सारा सभागार वयोवृद्ध गुप्ता जी के मंच से दिए जा रहे वक्तव्य को सुनकर सन्न रह गया। आखिर आज महिला दिवस के अवसर पर कोई आज की महिलाओं पर ऐसा कटु व्यंग्य कैसे कर सकता है ! कार्यक्रम संयोजक महोदया ने स्थिति को भांपते हुए गुप्ता जी को तुरंत मंच से नीचे आने का इशारा किया। गुप्ता जी ने समझदारी का परिचय देते हुए अपना वक्तव्य तुरंत समाप्त किया और मंच से नीचे उतर आये। कार्यक्रम समाप्ति के बाद घर लौटते समय गुप्ता जी की गाड़ी में उनके साथ बैठे उनके मित्र ने उस प्रसंग को छेड़ते हुए कहा - '' अरे भाई इतना कटु सत्य नहीं बोला करते.... सारी छवि खराब हो जाती है। '' गुप्ता जी मुस्कुराते हुए बोले - '' अब इस बुढ़ापे में छवि की परवाह कौन करता है ? पर एक बात बता क्या गलत बोला मैंने ? भई कोई माने या न माने पर जब पुरुष उच्छृंखल हुआ तो वेश्यावृति का जन्म हुआ और जब औरत उच्छृंखल हुई तो लिव-इन का। '' मित्र ने हल्की मुस्कुराहट के साथ सहमति में मुंडी हिला दी।
-डॉ शिखा कौशिक नूतन
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