सत्ताधारी पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र अपने कारों के काफिले के साथ अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर थे . एक गाँव से गुजरते हुए उन्होंने एक दस वर्षीय बालक को अख़बार बेचते हुए देखा .उन्होंने उसे पास आने का संकेत किया .बालक अख़बार की एक प्रति लेकर उनकी ओर तेज़ी से दौड़कर पहुँच गया .और उन्हें अख़बार की प्रति पकड़ा दी .अख़बार लेकर मुस्कुराते हुए पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र ने अपनी जेब से एक हज़ार का नोट निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिया .इस पर वह बालक मुस्कुराते हुए बोला-''नेता जी ..ठीक है आपके शासन में महगाई ने गरीब आदमी की कमर तोड़ दी है .हमारा पूरा परिवार दिन भर मेहनत करके भी दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाता .माँ-बापू रोज़ जहर खाकर मरने के बारे में सोचते हैं .मैं कड़ी धूप ,बारिश , कातिल ठंड में नंगे बदन व् नंगे पैर दिन भर मेहनत करता हूँ पर फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि भारत में अभी अख़बार की एक प्रति की कीमत एक हज़ार रूपये नहीं है .'' यह कहकर वो नोट बिना लिए ही तेज़ी से अपने गंतव्य की ओर दौड़ पड़ा और सत्ताधारी पार्टी प्रमुख के सांसद पुत्र ने एक हज़ार के नोट को मुट्ठी में भींच लिया !
शिखा कौशिक 'नूतन '
3 टिप्पणियां:
.मन को छू गयी आपकी कहानी .आभार अक्षय तृतीया की शुभकामनायें!.अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .
सुप्रभात सहित आपको साफ़ सुथरी लघु कथा के लिए बधाई
ये कहानी प्रेरक है और हमारे चुनाव पर भी करारा तमाचा
सच ... मन को चीर के निकल जाती है ये छोटी सी कहानी ..
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