इक्कीस वर्षीय मुस्कान के गाल पर उसकी दादी ने जोरदार तमाचा जड़ते हुए कड़े शब्दों में पूछा -'' बोल बेहया कहाँ है ख़ुशी ? बताती है या नहीं ...ज़िंदा गाड़ दूँगी ज़मीन में ...हरामजादी खुद भी नखरे दिखाने लगी है और छोटी बहन को भी भगा डाला ..'' ये कहते कहते दादी ने मुस्कान की चोटी कस कर पकड़ ली .असहनीय दर्द से मुस्कान चीख उठी पर दांत भींचते हुए बोली -'' कर ले डायन जो करना है ...ख़ुशी अब आज़ाद है .वो मेरी तरह घुट-घुट कर रोज़ नहीं मारेगी ..मेरी देह का रोज़ सौदा करने वाली डायन मैंने तेरे अरमानों पर पानी फेर दिया .सारी दुनिया अपनी बेटियों की इज्जत के लिए मरने-मारने को तैयार रहती है और तूने मुझे इंसान से माल बना दिया ..उस पर बदचलन भी मैं ?..कितने में बेचा है मुझे उस दलाल को बता डायन ?'' मुस्कान के ये पूछते ही एक और जोरदार तमाचा उसके गाल पर लगा .कुछ देर के लिए उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया .होश आने पर उसने देखा उसका बाप सामने खड़ा था .ये तमाचा उसने ही मारा था .मुस्कान ने थोडा आगे बढ़कर उसके मुंह पर थूक दिया और लड़खड़ाती हुई बोली -'' तू भी मार ले पर याद रख यदि मैं न होती तो तू गाड़ियों में कैसे घूमता ,ऐय्याशी कैसे करता ...बेशरम तू ही बता दे कितने में बेचीं है मेरी देह ?'' मुस्कान के बाप ने मुंह पर से थूक हटाते हुए पलक झपकते ही मुस्कान की गर्दन पर अपना पंजा कस दिया और बोला -'' चुप हो जा छिनाल वरना यही तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा ..याद नहीं पिछली बार कैसे गरम पानी उड़ेला था तुझ पर वो तो तेरी माँ बीच में आ गयी वरना तेरे बदन को उसी दिन जला डालता ...इतराती है खुद पर सब इतराना निकाल दूंगा ...हां बेच दिया है हमने तुझे .....ये कहते कहते मुस्कान के बाप ने उसके पेट पर जोरदार लात दे मारी और बोला -'' हमारे पेट पर लात मारेगी तो ऐसी ही लात लगेंगी तेरे ..बता कहाँ है ख़ुशी ?'' मुस्कान पेट पकड़कर दर्द से बिलबिलाती हुई ज़मीन पर गिर पड़ी और कराहते हुए बोली -'' ज़ालिमों स्टोर रूम देख लो ..फांसी पर लटकी हुई है ख़ुशी और अब मैं भी नहीं बचूंगी क्योंकि मैंने भी ज़हर खा रखा है .'' ये कहते कहते मुस्कान के मुंह से झाग निकलने लगे .तभी उसकी माँ कमरे के पीछे से निकलकर दौड़कर उसके पास पहुँच गयी और उसका सिर अपनी गोदी में रख लिया .मुस्कान ने जरा सी आँख खोली और माँ को देखा .माँ बदहवास हो रही थी .मुस्कान फुसफुसाते हुए बोली -'' माँ प्रार्थना करना ऐसे घरों में कभी कोई लड़की न पैदा हो जो लड़की से धंधा करवाते हैं ............................'' ये कहकर मुस्कान ठंडी पड़ गयी और माँ की आत्मा चीत्कार कर उठी .आज एक ओर एक माँ की कोख उजड़ गयी थी ओर दूसरी ओर दलालो की तिजोरी .
शिखा कौशिक 'नूतन
2 टिप्पणियां:
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KAHANI ACHCHHI HAI LEKIN ZINDAGI KA YE KOI HAL NAHIN HAI
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