिद था .साजिद ने सोहा के पास पहुँचते हुए कहा-'' सोहा ...लो तुम मेरी ये जर्सी पहन लो और जल्दी से मेरी बाइक पर  सवार हो जाओ ....कोई सवाल करना हो तो बाद में करना !'' सोहा कुछ समझ नहीं पाई पर अपनी मॉर्डन ड्रेस पर उसे शर्मिंदगी हो आई .कुछ फ्रेंड्स के उकसाने पर सोहा ने ये ड्रेस पहन तो ली थी पर सहज महसूस नहीं कर रही थी .साजिद उसका क्लासमेट बहुत ही शालीन लड़का है ये वो अच्छी तरह जानती थी इसीलिए बिना कोई  सवाल किये उसने साजिद की जर्सी पहन ली और उसकी बाइक पर पीछे बैठ  गयी  .साजिद  ने सोहा के बाइक पर बैठते ही बाइक स्टार्ट की और सोहा के घर  की ओर दौड़ा दी . साजिद ने सोहा के घर के ठीक सामने पहुंचकर बाइक के ब्रेक लगा दिए .सोहा ने बाइक से उतरते  हुए लम्बी सांस ली और बोली -'' अल्लाह ! आज तो तुम मेरी जान ही लेते ...इतनी रफ़्तार से बाइक  दौड़ाई  कि   मेरी  तो   कुल्फी  ही  जम  गयी  !'' सोहा  की  इस  बात पर  साजिद हलके  से मुस्कुराया  और नरम  लहज़े  में बोला -'' सोहा  बुरा मत मानना  ...एक  रिक्वेस्ट  है  तुमसे  ..प्लीज़  कभी  आगे से लेट नाइट पार्टीज़  में मत जाना  और ऐसी  मॉर्डन  ड्रेसेज  मत पहनना ...वो  तो मैं माँ की तबियत अचानक ख़राब हो जाने के कारण फॅमिली   डॉक्टर से दवाई लिखवाकर   मेडिकल स्टोर से दवाई   ले   रहा   था कि कुछ शराबी  लड़कों की बात सुनी .वे कह  रहे थे कि आज क्लब में कई  लड़कियां हैं .उनमे  से ही किसी को मौका लगते ही शिकार बना लेंगें .मैं दवाई  लेकर क्लब के सामने से गुजरा  तो तुम्हे वहाँ खड़ा देखकर  मेरी तो सांसें  ही थम  गयी .....यदि  मैं जल्दी न करता तो वे लड़के न मुझे छोड़ते  और न तुम्हें .'' साजिद की बात सुनकर  सोहा  घबरा गयी और बोली -'' साजिद वहाँ और लड़कियां भी हैं ...कहीं वे उन शराबियों की हवस का शिकार न बन जाएँ !'' साजिद उसे सांत्वना देता हुआ बोला -'' रिलैक्स....मैंने पुलिस को फोन कर इस के बारे में बता दिया था .पुलिस  अब तक वहाँ पहुँच चुकी  होगी ..और हाँ तुम मेरी जर्सी जल्दी से दो  ...घर पर माँ से पिटाई जरूर होगी ..वे सोच रही होंगी कहाँ रह गया ....एक तो वे बीमार और ऊपर  से इतनी  देर  हो  गयी  दवाई ले जाने में .'' सोहा ने जर्सी फटाफट  उतारकर  साजिद  को पकड़ाते  हुए  कहा   -'' मेरी ओर से उनसे माफ़ी मांग लेना ...अल्लाह करे ऐसा नेक बेटा हर माँ को मिले ...थैंक्स !'' ये कहते कहते उसकी आँखों में पानी आ गया .साजिद  ने बाइक स्टार्ट की और '' अल्लाह हाफिज''कर अपने घर की और निकल लिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'