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शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

आग - लघुकथा

गांव में बारिश हुई. लकड़ियां गीली हो गयी. मां दुखी होकर बोली - अब चूल्हा कैसे जलेगा? बेटा व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला - मां चिंता मत कर. मैं नफरत की आग लगाकर सांप्रदायिकता फैलाने वाले नेता को फोन कर बुला लेता हूं, उसने सारे मुल्क में आग लगा डाली चूल्हे की क्या औकात है! - नूतन

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही सटीक बिलकुल नश्तर सरीखा सच

Shikha Kaushik ने कहा…

हार्दिक आभार अजय जी.