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शनिवार, 30 अप्रैल 2011

कोई हक़ नहीं -लघु कथा


कोई  हक़  नहीं -लघु कथा  

सोनाक्षी क्या कहती हो -विवाह बेहतर है या लिव इन रिलेशनशिप ? सिद्धांत के बेधड़क  पूछे गए सवाल से सोनाक्षी आवाक रह गयी उसने प्रिया की ओर  इशारा करते हुए कहा -''प्रिया से ही क्यों नहीं पूछ लेते !''सिद्धांत मुस्कुराता हुआ बोला ''ये सती-सावित्री के युग की है ये तो विवाह का ही पक्ष लेगी पर आज हमारी युवा पीढ़ी जो आजादी चाहती है वो तो लिव-इन रिलेशनशिप में ही है .'' प्रिया ने सिद्धांत को आँख दिखाते हुए कहा -''सिद्धांत मंगनी की अंगूठी अभी उतार कर दूँ या थोड़ी  देर बाद ..? इस पर सोनाक्षी ठहाका  लगाकर हँस  पड़ी और सिद्धांत आसमान की ओर  देखने लगा .सोनाक्षी ने प्रिया की उंगली में पड़ी अंगूठी को सराहते हुए कहा ''...वाकई बहुत सुन्दर है !सिद्धांत आज की युवा पीढ़ी  की बात तो ठीक है ....आजादी चाहिए पर सोचो यदि हमारे माता-पिता भी लिव-इन -रिलेशनशिप जैसे संबंधों को ढोते  तो क्या हम आज गरिमामय जीवन व्यतीत करते और फिर भावी पीढ़ी  का ख्याल करो जो बस यह हिसाब ही लगाती रह जाएगी कि हमारे माता पिता कब तक साथ रहे ?हमारा जन्म उसी समय के संबंधो का परिणाम है या नहीं ?हमारे असली माता पिता ये ही हैं या कोई और ?कंही हम अवैध संतान तो नहीं ?....और भी न जाने क्या क्या .....अपनी आजादी के लिए भावी पीढ़ी  के भविष्य को बर्बाद करने का तुम्हे या तुम जैसे युवाओं को कोई हक़ नहीं !'' सोनाक्षी के यह कहते ही प्रिया ने सिद्धांत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा -''अब कभी मत पूछना विवाह बेहतर है या लिव-इन-रिलेशनशिप .''सिद्धांत ने मुस्कुराते हुए ''हाँ'' में गर्दन हिला दी .
                                                 

13 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

hamare samaj me liv-in-relation ship ko vaise bhi sthan nahi milna chahiye.bahut sarthak laghu katha.

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी सीख देती कथा..सार्थक.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक और समसामयिक रचना..

Vaanbhatt ने कहा…

सही गलत रिलेटिव शब्द हैं...हर जीव अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहता है...इंसान उनसे अलग नहीं है...समाज और उसके नियम हमें सोशल सिक्यूरिटी प्रदान करते हैं...इसलिए ठीक माने जाते हैं...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सामाजिक मर्यादाओं की रक्षा करती , समसामयिक , शिक्षाप्रद और प्रेरक लघु कथा

Urmi ने कहा…

बेहद सुन्दर, सार्थक और प्रेरक लघु कथा! उम्दा प्रस्तुती!

Dr Varsha Singh ने कहा…

NICE STORY...

मदन शर्मा ने कहा…

मन पर देर तक प्रभाव छोड़ने में सफल रही कहानी. बधाई.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना।

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

लिव-इन की नकली दुनिया से जब तक नई पीढ़ी कुछ सीख लेगी तब तक वह बर्बाद हो जायेगी.
विवाह का कोई विकल्प नहीं है !

अभिषेक मिश्र ने कहा…

जिम्मेदारियों से विचलन है लिव इन, मगर परंपरागत विवाह बंधन में बंधे उन जोड़ों का क्या जो बेमेल रहते हुए, समझौता करते हुए सारी जिंदगी घुट कर गुजार देते हैं, सिर्फ बच्चों के भविष्य के नाम पर ?

Neeraj Tomer ने कहा…

awesome......... keep delivering gud msgez.

amrendra "amar" ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण रचना।