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शनिवार, 31 जनवरी 2015

तो नैना हमारे साथ होती ..!


[published in ravivani [janwani sunday magazine] on 1 feb 2015]
शानदार कोठी के लॉन में कुर्सियों पर आमने-सामने बैठी हुई नैना और पुनीता की जैसे ही आँखें मिली पुनीता गंभीरता की साथ बोली -'' हमेशा अपने ही बारे में सोचती रहोगी या कभी किसी और के बारे में भी सोचोगी ?'' आज पुनीता ने अपने स्वभाव के विपरीत नैना के निर्णय को चुनौती देते हुए ये कहा था क्योंकि किसी के जीवन से सम्बंधित फैसलों में हस्तक्षेप करना पुनीता को कभी पसंद नहीं था .इसीलिए नैना थोड़ा विस्मित होते हुए बोली -'' पुनीता ....ये तुम कह रही हो !!तुम तो हमेशा से यही कहती आई हो कि औरत को अपने बारे में भी सोचना चाहिए . हो सकता है मेरा तीसरी शादी करने का निर्णय इस समाज की सोच से कहीं आगे की बात हो ...बट इट्स माय लाइफ एंड आई थिंक इट्स ए राइट डिसीजन .''
नैना के इस प्रत्युत्तर ने पुनीता को विचलित कर दिया और वो पहले की अपेक्षा और ज्यादा कड़क होते हुए बोली -'' राइट डिसीजन ...माय फुट ..एक बार भी अपने चौदह वर्षीय बेटे अभि के बारे में सोचा है ?क्या है उसके पास ? स्वर्गवासी पिता की यादें और तुम ...बदकिस्मती से पिता का प्यार उसे बचपन से ही नहीं मिल पाया ...केवल दो साल का था अभि जब राम चल बसे थे नैना उसने केवल तुमसे प्यार पाया है और अब एक नए व्यक्ति को लाकर अभि के जीवन में थोप देना चाहती हो तुम ? क्या सोचती हो तुम ...अभि के लिए ये सब इतना आसान है ?वो उस नए व्यक्ति को पिता मान पायेगा ? वो बर्दाश्त कर पायेगा कि जिस माँ पर पिछले बारह साल से केवल उसका हक़ था अब वो किसी और के साथ एडजस्ट करे.......नैना यू आर मैड ..अभि बहुत भावुक बच्चा है .तुमने शायद नोट नहीं किया वो अखबार में ,टी.वी.चैनल्स पर तुम्हारे और मिस्टर शेखर के अफेयर की खबरे पढ़-सुन कर असहज हो जाता है .तुम कैसी माँ हो जो बच्चे के बिहेवियर में आ रहे बदलाओं को महसूस नहीं कर पाती हो .अरे हां ...यू आर इन लव और इस चालीस पार के प्यार के चक्कर में भले ही अभि के दिल के टुकड़े टुकड़े हो जाये ..इसकी तुम्हे रत्ती भर भी चिंता नहीं.'' पुनीता के इस व्यंग्य पर नैना को इतना क्रोध आया कि वो अपनी बेस्ट फ्रेंड पर चीखते हुए बोली -शट अप पुनीता ...चुप हो जाओ ...अभि से बढ़कर मेरे लिए कोई नहीं ..मैंने देखा है उसे पिता के प्यार के लिए तरसते हुए ..शेखर बहुत बड़े दिल वाले हैं .वो अपनी एक्स वाइफ को भी पूरा सम्मान देते हैं अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखते हैं .वो तो बच्चों को अपने पास रखना चाहते थे पर कोर्ट ने उनके बच्चों को उनकी एक्स वाइफ की कस्टडी में दे दिया .कितना बिजी रहते हैं शेखर पर जब भी हम मिलते हैं तब सबसे पहले अभि के बारे में ही पूछते हैं .अभि और शेखर कई बार मिल चुके हैं और मुझे नहीं लगता दोनों के बीच कुछ भी असहज है .''
पुनीता नैना की बात पर असहमत होते हुए बोली -'' माई डियर ...इतनी भोली नहीं हो तुम ..सबसे पहले अभि को पूछते हैं ...नैना शेखर जानते हैं कि तुम्हारा दिल जीतना है तो अभि की बात करनी ही होगी .ये अभि के प्रति स्नेह नहीं तुम्हारे प्रति आकर्षण का परिणाम है .ये एक पिता के भाव नहीं प्रेमी के भाव है ....बेवकूफ ...तुम बँट कर रह जाओगी नैना .क्या अभि को दे पाओगी पहले जैसा प्यार ?'' नैना लापरवाह सी होकर बोली -'' हां हाँ क्यों नहीं ..अभि हॉस्टल से आता ही कितने दिन के लिए है घर ...तुम नाहक परेशान हो रही हो ..ये मिडिल क्लास मैंटेलिटी है ..बच्चे के लिए पूरा जीवन विधवा बन कर काट दूँ तब तुम्हे चैन आएगा ! इतनी बड़ी कम्पनी की सी.ई.ओ . हो कर भी तुम्हारी सोच इतनी बैकवर्ड कैसे हो सकती है पुनीता ?'' पुनीता नैना की इस बात की हंसी उड़ाते हुए बोली -'' बैकवर्ड ...हा हा हा ..तुम्हे याद है नैना जब घरवालों की मर्जी से हुई तुम्हारी पहली शादी टूटी थी तब सब तुम्हारे खिलाफ थे पर मैंने तुम्हारा साथ दिया था क्योंकि मैं जानती थी कि साहिल उन मर्दों में से था जो औरत को पैर की जूती समझते हैं फिर तुम बिजनेस वर्ल्ड में नाम कमाते हुए डॉ. राम से दिल लगा बैठी .तब तुम दोनों की शादी की सारी व्यवस्था मैंने ही की थी .तुम्हारे घरवाले इस अंतर्जातीय शादी के खिलाफ थे . तुम्हे याद है या नहीं ...तुम्हारे भाई ने मुझे गोली मार देने की धमकी तक दी थी पर मैं डरी नहीं थी पर आज हालात अलग हैं माइ डियर ! आज अभि मेरे चिंतन के केंद्र में है .मैं नहीं चाहती कि तुम एक ख़राब माँ साबित हो .कल को तुम्हारा बच्चा तुम पर ये आरोप लगाये कि मेरी माँ ने अपनी लाइफ के बारे में तो सोचा पर मेरी नहीं .हॉस्टल में रहकर भी उसे ये सुकून रहता है कि उसकी माँ उसकी हर ख़ुशी-तकलीफ बाँटने के लिए लालायित होगी पर चौदह वर्षीय किशोर को ये समझाना बहुत मुश्किल है कि उसकी माँ किसी पुरुष से उसके हितार्थ शादी कर रही है .नैना ..नैना तुम क्यों नहीं समझती ....आखिर कब तक तुम अपने जीवन की सम्पूर्णता के लिए किसी पुरुष का सहारा लेती रहोगी ...तुम अब एक औरत नहीं ..एक माँ हो ...और ये कोई बैकवर्ड सोच नहीं ..ये सबसे बड़ा सत्य है ...जिस बच्चे को जन्म देकर इस संसार में लायी हो उसके अधिकारों के बारे में भी सोचो ..उसको भी इस समाज में मुंह दिखाना पड़ता है ..तुम्हारे हर आचरण की आंच उस पर पड़ती है .पिछली बार जब मिली थी मैं उससे तब बता रहा था मुझे कैसे उसके सहपाठी तुम्हारे और शेखर के अफेयर को लेकर तंज कसते हैं उस पर ...नैना माना बच्चा स्वार्थी होता है .वो माँ के प्यार को किसी के साथ नहीं बाँट सकता पर माँ तो स्वार्थी नहीं होती ना ..'' पुनीता के ये कहते ही नैना गुस्से में बौखलाते हुए कुर्सी से खड़ी होते हुए बोली -पुनीता दिस इज़ टू मच....तुम मेरी लाइफ में कुछ ज्यादा ही हस्तक्षेप कर रही हो ...मैंने कभी पूछा तुमसे कि तुमने शादी क्यों नहीं की ....फिर तुम क्या जानों बच्चे और माँ के बीच के सम्बन्ध को ? मेरा अभि उसमे ही खुश है जिसमे मैं खुश हूँ ...नाउ लीव मी एलोन फॉरेवर !'' नैना के ये कहते ही पुनीता कुर्सी से उठकर कड़ी हो गयी और अपना पर्स उठकर बिना कुछ कहे वहां से निकल ली .कार से लौटते समय पुनीता ने मन में निश्चय किया कि अब नैना से कभी नहीं मिलेगी .पुनीता का निश्चय डोल भी जाता यदि नैना उससे मिलने आ जाती या केवल एक कॉल कर देती पर नैना ने ऐसा कुछ नहीं किया .अख़बारों और टी.वी. चैनल्स पर नैना और शेखर की शादी की तस्वीरें प्रमुखता से प्रकाशित व् प्रसारित की गयी .आखिर क्यों न होती ...शेखर राजनीति का चमकता हुआ सितारा था और नैना बिजनेस टायकून पर पुनीता की नज़र ख़बरों में ...फोटो में ढूंढ रही थी अभि को ..जो कहीं नहीं था .एक साल बीता ,दो साल बीते .बीच में एक बार पुनीता देहरादून किसी काम से गयी तब अभि से मिलने गयी थी उसके स्कूल .माँ को लेकर उसका ठंडा रिएक्शन देख कर अंदर से कांप उठी थी पुनीता .बेटे का ये रिएक्शन सह पायेगी नैना ? प्रश्न ने झनझना डाला था पुनीता के दिल और दिमाग को और एक दिन टी.वी. ऑन करते ही उस पर प्रसारित ब्रेकिंग न्यूज़ देखकर पुनीता का दिल धक्क रह गया था . खबर ही ऐसी थी .नैना एक पांच सितारा होटल में मृत पाई गयी थी .शेखर पार्टी के एक सम्मलेन के चक्कर में उस होटल में नैना के साथ ठहरे हुए थे .नैना के चिकित्सीय परीक्षण को लेकर तरह-तरह की खबरे आ रही थी .नैना ने आत्म-हत्या की या उसकी हत्या हुई -इसको लेकर मीडिया डॉक्टर से लेकर पुलिस विभाग तक की भूमिका स्वयं ही निभा रहा था पर पुनीता जानती थी कि नैना की हत्या नैना ने ही की है .पुनीता जानती थी अभि से कितना प्यार करती थी नैना इसीलिए शेखर से उसके विवाह पर एतराज था पुनीता को . खबर देखकर सबसे पहले यही विचार आया था पुनीता के दिल में ''नहीं कर पाई ना नैना बर्दाश्त बेटे का उपेक्षापूर्ण बर्ताव ! अभि का दोष नहीं है ..वो शेखर को जीवन में स्थान दे सकता था पर पिता का मान ..बहुत मुश्किल था .इधर बेटे के दिल में अपने लिए घटते प्यार और उधर शेखर की बेवफाई का कल्पित भय .......कितना उलझकर रह गयी थी तुम नैना ! अभी कुछ दिन पहले ही तो अख़बारों और सोशल मीडिया में छा गया था तुम्हारा शेखर का एक और महिला के साथ मिलने-जुलने को लेकर किया गया ट्वीट ....नैना तुम खोखली हो गयी थी और इसका अनुमान मुझे पहले से था ...खोखलापन कहाँ जीने देता है इंसान को !उसी का परिणाम है ये हादसा .'' पुनीता ने ये सोचते सोचते मुंह अपनी हथेलियों से ढँक लिया था और रो पड़ी थी .
नैना की तेरहवी पर जब उसकी कोठी पर पहुंची थी पुनीता तब अभि दौड़कर आया था पुनीता के पास और उसने पूछा था -'' मौसी व्हाई मॉम हैज़ डन दिस ? ....मेरा भी ख्याल नहीं किया .'' पुनीता उसे सांत्वना देते हुए बोली थी -'' रोओ नहीं बेटा ..यही ईश्वर की इच्छा थी !'' पर मन में पुनीता के बस इतना आया था '' अभि तेरा ख्याल किया होता तो शायद नैना हमारे बीच ही होती आज .''


शिखा कौशिक 'नूतन'

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

very nice story and right view about naina .

Kailash Sharma ने कहा…

नारी मन के संघर्ष का बहुत सटीक चित्रण...बहुत प्रभावी कहानी

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत सुंदर और रोचक कहानी, बधाई हो |