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सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

सफलता - लघुकथा

सफलता - लघुकथा
आज तीसरे प्रयास में राहुल ने आखिर यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ही ली. परिणाम देखते ही दिवंगत पिता की स्मृति से उसकी आंखों में आंसू भर आये. उसकी स्मृतियों में गूंज उठे वह स्वर जब पहली बार परीक्षा में साक्षात्कार में सफल न होने पर कैंसर से पीड़ित उसके पिता जी ने अंतिम सांसें लेते हुए उससे कहा था कि - राहुल जीवन से अधिक मूल्यवान कुछ नहीं. हर नई सुबह नयी आशा के साथ सूर्य उदित होता है. परीक्षा में सफलता बहुत छोटा उद्देश्य है जीवन का. जीवन का वास्तविक उद्देश्य है इस संसार में व्याप्त पीड़ाओं को यथासंभव कम करने में सहयोग करना. किसी के दुखमय जीवन में एक ही सही पर मुस्कान भरना. निराशा का तो सवाल ही नहीं उठता किसी को खुश करने में. ' कुछ दिन बाद राहुल के पिताजी का तो देहावसान हो गया किंतु उनकी दी हुई सीख ने राहुल में अदम्य आत्मशक्ति का संचरण कर दिया जिसने अंततः उसे जीवन की सफलता की ओर अग्रसर कर दिया.
-डॉ शिखा कौशिक नूतन

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