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बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

ह्रदय - लघुकथा

ह्रदय - लघुकथा
कितना बोझ उठाये था ! दबा जा रहा था और कभी ज्यादा हवा भरे गुब्बारे की तरह फटने को तैयार था. पुलिस में सिपाही बेटे की दंगों में शहीद होने की खबर सुनते ही मां का ह्रदय दर्द से भर गया था. अभी तो उसके सेहरा बंधने की आस लगाये यह मां का ह्रदय खुशी से भर जाता था. शव आते ही चारों ओर भारत माता के जयकारें से गगन गूंज उठा. मां ने आगे बढ़कर हमेशा के लिए चैन से सोये बेटे के चेहरे को चूम लिया और जयहिंद कहकर सलाम करते हुए ह्रदय से कहा - अब कभी कमजोर न पड़ना मेरा बेटा मरा नहीं है अमर हो गया. '
-डॉ शिखा कौशिक नूतन

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