हिन्दू पार्टी का मुसलमान नेता -एक लघु कथा |
टी.वी.साक्षात्कार में जटिल प्रश्नों के उत्तर देने के बाद साक्षात्कारकर्ता के इस प्रश्न पर मिर्जा साहब थोडा अटके जब उनसे पूछा गया -'' मिर्जा साहब गुस्ताखी माफ़ हो ...आप एक मुसलमान होते हुए एक हिन्दू पार्टी से पिछले बीस साल से जुड़े हुए हैं .पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहें हैं ...तब क्या महसूस किया है एक मुसलमान होकर एक हिन्दू पार्टी की विचारधारा से तालमेल बैठाने में ?'' मिर्जा साहब का चेहरा सख्त हो गया .वे गंभीरता के साथ बोले -'' आप बस ये समझ लीजिये जैसे ब्याह होते ही लड़की को विदाई के समय बता दिया जाता है कि आज से इस घर को अपना मत समझ लेना और ससुराल में हमेशा उसको अपने चरित्र की शुद्धता का प्रमाण देना पड़ता है ...कुछ ऐसी ही स्थिति है मेरी . मुसलमान बिरादरी मुझे हिन्दू पार्टी में मेरे होने के कारण दिल से नहीं अपनाती और पार्टी के हिन्दू कार्यकर्ता मुसलमान होने के कारण मुझ पर शक करते हैं कि मैं हिन्दू पार्टी में क्यों हूँ ?'' ये कहकर वे चुप हो गए और साक्षात्कारकर्ता ''मिलते हैं ब्रेक के बाद ' कहकर खिसक लिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'
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