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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

तारों भरा आकाश

संध्या कहाँ हो तुम ? उषा ने अपनी छोटी बहन को ऊपर छत से आवाज लगाई तो सीढियां चढ़ती हुई संध्या तेजी से वहीँ आ पहुची । ''''क्या है दीदी?'' ''अरे देख तो आकाश में आज कितने तारे चमक रहें !'' .दीदी के चेहरे पर चमक देखकर संध्या की आँख भर आई पर उसने आंसू छिपाते हुए कहा 'हाँ !दीदी इसे ही शायद ''विभावरी'' की संज्ञा दी जाती है ।'' उषा एकाएक रुआंसी हो आई ''...बब्बू होता तो शायद ताली बजाता होता और ....''यह कहते हुए संध्या के गले लगकर फफक-फफक कर रो पड़ी .संध्या के ह्रदय में भी हूक सी उठी ''......काश बब्बू उस दिन स्कूल न जाता ।'' स्कूल बस व् ट्रक की सीधी टक्कर में कुछ अन्य बच्चों के साथ चार वर्षीय बब्बू भी हादसे का शिकार हो गया था .इस हादसे ने उषा और उसके पति मुकुल के दिल का सुकून व् जीवन के प्रति आस्था को छिन्न-भिन्न कर डाला था .उषा की उदासी देखते हुए ही उसके पिता जी उसे ससुराल से यही घर ले आये थे .संध्या का साथ पा उषा कुछ-कुछ तो अपने गम पर काबू करना सीख गयी थी पर इतना आसान तो नहीं होता जिगर के टुकड़े को भुलाना .उषा की माँ भी उसको देखकर मन ही मन में घुली जाती थी .उषा को समझाते हुए संध्या नीचे ड्राइंग रूम में ले आयी .नीचे आने पर उषा को तबियत ख़राब लगी तो बेडरूम में जाकर सो गयी .माँ,पिता जी व् संध्या चिंतित हो उठे .सुबह तक भी जब उषा का स्वास्थ्य गिरा गिरा रहा तो माँ के कहने पर पिता जी लेडी डॉक्टर को बुला लाये .डॉक्टर ने चेकअप कर मुस्कुराते हुए कहा ''उषा माँ बनने वाली है और आप परेशान हो रहे हैं ? ''उनके यह कहते ही सबकी आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक आये .संध्या ने धीरे से उषा के कान में कहा '....लो दीदी फिर से आने वाला है जो तारों भरे आकाश को देखकर ताली बजाएगा !'' उषा ने संध्या को गले से लगा लिया .

7 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut bhavnapoorn kahani.yatharth ka mishran liye kahani dil ko chhoo gayee.

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना....

Shalini kaushik ने कहा…

shikha ji kahani jaldi jaldi likha kijiye...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना

Markand Dave ने कहा…

बड़ी ही हृदय द्रावक कहानी,बहुत बहुत धन्यवाद ।

और रंगोत्सव की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ ।

मार्कण्ड दवे

Roshi ने कहा…

sabhi laghu kathaeyn sunder hai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
सूचनार्थ