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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

धोखा - लघुकथा

धोखा - लघुकथा
 सरोजा के लिए यह एक सदमे से कम नहीं था कि उसके जीवन साथी राहुल ने आज उसके चरित्र को लेकर ही ऊंगली उठा दी थी. कॉलेज में प्रवक्ता अंग्रेजी के पद पर कार्यरत सरोजा यह सोच भी नहीं सकती थी कि पति पत्नी के बीच विश्वास की दीवार इतनी कमजोर होती है, जो किसी अन्य पुरुष से बातचीत करती पत्नी को देखते ही टूटकर गिर जाती है. सरोजा यह सब सोचते सोचते रसोई घर से बाहर आई और आंखों में आये आंसू पोंछते हुए राहुल से भर्राये हुए स्वर में बोली - राहुल तुमने जो मुझ पर आरोप लगाये हैं, उनपर सफाई देकर मैं अपनी गरिमा, अपने भीतर बैठी सच्चाई को धोखा नहीं दे सकती. आज से हमारे रास्ते भले ही अलग हो जायें. " राहुल सरोजा की बात सुनकर हड़बड़ाहट के साथ खड़ा हुआ और उसे गले से लगा लिया.
-डॉ शिखा कौशिक नूतन

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