''ये तो घाटे का सौदा रहा ''!!!-A SHROT STORY
'संतरेश की माँ यहाँ आ ...'' पति सत्तो की कड़क आवाज़ पर बर्तन मांजती सुशीला धोती के पल्लू से हाथ पोछती हुई रसोईघर से निकल आँगन में पड़ी खाट पर बैठे पति के पास आकर जमीन पर उकडू बैठ गयी .संतरेश का बाप अंगूठे व् तर्जनी से पकड़ी हुई बीडी को मुंह से निकालते हुए बोला -''कल्लू मिला था ...कह रहा था सत्रह की हो गयी तेरी लौंडिया ..ब्याह न करेगा ?''...मैं बोला तू ही बता ...तो बोला ..''तीन हज़ार dene को taiyar है पास के gauv का सुक्खू ...उम्र भी बस चालीस के आस पास है .मैं बोला तीन तो कम हैं ...इतना तो छोरी ही कमा लावे है काम करके इधर उधर से ....फिर वो बोला 'अच्छा kal को बताऊंगा सुक्खू से बात करके ...''...इब तू बता के कहवे ?'' सुशीला मुंह बनती हुई बोली -''धी का जन्म तो होवे ही है नरक भोगने को ...जितने में चाहवे कर दे ..मैं कुछ बोल के क्यों खोपडिया पे जूत लगवाऊँ ....'''ये कहकर सुशीला बर्तन धोने फिर से रसोईघर को चली गयी .दो दिन बाद संतरेश की शादी सुक्खू के साथ हो गयी .विदाई के समय सुशीला की आँख में आंसू थे और सत्तो रूपये गिनते हुए मन में सोच रहा था कि-''ये तो घाटे का सौदा रहा ''!!!
-shikha kaushik
4 टिप्पणियां:
आज भी ऐसा होता है अपने देश में,..
MY RECENT POST.... काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
आमिर के सत्यमेव जयते का पहला एपिसोड जहन में कौंध गया...खरीद-फरोख्त अपने ही बच्चों की...भयावह सच...
सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...
बहुत ही सुंदर भाव...सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...
एक टिप्पणी भेजें