शिखा कौशिक 'नूतन'
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 31 जनवरी 2014
लघु कथा -''कुछ खास नहीं है !''
शिखा कौशिक 'नूतन'
बुधवार, 29 जनवरी 2014
लिबास-कहानी
पतिदेव के खानदानी बड़े भाई जब किसी काम से आकर कुछ दिन हमारे घर में रहे थे तब एक बेटे की माँ बन चुकी थी थी मैं ...पर उस पापी पुरुष की निगाहें मेरी पूरी देह पर ही सरकती रहती .एक दिन सासू माँ ने आखिर चाय का कप पकड़ाते समय मेरी मेरी उँगलियों को छूने का कुप्रयास करते उस पापी को देख ही लिया और आगे बढ़ चाय का कप उससे लेते हुए कहा था -''लल्ला अब चाय खुद के घर जाकर ही पीना ...मेरी बहू सीता है द्रौपदी नहीं जिसे भाई आपस में बाँट लें .'' सासू माँ की फटकार सुन वो पापी पुरुष बोरिया-बिस्तर बांधकर ऐसा भागा कि ससुर जी की तेरहवी तक में नहीं आया और न अब सासू माँ की . चचेरी ननद का ऑपरेशन हुआ तो तीमारदारी को उसके ससुराल जाकर रहना पड़ा कुछ दिन ...अच्छी तरह याद है वहाँ सासू माँ के निर्देश कान में गूंजते रहे -'' ...बचकर रहना बहू ..यूँ तेरा ननदोई संयम वाला है पर है तो मर्द ना ऊपर से उनके अब तक कोई बाल-बच्चा नहीं ...''
आखिरी दिनों में जब सासू माँ ने बिस्तर पकड़ लिया था तब एक दिन बोली थी हौले से -'' बहू जैसे मैंने सहेजा है तुझे तू भी अपनी बहू की छाया बनकर रक्षा करना ..जो मेरी सास मेरी फिकर रखती तो मेरा जेठ मुझे कलंक न लगा पाता .जब मैंने अपनी सास से इस ज्यादती के बारे में कहा था तब वे हाथ जोड़कर बोली थी मेरे आगे कि इज्जत रख ले घर की ..बहू ..चुप रह जा बहू ...तेरी गृहस्थी के साथ साथ जेठ की भी उजड़ जावेगी ..पी जा बहू जहर ..भाई को भाई का दुश्मन न बना ....और मैं पी गयी थी वो जहर ..आज उगला है तेरे सामने बहू !!'' ये कहकर चुप हो गयी थी वे और मैंने उनकी हथेली कसकर पकड़ ली थी मानों वचन दे रही थी उन्हें ''चिंता न करो सासू माँ आपके पोते की बहू मेरे संरक्षण में रहेगी .'' सासू माँ तो आज इस दुनिया में न रही पर सोचती हूँ कि शादी से पहले जो सहेलियां रिश्ता पक्का होने पर मुझे चिढ़ाया करती थी कि -'' जा सासू माँ की सेवा कर ..तेरे पिता जी पर ऐसा घर न ढूँढा गया जहाँ सास न हो '' उन्हें जाकर बताऊँ कि ''सासू माँ तो मेरी देह के लिबास जैसी थी जिसने मेरी देह को ढ़ककर मुझे शर्मिंदा होने से बचाये रखा न केवल दुनिया के सामने बल्कि मेरी खुद की नज़रों में भी .'
शिखा कौशिक 'नूतन'
सोमवार, 27 जनवरी 2014
”..और आग बुझ गयी !”-लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
गुरुवार, 23 जनवरी 2014
बैडलक या गुडलक -लघु कथा
किशोर वय सागर ने माँ की गोद में सिर रखते हुए कहा -'' माँ कभी -कभी मैं सोचता हूँ कि मैं कितना बद्नसीब हूँ .मेरे जन्म लेने से एक माह पहले ही डैडी की हत्या हो गयी ...हो ना हो मेरे बैडलक के कारण ही ऐसा हुआ !'' विभा सागर के सिर को स्नेह से सहलाते हुए बोली -''नहीं तुम बदनसीब नहीं हो .तुम तो मेरे जीवन की पूँजी हो और अपने डैडी का नवीन छोटा रूप जिसने उनके बाद भी मुझे जीने का लक्ष्य दिया .जिस समय तुम्हारे डैडी माफिआओं से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे यदि तुम उनका अंश मेरी कोख में न होते तो शायद मैं भी आत्म-हत्या कर लेती पर ...तुम ही थे जिसने मुझे इस कायरता से रोक लिया .तुम अपने डैडी की मौत का नहीं मेरे ज़िंदा रहने का कारण हो सागर .तुम मेरा गुडलक हो ...समझे !!'' विभा की आँखें ये कहते कहते भर आयी और सागर भी भावुक हो उठा .
शिखा कौशिक 'नूतन'बुधवार, 22 जनवरी 2014
मुझे माफ़ कर दो माँ -लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
रविवार, 19 जनवरी 2014
सीधे गोली मार-लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
गुरुवार, 16 जनवरी 2014
मेरी माँ सबसे अच्छी लघु कथा...
''मॉम आपको नहीं लगता मैं आपसे ज्यादा लकी हूँ .मैं जो चाहती हूँ पहन सकती हूँ ,घूम-फिर सकती हूँ ,जितना चाहूं पढ़ सकती हूँ .....मुझ पर वे पाबंदियां नहीं जो आपको झेलनी पड़ी !'' किशोरी स्वाति ने सोफे पर बैठी अपनी मॉम के गले में पीछे से आकर बाहें डालते हुए ये सब कहा तो उसकी मॉम ने मुड़कर उसे देखते हुए उत्तर दिया -'' ...पर एक बात में मैं तुमसे हमेशा लकी रहूंगी ...पूछो क्या ?'' स्वाति विस्मित होते हुए बोली -'' वो क्या मॉम ?'' मॉम मुस्कुराती हुई बोली -'' वो ये कि मेरी माँ तुम्हारी मॉम से ज्यादा अच्छी थी .'' स्वाति इंकार में गर्दन हिलाते हुए बोली -'' नो मॉम ...आप दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो ..इस मामले में भी मैं ही आपसे ज्यादा लकी हूँ !'' स्वाति की मॉम उसकी इस बात पर चुटकी लेते हुए बोली -'' इस बात से मैं क्या कोई भी बेटी कभी सहमत नहीं हो सकती ..मेरे लिए मेरी माँ बेस्ट थी और आने वाले समय में जब तुम एक प्यारी सी बेटी की माँ बनोगी तब तुम्हारी बेटी यही कहेगी ...नो मॉम आप दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो ...तब समझ आएगा तुम्हे .'' मॉम की इस बात पर स्वाति शरमा गयी और झुककर माँ के गले लग गयी !''
शिखा कौशिक 'नूतन'
रविवार, 12 जनवरी 2014
आखिर एक लड़की होकर भी-लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
शुक्रवार, 10 जनवरी 2014
विवाह के उद्देश्य -लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
गुरुवार, 2 जनवरी 2014
लघु -कथा-रिक्वेस्ट [CONTEST ]
<img src="http://t1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSmO34G6bcUVl9CRunQOj6alEWz8nXju4y0A70dwDhMCsx2uBdX" alt="" />
''सुनो ....'' लेट नाइट न्यू ईयर पार्टी अटैंड कर सोहा जैसे ही क्लब से बाहर आकर सड़क पर ऑटो का इंतजार करने लगी उसे पीछे से किसी ने आवाज़ दी . सोहा ने पीछे मुड़कर देखा तो ये साजिद था .साजिद ने सोहा के पास पहुँचते हुए कहा-'' सोहा ...लो तुम मेरी ये जर्सी पहन लो और जल्दी से मेरी बाइक पर सवार हो जाओ ....कोई सवाल करना हो तो बाद में करना !'' सोहा कुछ समझ नहीं पाई पर अपनी मॉर्डन ड्रेस पर उसे शर्मिंदगी हो आई .कुछ फ्रेंड्स के उकसाने पर सोहा ने ये ड्रेस पहन तो ली थी पर सहज महसूस नहीं कर रही थी .साजिद उसका क्लासमेट बहुत ही शालीन लड़का है ये वो अच्छी तरह जानती थी इसीलिए बिना कोई सवाल किये उसने साजिद की जर्सी पहन ली और उसकी बाइक पर पीछे बैठ गयी .साजिद ने सोहा के बाइक पर बैठते ही बाइक स्टार्ट की और सोहा के घर की ओर दौड़ा दी . साजिद ने सोहा के घर के ठीक सामने पहुंचकर बाइक के ब्रेक लगा दिए .सोहा ने बाइक से उतरते हुए लम्बी सांस ली और बोली -'' अल्लाह ! आज तो तुम मेरी जान ही लेते ...इतनी रफ़्तार से बाइक दौड़ाई कि मेरी तो कुल्फी ही जम गयी !'' सोहा की इस बात पर साजिद हलके से मुस्कुराया और नरम लहज़े में बोला -'' सोहा बुरा मत मानना ...एक रिक्वेस्ट है तुमसे ..प्लीज़ कभी आगे से लेट नाइट पार्टीज़ में मत जाना और ऐसी मॉर्डन ड्रेसेज मत पहनना ...वो तो मैं माँ की तबियत अचानक ख़राब हो जाने के कारण फॅमिली डॉक्टर से दवाई लिखवाकर मेडिकल स्टोर से दवाई ले रहा था कि कुछ शराबी लड़कों की बात सुनी .वे कह रहे थे कि आज क्लब में कई लड़कियां हैं .उनमे से ही किसी को मौका लगते ही शिकार बना लेंगें .मैं दवाई लेकर क्लब के सामने से गुजरा तो तुम्हे वहाँ खड़ा देखकर मेरी तो सांसें ही थम गयी .....यदि मैं जल्दी न करता तो वे लड़के न मुझे छोड़ते और न तुम्हें .'' साजिद की बात सुनकर सोहा घबरा गयी और बोली -'' साजिद वहाँ और लड़कियां भी हैं ...कहीं वे उन शराबियों की हवस का शिकार न बन जाएँ !'' साजिद उसे सांत्वना देता हुआ बोला -'' रिलैक्स....मैंने पुलिस को फोन कर इस के बारे में बता दिया था .पुलिस अब तक वहाँ पहुँच चुकी होगी ..और हाँ तुम मेरी जर्सी जल्दी से दो ...घर पर माँ से पिटाई जरूर होगी ..वे सोच रही होंगी कहाँ रह गया ....एक तो वे बीमार और ऊपर से इतनी देर हो गयी दवाई ले जाने में .'' सोहा ने जर्सी फटाफट उतारकर साजिद को पकड़ाते हुए कहा -'' मेरी ओर से उनसे माफ़ी मांग लेना ...अल्लाह करे ऐसा नेक बेटा हर माँ को मिले ...थैंक्स !'' ये कहते कहते उसकी आँखों में पानी आ गया .साजिद ने बाइक स्टार्ट की और '' अल्लाह हाफिज''कर अपने घर की और निकल लिया .शिखा कौशिक 'नूतन'
सदस्यता लें
संदेश (Atom)