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शनिवार, 31 अगस्त 2013

मेरी पत्नी की जान -लघु कथा

मेरी पत्नी की जान -लघु कथा
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''माँ ...अगर सुजाता से मेरा विवाह न हुआ तो मैं जहर खा लूँगा !'' सरोज का बेटा वैभव ये धमकी देकर अपने कमरे में चला गया और अन्दर से कुण्डी बंद कर ली तभी सरोज को पतिदेव ने आवाज़ लगाई .सरोज बैठक   में पहुंची तो सोफे पर विराजे लाला हरवंश ने पत्नी को धमकाते हुए कहा - '' समझा दे अपने लौडें को यदि उसने सुजाता से विवाह की जिद नहीं छोड़ी तो मैं ज़हर खा लूँगा !'' सरोज बेटे व् पति की इन धमकियों से घबरा गयी और वही चक्कर खाकर गिर पड़ी . होश  आया  तो वैभव व् पतिदेव पलंग के पास खड़े थे .वो लेटे-लेटे ही हाथ जोड़कर बोली -'' पहले मुझे जहर ला दो फिर दोनों जो चाहो वो कर लेना !'' वैभव रोते हुए बोल -'' ..नहीं माँ ऐसा मत कहो ...तुम्हारे लिए मैं अपने प्रेम का बलिदान कर दूंगा .'' लाला हरवंश अपनी मूंछें एंठते हुए बोले -'' ...अबे रहने दे बलिदान ...सुजाता आती ही होगी अपने पिता के साथ ..मैंने फोन करके बुलवाया है ...आज ही शादी की तारीख पक्की किये देता हूँ .तेरी  भावी पत्नी के चक्कर में मेरी पत्नी की जान न चली जाये .'' बाप-बेटे की बातें सुनकर सरोज के दिल को सुकून आ गया .

शिखा कौशिक 'नूतन'

5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

sach me agar dimag se aham door ho jaye to jeevan me prem aur sneh ka ujala chha jaye .nice short story .

Ramakant Singh ने कहा…

सुन्दर सन्देश देती कथा

Arun sathi ने कहा…

sahi nirnay

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति-
शुभकामनायें आदरणीया-

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा प्रेरक कथा,,,

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