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सोमवार, 22 अगस्त 2022

कर्मों का फेर - लघुकथा

 कर्मों का फेरा 


सफाईकर्मी को कूड़े का ढ़ेर उठाकर ले जाते देखकर पिया का मन बहुत उदास हो उठा. वह सोचने लगी कि - '' आखिर ऐसे भी क्या पूर्वजन्म के कर्म कि मानव को ऐसे कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़े? '' तभी वहां से एक साधु महाराज निकले जो सफाईकर्मी को देखकर मस्त अंदाज में बोले - '' अब करो बेटा काम। पिछले जन्म में बहुत नौकरों के दम पीकर आये हो। पानी तक खुद उठाकर न लेते थे। तुम गंदगी फैलाते नौकर साफ करते। अब वे नौकर साहब बन गये और तुम नौकर। हिसाब बराबर। '' यह कहकर वह साधु ठहाका लगाकर हंस पड़ा और सफाईकर्मी उसे झिड़क कर आगे बढ़ गया। पिया यह सब देखकर सोचने लगी - '' साधु बाबा सच ही तो कह रहे थे। कर्म तो लौट कर आता ही है। मैं तो आज से अपना सारा कार्य स्वयं ही करा करूंगी। ''


(मौलिक रचना - Do not copy)

डॉ शिखा कौशिक नूतन 


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