रजत ...आई कॉंट वेट एनी मोर !'' यह कहकर सोनाक्षी ने मोबाईल को स्विच ऑफ कर सोफे पर फेंक दिया .दोपहर से इन्तजार करते-करते अब रात के नौ बजने वाले थे और रजत घर नहीं लौटा था .रजत ने ही मूवी देखने का प्रोग्राम बनाया था और बिजनेस मीटिंग के कारण इतनी देर हो गयी थी .सोनाक्षी ने कपडे बदले और बैडरूम में जाकर सो गयी .रात के साढ़े ग्यारह बजे डोर बैल बजी तो उसकी नींद खुली .उसने मैजिक आई से देखा रजत ही था .डोर खोलते ही रजत का थका चेहरा देखकर वह सारा गुस्सा भूल गयी.रजत बैडरूम में जाते ही जूते उतारकर लेट गया .सोनाक्षी ने उसके माथे पर हाथ लगाकर देखा तो वह तप रहा था .सोनाक्षी ने फैमिली डॉक्टर से फोन पर बात कर घर में रखी दवाइयों में से एक दवाई रजत को दे दी .सुबह होते-होते रजत की तबियत में काफी सुधार आ गया .सोनाक्षी ने रजत को बैड से उठते देखा तो बोली -''अरे..उठ क्यों रहे हो ?आराम से लेटे रहो .आज सब मीटिंग कैंसिल कर दो ..समझे !''रजत थोडा असहमत होता हुआ बोला ''...नहीं सोनू आज तो बहुत जरूरी मीटिंग है ...आज की मीटिंग कैंसिल करूँगा तो सब कुछ खो दूंगा ..''यह कहते हुए रजत उठकर अपना ब्रीफकेस उठा लाया और खोलकर एक गिफ्ट पैक सोनाक्षी की ओर बढ़ा दिया .सोनाक्षी चकित होते हुए बोली ''ये क्या है ?'' ''खुद देखो !'' रजत ने माथे पर आए बाल हटाते हुए कहा .''.....अरे ..इतनी सुन्दर रिंग .....'' ''सिर्फ तुम्हारे लिए ''यह कहते हुए रजत ने सोनाक्षी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ''सॉरी... कल मैंने तुम्हारा दिल दुखाया था न ''.सोनाक्षी ने मुस्कुराते हुए रजत को आँखों ही आँखों में माफ़ करते हुए कहा ''अच्छा तो ये मीटिंग है .ये मीटिंग तो जीवन भर चलनी है....है न .''रजत भी मुस्कुरा दिया .
18 टिप्पणियां:
आज कल तो ऐसा शोर शरावा हो जाए कि रजत क्या आप पास के लोगों की नींद उड जाए। हाहहा. अच्छी लघुकथा.
patni kee samjhdari aur pati ke pyar ne ek ghar tootne se bacha liye varna yahan toot foot kee poori sambhavna thi.sundar laghu katha.
ये तो बच्चे को चॉकलेट से फुसलाने जैसा है...ऐसी मीटिंग रोज़ हुईं तो बहुत खर्चा आएगा...
achhi lagi laghukatha...
Mujhe lagta hai thoda aur aage badh sakti thi kahani wo meeting wali baat ko vertmn parevesh men likhkar aur chitrit kar ke
बढ़िया लघुकथा. अच्छी लगी. सुंदर मनोभाव. बधाई.
सोनाक्षी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ''सॉरी... कल मैंने तुम्हारा दिल दुखाया था न ''.सोनाक्षी ने मुस्कुराते हुए रजत को आँखों ही आँखों में माफ़ करते हुए कहा ''अच्छा तो ये मीटिंग है .ये मीटिंग तो जीवन भर चलनी है....है न .''रजत भी मुस्कुरा दिया .
सुंदर लघु कथा .....!!
बहुत सुन्दर, शानदार और लाजवाब लघुकथा! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
बहुत ही अच्छा लिखा है.....
उम्दा प्रस्तुती!
अच्छी लघु-कथा है ... छोटी छोटी बातें रिश्तों को मजबूत करती हैं ...
achhi rachna shikha jee
sunder laghu katha.............
मेरे ब्लाग पर आपके आगमन का धन्यवाद ।
आपको नाचीज का कहा कुछ अच्छा लगा, उसके लिए हार्दिक आभार
आपका ये ब्लाग भी अच्छा लगा । बधाई
हम्म सब बातों और कार्यों का खेल है.. यही रिश्तों को तोड़ते और जोड़ते हैं.. पर हाँ ज़िन्दगी बहुत जटिल है.. सबकी अलग..
अच्छी प्रस्तुति रही.. और परिपक्वता की आशा है..
Ye to ghoos dene wali bat ho gaee. Par hota yahee hai. paisa hota hai bas samay nahee hota chand shabdon men badi bat kah dali aapne.
kya baat hai...bahut hi achchi laghukatha..
लघु कथा आम तौर पर घटना प्रधान होती है आपकी कथाओं में घटनाओं के साथ भाव जगत भी मुखरित रहता है .छूता है मन को .माहौल रच देती है कथा .मानसिक कुन्हासा भी साकार हो उठता है .दोपहर की खड़ीधूप में बारिश सा .
very appealing !
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