फ़ॉलोअर

रविवार, 7 दिसंबर 2014

गांधी '' सरनेम ''


PUBLISHED IN JANVANI'S RAVIVANI -7DECEMBER2014


'पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हुए अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी .सभी छात्राएं पिया की ओर देखने लगी .कक्षा में तीसरी पंक्ति में दायें किनारे पर खड़ी पिया को बड़ा अजीब लगा .अभी-अभी गुजरात से उत्तर प्रदेश शिफ्ट हुए परिवार में पिया और उसके माता-पिता के अलावा उसका प्यारा पॉमेरियन डॉगी ''बुलेट'' भी था .उत्तर प्रदेश के जिस शहर में आकर पिया का परिवार बसा था वो विकसित-विकासशील-पिछड़ेपन का संगम था .एक ओर गगनचुम्बी इमारतें ,मॉल और दूसरी ओर झोपड़पट्टी इलाका .खैर क्लास टीचर ने मुड़कर देखती छात्राओं को डांट लगायी और पिया से पूछा -''क्या तुम गांधी फैमिली से हो ?'' पिया ने मुस्कुराकर ''हाँ' कहा तो सारी क्लास हॅसने लगी और मैडम भी मुस्कुरा दी .अगले ही पल पिया सफाई देते हुए बोली -'' नो मैडम ...मेरा मतलब हम भी गांधी हैं .'' ये कहकर पिया ने पहले जल्दबाज़ी में दिए गए अपने उत्तर के लिए खुद को मन में कोसा '' क्यूँ नहीं समझ पायी मैडम के किये गए सवाल का निहितार्थ ? पापा ने ठीक ही किया जो अपने नाम के साथ ''गांधी'' सरनेम नहीं जोड़ा पर दादा जी की जिद पर मेरे नाम के आगे ये जोड़ दिया गया ...ओह माई गॉड !!'' यही सोचते-सोचते पिया का नए कॉलेज में पहला दिन गुजर गया था .कॉलेज से लौटते समय पीछे से पिया की क्लास की एक छात्रा ने उसे आवाज़ लगाई -'' मिस गांधी ...मिस गांधी !!'' पिया के दिल में अपने लिए यह सम्बोधन सुनकर आग लग गयी .पिया के मन में आया -'' काश रिवाल्वर होती मेरे पास तो अभी इस लड़की के पेट में छह की छह गोली उतार देती .'' पर अपनी खीज़ अपने मन में दबाकर बनावटी मुस्कान अधरों पर लाकर पिया ने पीछे मुड़कर देखा .ये वही लड़की थी जो आज क्लास रूम में उसका उत्तर सुनकर सबसे ज्यादा मुड़ मुड़कर देख रही थी .तेजी से चलकर आयी साथी छात्रा ने पिया के समीप आते ही हांफते हुए कहा - 'हाय !...आई एम् टीना ..टीना अग्रवाल '' ये कहकर उसने पिया की ओर दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिया .पिया ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा -'' एंड आई एम् पिया !'' टीना पिया को टोकते हुए बोली -'' पिया नहीं ...यू आर पिया गांधी ...यूं नो आई एम् मैड अबाउट गांधी सरनेम .इस सरनेम के जुड़ते ही नाम कितना खास हो जाता है ...सोचो काश मैं भी गांधी होती तो ....मिस टीना गांधी ...ओह माई गॉड ...कितना अच्छा लगता !!!'' टीना उत्साहित होकर बोले जा रही थी और पिया जान चुकी थी कि इस लड़की की दिलचस्पी केवल उसके सरनेम '' गांधी'' में है उसमे कतई नहीं . टीना एक गली के मोड़ पर रुकी और बोली -''मिस गांधी इसी गली में मेरा घर है ...प्लीज डू कम !'' पिया ने मुस्कुराकर हामी भर दी किसी दिन उसके घर आने के लिए और अपने घर की ओर कदम बढ़ा दिए .
घर पहुँचते ही बुलेट दौड़कर पिया पास आकर मचलने लगा .पिया ने झुककर उसे उठा लिया पर तभी सड़क से कुत्तों के भौकने की आवाज़ सुनकर बुलेट पिया की गोद से छलांग लगाकर गेट पर जाकर भौकने लगा .पिया ने यूनिफॉर्म चेंज की और फ्रेश होकर माँ के पास किचन में पहुँच गयी .माँ ने दाल, भात ,रोटी और शाक सभी कुछ बनाया था .खा-पीकर पिया अपने कमरे में पहुंची और स्कूल बैग से निकाल कर कॉपी-किताबें कोने में लगी एक टेबिल पर कायदे से लगाने लगी .एक किताब उठाकर उस पर लगी चिट पर लिखा अपना सरनेम देखकर पिया को टीना की बात याद आ गयी -'' इस सरनेम के जुड़ते ही नाम कितना खास हो जाता है .'' .
शाम ढलने लगी थी . अभी भी इस शहर की सुबह व् शाम पिया को अपनी सी नहीं लगती थी .पिया के मन में एक अजीब सी मायूसी छा जाती थी ये सोचकर कि अपने गुजरात में क्या अब भी वैसी ही सुबह व् शाम होती है ? माँ संध्या -वंदन में व्यस्त थी और पापा अब तक लौटकर नहीं आये थे घर .पिया बुलेट के साथ छत पर चली गयी .आकाश में उड़ती पतंगें देखकर अपने गुजरात के अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेले की यादें ताज़ा हो आयी पिया के दिल में .पापा के साथ कितनी पतंग उड़ाई हैं उसने वहाँ .गोधरा हादसे और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से ही पिया के पापा का मन वहाँ से उखड गया था .श्री कृष्ण द्वारा बसाई गयी द्वारिका वाले गुजरात में खून की खेली गयी होली ने पिया के पापा को अंदर तक हिला डाला .अपने मुस्लिम दोस्त के साथ मिलकर कपड़ों का बड़ा बिजनेस करने वाले पिया के पापा के सामने ही कुछ उन्मादियों ने उनके दोस्त को काट डाला था .कई महीनों के इलाज के बाद नॉर्मल हो पाये थे पिया के पापा . उसी क्षण उन्होंने गुजरात छोड़ने का निश्चय कर लिया था .बिजनेस समेटते समेटते अब शिफ्ट हो पाये थे वे .दादा-दादी ज़िंदा होते तो अब भी शिफ्ट न करने देते पर गुजरात दंगों की आग बुझते बुझते वे दोनों भी चल बसे थे .दादा अंतिम दिनों में दंगों में क़त्ल किये जा रहे मासूमों के बारे में पढ़-सुनकर रो पड़ते और कहते '' मेरे गांधी की जन्म-भूमि पर ये क्या हो रहा है ?'' पिया के पापा का चेहरा लाल हो जाता और माँ दादा जी को समझाते हुए कहती -'' बापू जी अब गुजरात गांधी का नहीं रहा !!'' और ...और भी न जाने कितनी यादें उसी पल पिया के दिल में हलचल मचाने लगी . एक पतंग तभी कटकर पिया के पास आकर गिरी .पिया उसे उठाती उससे पहले ही बुलेट दौड़कर आया और पतंग को मुंह से पकड़कर -पंजे से दबाकर वही बैठ गया .पिया ने झुककर उससे पतंग छुड़ाने की कोशिश की तो पूंछ हिलाने लगा .नीचे से तभी माँ की आवाज़ आयी -'' पिया नीचे आओ ...आरती ले लो !'' पिया पतंग और बुलेट को वही छोड़कर जल्दी से सीढ़ियां उतर कर नीचे आ गयी .हाथ धोकर माँ के पास मंदिर में पहुंचकर हाथ जोड़े और आरती ली .थोड़ी देर में पापा भी दूकान बढाकर घर आ गए .माँ ने कॉफी बना ली .पापा ने पिया को छेड़ते हुए पूछा -'' और आज क्या कर आयी मेरी बिटिया नए कॉलेज में ?'' पिया झूठा गुस्सा दिखाती हुई बोली -'' क्या पापा ...आप भी ...आज मेरा मूड ठीक नहीं है ..आपने बिल्कुल ठीक किया था .. अपने नाम के आगे से '' गांधी '' सरनेम हटा कर '' कुमार'' जोड़ लिया था .यहाँ कॉलेज में मेरा सरनेम मेरे पूरे वज़ूद पर ही हावी हो गया है .यू नो पापा एक लड़की टीना तो मेरे सरनेम की दीवानी ही है .यहाँ उत्तर प्रदेश में '' गांधी'' सरनेम के दीवाने कुछ ज्यादा ही लगते हैं ...या हम पहले '' गांधी'' हैं जो गुजरात छोड़कर उत्तर प्रदेश में शिफ्ट हुए हैं .'' पिया की बात पर उसके पापा ठहाका लगाकर हॅस पड़े .कॉफी का खाली मग मेज पर रखते हुए बोले -'' बेटा ' 'गांधी'' के दीवाने तो दुनियां भर में हैं ...वे थे ही ऐसे महापुरुष और मैंने जो सरनेम गांधी अपने नाम के साथ नहीं लगाया वो इसलिए नहीं कि मैं गांधी का दीवाना नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि मैं गांधी को भगवान मानता हूँ और कोई मुझे माध्यम बनाकर उनका अपमान करे ये मुझे सहन नहीं होता था ...मेरे कुछ शिक्षक व् सहपाठी ऐसा कुत्सित प्रयास करते रहते थे इसीलिए मैंने सरनेम 'गांधी' हटाकर 'कुमार' जोड़ लिया अपने नाम के साथ ...पर बेटा मैं गलत था .तेरे दादा जी ने तेरे नाम के साथ ''गांधी' जुड़वाकर मुझे मेरी गलती का अहसास करवाया .तुम कभी मत हटाना ये सरनेम .जो तुम्हे माध्यम बनाकर महापुरुषों का अपमान करे उसे मुंह तोड़ जवाब देना ....यू मस्ट प्राउड ऑफ योर ग्रेट सरनेम !'' पिया के पापा ये कहकर चुप हुए ही थे कि कि उसकी माँ चुटकी लेते हुए बोली - '' पिया इनकी गलती की सजा आज तक मैं भुगत रही हूँ .ये सरनेम ''गांधी' न पलटते तो सब मुझे भी '' मिसेज गांधी '' पुकारते पर इन्होने तो ....अरे घडी देखो कितना टाइम हो गया ...पिया चलो भोजन कर लो और पापा के लिए भी परोस कर ले आओ ...मैं बाद में कर लूंगी पहले साड़ी में फॉल टॉक लूं ...तुम्हे अपने गुजरात की ये बात तो याद होगी ही ...वेलो उठे वीर , बल बुद्धि वड़े ,अने सुख्यु रहे अनु शरीर ....याद है कि नहीं !'' पिया मुस्कुराते हुए बोली '' माँ ये भी कोई भूलने की बात है क्या !'' ये कहकर पिया भोजन परोसने किचन की ओर चली गयी और उसकी माँ साड़ी लेने .
अगले दिन कॉलेज में पहुँचते ही प्रार्थना स्थल पर टीना ने कई अन्य सहपाठिनियों से पिया का परिचय कराते हुए कहा -'' ये सोमिया है और ये गरिमा ...और ये है तन्वी ...मिस गांधी !'' टीना के पिया को ''मिस गांधी'' कहते ही तन्वी भड़ककर बोली -'' टीना ये क्या तूने मिस गांधी... मिस गांधी लगा रखा है ...तुझे पता भी है इन्ही गांधी के कारण देश के दो टुकड़े हुए ...माय फादर टोल्ड मी ...इन्ही गांधी जी की ज़िद पर मिस्टर नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया और देख लो कश्मीर सहित पूरे भारत का हाल ...तू क्या मिस गांधी कहकर इस लड़की के पास खड़ी हो गर्व का अनुभव कर रही है अरे इन गांधी लोगों ने ही ..इनके परनाना ,दादी ,पापा और भी न जाने किस किस ने जनता के भरोसे का खून किया है ...साठ वर्षों तक हमने इन्हें सत्ता का सुख प्रदान किया और इन लोगों ने देश को गरीबी ,बेरोजगारी , चोरी ,साम्प्रदायिकता ,बड़े बड़े घोटाले दिए ....आई हेट गांधी एंड हिस डायनेस्टी ...मिस गांधी !!! '' तन्वी की कड़वी बातें सुनकर पिया की आँखे भर आई .टीना तन्वी को डांटते हुए बोली -'' व्हाट नॉनसेंस ....क्या बकवास करे जा रही है तन्वी ...इस सब से पिया का क्या लेना देना ?'' तन्वी व्यंग्य में बोली -'' ओह ...सो इनोसेंट ...तू गांधी सरनेम के पीछे यु ही दीवानी हुई जा रही है ! अरे हम सब जानते हैं '' गांधी फैमिली '' को भारत में राजपरिवार का दर्ज़ा प्राप्त है इसी कारण इस सरनेम का क्रेज़ है और तुम जैसे क्रेज़ी लोग हैं यहाँ ...फिर आलोचनाओं पर आँसूं क्यों टपकाते हो और तुम्हारे महान गांधी की असलियत तो '' रियल सोल — महात्मा गांधी एंड हिज स्ट्रगल विथ इंडिया '' और 'दी रेड साड़ी ' में खोल कर रख दी हैं लखकों ने ...पढ़ी नहीं अब तक कितने चरित्र...'' तन्वी आगे बोलती इससे पहले ही पिया दहाड़ती हुई बोली -'' चुप हो जाओ तुम ...तुम इस लायक नहीं कि राष्ट्र पिता का नाम भी ले सको .अपना सर्वस्व लुटाकर देश को आजाद कराने वाले गांधी जी का नाम सम्मान से ले सकती हो तो लो वर्ना चुप रहो और रही 'गांधी फैमिली '' की बात तो उन्होंने '' गांधी'' सरनेम का मान देश ही नहीं दुनिया में भी बढ़ाया है .देश को बांटने वाले ,साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने वालों के आगे उन्होंने कभी सिर नहीं झुकाया और अपने प्राणों की आहूति दे दी . तुम जिन पुस्तकों का जिक्र कर रही हो उन्हें पढ़ने से अच्छा है कि हम इन महान देशभक्तों के प्रेरक प्रसंगों को पढ़कर इनसे कुछ देश सेवा की प्रेरणा लें .मेरे दादा जी कहते थे कि हम उन्माद में गोली चलाने वाले 'गोडसे' तो रोज़ पैदा कर सकते हैं पर गांधी जी जैसा महापुरुष सदियों में एक ही पैदा होता है जो देश की खातिर अपने सीने पर गोली खाता है .नाओ टेल मी अंडरस्टैंड और नॉट मिस .???..'' तन्वी कुछ बोलना ही चाहती थी कि प्रार्थना स्थल पर शिक्षक गण आने लगे और प्रार्थना आरम्भ हो गयी .प्रार्थना के बाद तन्वी ने क्लास में पहुँचते ही पिया से कहा -'' आई एम् सॉरी मिस गांधी !'' इस पर पिया ने उसे गले से लगा लिया तभी टीना ने पीछे से आकर पिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा -हे मिस गांधी ..यू आर ग्रेट ..तुमने तो कमाल ही कर दिया ..तुम्हारा नाम तो इंदिरा होना चाहिए था .....आई मीन आइरन लेडी !!'' पिया मुस्कुराते हुए बोली -'' तुम्हारे पास भी '' गांधी '' सरनेम लगाने का एक मौका है तुम गांधी सरनेम वाले लड़के से विवाह कर लो .'' इस पर टीना शरमा गयी और तन्वी ''यू आर राइट पिया .'' कहती हुई हंस पड़ी .
शिखा कौशिक 'नूतन

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

मेरे दादा जी कहते थे कि हम उन्माद में गोली चलाने वाले 'गोडसे' तो रोज़ पैदा कर सकते हैं पर गांधी जी जैसा महापुरुष सदियों में एक ही पैदा होता है जो देश की खातिर अपने सीने पर गोली खाता है ...
बिलकुल सही ....देश की खातिर अपने सीने में गोली खाने वाले लाखों में एक होता है ...
बहुत बढ़िया सार्थक चिंतन युक्त प्रस्तुति ..

कविता रावत ने कहा…

मेरे दादा जी कहते थे कि हम उन्माद में गोली चलाने वाले 'गोडसे' तो रोज़ पैदा कर सकते हैं पर गांधी जी जैसा महापुरुष सदियों में एक ही पैदा होता है जो देश की खातिर अपने सीने पर गोली खाता है ...
बिलकुल सही ....देश की खातिर अपने सीने में गोली खाने वाले लाखों में एक होता है ...
बहुत बढ़िया सार्थक चिंतन युक्त प्रस्तुति ..