''स्वयं निर्णय लो ''-लघु कथा
''जूली बेटा ये क्या पहना है ?'' माँ ने मिनी स्कर्ट-टॉप पहनकर कॉलेज जाती सत्रह वर्षीय बिटिया को टोकते हुए कहा . ''मॉम आजकल यही फैशन है .कल मैं सलवार कुरता पहनकर गयी तो मेरी सब फ्रेंड्स मुझसे बोली-आज बहन जी बनकर क्यों आई हो ?......हाउ बैकवर्ड लुकिंग ! '' जूली की माँ उसके कंधें पर हाथ रखते हुए बोली -''बेटा जब मैं पढ़ती थी तब मेरे रहन-सहन पर भी मेरे साथी छात्र-छात्राएं फब्तियां कसा करते थे पर मैंने कभी इसकी परवाह नहीं की क्योंकि तुम्हारी नानी ने मुझे समझाया था कि आधुनिक हम फैशन के कपड़ों से नहीं बल्कि अपनी सोच व् विचारों से बनते हैं .मैंने सदैव मर्यादित वस्त्र धारण किये .अब तुम स्वयं निर्णय लो कि तुम्हे क्या पहनना चाहिए ?''ये कहकर जूली की माँ अपना स्टेथोस्कोप लेकर अपने क्लिनिक के लिए निकल गयी !
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
bahut sundar shikshaprad kahani .aabhar
परिभाषाएँ बदल गई हैं आज ...
अच्छी उद्वेलित करती पोस्ट ... बहुत खूब ...
सीख देती सुंदर कथा,आभार,
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
very nice and beautiful short story
सही सलाह.
bahut khub
एक टिप्पणी भेजें