नेशनल दुनिया में प्रकाशित |
''कल को इस रिवाल्वर की छह की छह गोलियां उस धोखेबाज़ लड़की के सीने में उतार दूंगा ....मुझसे धोखा ..मेरे दिल से धोखा ...मेरे प्यार से धोखा ...जिसने उसे दुनिया की हर चीज़ ..हर रिश्ते से ज्यादा चाहा उससे धोखा ...नहीं बर्दाश्त करूंगा ये धोखा . माँ-पापा तक से बोल दिया था मैंने कि अगर शादी करूंगा तो केवल ''कामना'' से और वो अपने पिता के आगे झुक गयी . क्या कह रही थी आखिरी मुलाकात में ....हां . ..यही कि ' अपने कारण अपने पिता को मरते नहीं देख सकती ' ये सब उसने तब क्यूँ नहीं सोचा जब वो उससे नज़दीकियां बढ़ा रही थी। मेरे दिल को खिलौना बनाकर खेलती रही और अब शादी किसी और से...............नहीं .....................उसे भी नहीं छोड़ूंगा जो मेरी कामना को मुझसे अलग करने की कोशिश करेगा ...............सब को निपटा दूंगा ......कामना का पिता हो या उसका होने वाला दूल्हा या फिर कामना '' बाईस वर्षीय पुष्पक ने ये कहते-कहते बायीं हथेली की उँगलियाँ कसते हुए मुट्ठी बनाई और सामने रखी मेज पर दे मारी। दायें हाथ में पकड़ी हुई रिवाल्वर को फिर से खूनी इरादों के साथ देखा और अपने बैड के गद्दे के नीचे छिपा दिया . रविवार का दिन था और दीवार घडी में दोपहर के दो बज रहे थे .खौलते दिल को पुष्पक ने शांत किया और सामान्य भाव चेहरे पर लाकर अपने कमरे के किवाड़ खोलकर बाहर निकला .निकलते हीउसने पाया कि उसकी सोलह वर्षीय बहन टीना किवाड़ों के पास रखे गमले की निराई-गुड़ाई में लगी हुई है .पुष्पक झूठी मुस्कराहट के साथ मीठी जुबान में बोला -'' अरे यहाँ क्या कर रही है तू .....माँ के साथ रसोई के काम में हाथ बटाया कर .'' टीना प्रतिउत्तर में मुस्कुराते हुए बोली -'' जी भैय्या '' पुष्पक को तसल्ली हुई कि टीना उसके चेहरे के बनावटी भावों को पहचान नहीं पाई .पुष्पक के वहां से एक कदम आगे बढ़ाते ही टीना चहकती हुई बोली -''भैय्या आपका कमरा साफ कर दूँ ...बहुत बिखरा-बिखरा सा पड़ा है ..बैड की चद्दर भी बदल दूँगी ...बहुत गन्दी लग रही है ..'' टीना के ये कहते ही पुष्पक हड़बड़ा गया पर खुद को संभालते हुए बोला -'' नहीं ..आज रहने दे ..जा ..जाकर माँ का हाथ बंटा या फिर पढ़ाई कर और माँ व् पापा मेरे बारे में पूछें तो कह देना मैं विवेक के यहाँ जा रहा हूँ .'' ये कहकर वो तेज़ी से में गेट की ओर बढ़ा ही था कि पीछे से पापा की कड़कती आवाज़ सुनकर उसके पैर ठिठक गए .पीछे मुड़कर देखा तो पापा हाथ में उसका ही रिवाल्वर उसकी ओर ताने खड़े थे .पुष्पक के होश उड़ गए .एकाएक हज़ारों प्रश्न उसके दिमाग में तूफ़ान की रफ़्तार से दौड़ने लगे -''पापा के पास मेरा रिवॉल्वर कैसे आया ? किसने बताया पापा को मेरे इरादों के बारे में ?..तो क्या टीना मेरी जासूसी कर रही थी ?'' ये सोचते सोचते वो खिसियाता हुआ पापा के करीब पहुँच गया और हकलाता हुआ बोला -'' ये तो रिवॉल्वर है पर आपके पास कैसे ?'' पापा ने पास खड़ी टीना को रिवॉल्वर पकड़ाते हुए पुष्पक के कंधे पर नरमाई से हाथ रखते हुए कहा -'' यही तो मैं पूछना चाहता हूँ बेटा कि एम.बी.ए. के इतने बुद्धिमान छात्र के बैड के गद्दे के नीचे ये लोडेड रिवॉल्वर कैसे, क्यों और कहाँ से आया ?'' पुष्पक पसीना-पसीना होते हुए बोला- ''पापा ..प्लीज़ फॉरगिव मी ....आई हैव डन बिग मिस्टेक .'' ये कहते-कहते वो पापा के चरणों में गिर पड़ा .पापा ने उसे प्यार से उठाते हुए कहा गले से लगा लिया और रुद्ध गले से बोले -'' देख किंचन की चौखट पर खड़ी तेरी माँ रोये जा रही है ..पहले उससे जाकर माफ़ी मांग .'' पुष्पक दौड़कर माँ के पास पहुंचा और उससे लिपट कर रोने लगा .माँ ने उसका चेहरा हथेलियों में भरते हुए प्यार से कहा -''नहीं बेटा ऐसे काम नहीं करते ...तू तो एक तितली तक को पकड़ना पाप मानता है फिर किसी लड़की को गोली मारने की बात कैसे सोच ली ...चल अब चुप हो जा ..रो मत ..भगवान ने सब समय से ठीक कर दिया .'' ये कहते हुए माँ ने अपने आँचल से उसके चेहरे पर आये आंसुओं को पोंछ दिया .पापा व् टीना भी वहीँ आ पहुंचे .पापा बोले -'' पुष्पक जाओ फ्रेश होकर आओ ..दीपक आता ही होगा .'' पुष्पक चौंकता हुआ बोला-''दीपक !!!'' पापा उसकी जिज्ञासा शांत करते हुए बोले- ''हां ! दीपक ...वही दीपक जिसके गाल पर जोरदार तमाचा मारकर तुमने कॉलेज कैंटीन में दोस्तों के सामने अपमानित किया था ..नो मोर क्वेश्चन प्लीज़ .'' पापा के ये कहते ही पुष्पक वहां से फ्रेश होने चला गया और जब फ्रेश होकर ड्राइंग रूम में आया तब दीपक को सोफे पर पापा के पास विराजे पाया .पुष्पक को देखते ही दीपक सोफे से खड़ा होते हुए बोला -'' हैलो पुष्पक ..कैसे हो ?'' पुष्पक अपने पूर्व में किये गए दुर्व्यवहार पर लज्जित होते हुए बोला-'' सॉरी दीपक ..उस दिन की अपनी बदतमीज़ी के लिए माफ़ी मांगता हूँ ..सच में शर्मिंदा हूँ मैं !''
दीपक ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और सोफे पर अपने ही पास बैठाते हुए बोला -'' इट्स ओ.के. ..दोस्ती-यारी में सब चलता है .'' दीपक की इस बात पर पापा कुछ गंभीर होते हुए बोले -'' नहीं बेटा तुमने सच्ची मित्रता निभाई है और एक उज्जवल भविष्य वाले छात्र को हत्यारा बनने से बचाया है .यदि तुम हमें पुष्पक की मनोस्थिति की सूचना न देते तो कल मेरा बेटा हत्यारा बन जाता जबकि मैं जानता हूँ कि वो ऐसा केवल भावावेश में करता .'' पुष्पक पापा की बात पर हैरान होता हुआ बोला -'' क्या दीपक ने रिवॉल्वर के बारे में आपको बताया ....पर इसे कैसे पता चला ..मेरी तो इससे उस दिन के बाद से ही बोल- चाल बंद है ..'' पापा ने पुष्पक की ओर देखते हुए कहा -'' जिस दिन तुमने कॉलेज कैंटीन में दीपक के ये सुझाव देने पर कि ''कामना को भूल जा '' के जवाब में उसके गाल पर तमाचा रसीद किया था उस दिन से ही दीपक का दिमाग तुम्हारा जूनून देखकर ठनक गया था कि तुम कोई न कोई गलत कदम जरूर उठोगे .गन -हाउस वाले विवेक से तुम्हारा मित्रता बढ़ाना ,तुम्हारा क्लासेस बैंक करना सब दीपक नोट कर रहा था .कुछ दिन पहले जब कामना ने दीपक को अपनी शादी के फंक्शन हेतु इन्वाइट किया तब दीपक ने मेरे ऑफिस आकर मुझे तुम्हारी मनोस्थिति से अवगत कराया .मैंने टीना को तुम्हारी जासूसी पर लगाया और तुम एक अपराधी बनते-बनते रह गए .बेटा ये ठीक है कि तुम कामना से बहुत प्यार करते हो पर कई बार परिस्थितियां ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती हैं कि व्यक्ति जिसे चाहता है वो उसे नहीं मिल पाता .ऐसे में व्यक्ति को धीरज से काम लेना चाहिए और जिसे वो दुनिया कि हर चीज़..हर रिश्ते से ज्यादा अहमियत देता आया है .उसे मिटाने नहीं उसके खुशहाल जीवन की कामना करनी चाहिए .हो सकता है कामना को तुमसे भी ज्यादा प्यार करने वाला जीवन-साथी मिल रहा हो .तुम भी तो उसे जीवन भर खुश रखने की कसमें खाते आये होगे फिर कैसे इतना प्रतिशोध तुम्हारे दिल में भभक उठा !मैं मानता हूँ कि इन हालातों को सहना सरल नहीं पर बेटा यदि तुम जिससे प्यार करते हो उसके लिए इतना सा त्याग भी नहीं कर सकते तब माफ़ करना ये कहना पड़ेगा कि तुम्हारा प्यार सच्चा प्यार नहीं है .प्यार यदि दैहिक-मिलन में ही होता तो शायद इतना पवित्र भाव न कहलाता .ये तो आत्मिक भाव है जो मानव को भगवान बना देता है !'' पुष्पक की आँखें भर आई .उसने दीपक का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा-'' यार तूने मेरी ज़िंदगी पर...नहीं नहीं आत्मा पर लगने वाले कलंक से मुझे बचा लिया .कल जब तू कामना के विवाह-समारोह में शामिल हो तब एक बुके मेरी ओर से भी उसे भेंट करना और कहना कि मैं केवल उसे खुश देखना चाहता हूँ .'' पुष्पक के ये कहते ही टीना नम आँखों के साथ चहकती हुई बोली -''दैट्स लाइक माई ब्रदर ...आई प्राउड ऑफ यू भैय्या !'' पुष्पक भी मुस्कुरा दिया .अब पुष्पक के ह्रदय में धधक रही प्रतिशोध की ज्वालायें शांत हो चुकी थी और वहां त्याग की ठंडी फुहारें बरस रही थी .
शिखा कौशिक 'नूतन'
1 टिप्पणी:
हार्दिक बधाई!
मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!
एक टिप्पणी भेजें