माननीय राज्यपाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं को ''बिना दहेज़ -विवाह ''करने की शपथ दिला रहे थे .उनके कोट की अगली जेब में रखा उनका मोबाइल तभी बज उठा .शपथ -ग्रहण पूरा हुआ तो उन्होंने मोबाइल निकालकर देखा .कॉल घर से उनकी धर्मपत्नी जी की थी .उन्होंने खुद घर का नंबर मिलाया और धीरे से पूछा -''क्या कोई जरूरी बात थी ?''धर्मपत्नी जी बोली -'' हाँ ! वे गुप्ता जी आये थे अपनी पोती का रिश्ता लेकर हमारे राकेश के बेटे सूरज के लिए .कह रहे थे पांच करोड़ खर्च करने को तैयार हैं .मैंने कहा इतने का तो उसे साल भर का पैकेज ही मिल जाता है .अब बताओ क्या करूँ ?''राज्यपाल जी ने कहा -''ऐसी बात है तो मना कर दो !'' सामने सभागार में बैठे छात्र-छात्रागण माननीय द्वारा दिलाई गयी शपथ के बाद करतल ध्वनि द्वारा उनको सम्मान प्रदान कर रहे थे .
शिखा कौशिक 'नूतन '
6 टिप्पणियां:
बेहतर लेखन !!!
कथनी और करनी में सदैव साम्यता होनी चाहिए अन्यथा हम दोगले नज़र आते हैं.
बहुत उम्दा,लाजबाब लघु कथा ...
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
पर उपदेश कुशल बहुतेरे .दोगलाई पर बढ़िया तंज .धार दार कथा लघु ,असर गंभीर .
utam -***
अंदर काला, बाहर श्वेत
मरुथल में उपजाऊ खेत |
तेल निकल ना पाएगा
चाहे जितना पेरो रेत |
धारदार है लघु कथा
सहज शब्द,सुंदर संकेत |
एक टिप्पणी भेजें