कोई हक़ नहीं -लघु कथा
सोनाक्षी क्या कहती हो -विवाह बेहतर है या लिव इन रिलेशनशिप ? सिद्धांत के बेधड़क पूछे गए सवाल से सोनाक्षी आवाक रह गयी उसने प्रिया की ओर इशारा करते हुए कहा -''प्रिया से ही क्यों नहीं पूछ लेते !''सिद्धांत मुस्कुराता हुआ बोला ''ये सती-सावित्री के युग की है ये तो विवाह का ही पक्ष लेगी पर आज हमारी युवा पीढ़ी जो आजादी चाहती है वो तो लिव-इन रिलेशनशिप में ही है .'' प्रिया ने सिद्धांत को आँख दिखाते हुए कहा -''सिद्धांत मंगनी की अंगूठी अभी उतार कर दूँ या थोड़ी देर बाद ..? इस पर सोनाक्षी ठहाका लगाकर हँस पड़ी और सिद्धांत आसमान की ओर देखने लगा .सोनाक्षी ने प्रिया की उंगली में पड़ी अंगूठी को सराहते हुए कहा ''...वाकई बहुत सुन्दर है !सिद्धांत आज की युवा पीढ़ी की बात तो ठीक है ....आजादी चाहिए पर सोचो यदि हमारे माता-पिता भी लिव-इन -रिलेशनशिप जैसे संबंधों को ढोते तो क्या हम आज गरिमामय जीवन व्यतीत करते और फिर भावी पीढ़ी का ख्याल करो जो बस यह हिसाब ही लगाती रह जाएगी कि हमारे माता पिता कब तक साथ रहे ?हमारा जन्म उसी समय के संबंधो का परिणाम है या नहीं ?हमारे असली माता पिता ये ही हैं या कोई और ?कंही हम अवैध संतान तो नहीं ?....और भी न जाने क्या क्या .....अपनी आजादी के लिए भावी पीढ़ी के भविष्य को बर्बाद करने का तुम्हे या तुम जैसे युवाओं को कोई हक़ नहीं !'' सोनाक्षी के यह कहते ही प्रिया ने सिद्धांत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा -''अब कभी मत पूछना विवाह बेहतर है या लिव-इन-रिलेशनशिप .''सिद्धांत ने मुस्कुराते हुए ''हाँ'' में गर्दन हिला दी .
13 टिप्पणियां:
hamare samaj me liv-in-relation ship ko vaise bhi sthan nahi milna chahiye.bahut sarthak laghu katha.
अच्छी सीख देती कथा..सार्थक.
बहुत सार्थक और समसामयिक रचना..
सही गलत रिलेटिव शब्द हैं...हर जीव अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहता है...इंसान उनसे अलग नहीं है...समाज और उसके नियम हमें सोशल सिक्यूरिटी प्रदान करते हैं...इसलिए ठीक माने जाते हैं...
सामाजिक मर्यादाओं की रक्षा करती , समसामयिक , शिक्षाप्रद और प्रेरक लघु कथा
बेहद सुन्दर, सार्थक और प्रेरक लघु कथा! उम्दा प्रस्तुती!
NICE STORY...
मन पर देर तक प्रभाव छोड़ने में सफल रही कहानी. बधाई.
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना।
लिव-इन की नकली दुनिया से जब तक नई पीढ़ी कुछ सीख लेगी तब तक वह बर्बाद हो जायेगी.
विवाह का कोई विकल्प नहीं है !
जिम्मेदारियों से विचलन है लिव इन, मगर परंपरागत विवाह बंधन में बंधे उन जोड़ों का क्या जो बेमेल रहते हुए, समझौता करते हुए सारी जिंदगी घुट कर गुजार देते हैं, सिर्फ बच्चों के भविष्य के नाम पर ?
awesome......... keep delivering gud msgez.
सुंदर भावपूर्ण रचना।
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