जून के माह में शाम को बगीचे में आराम कुर्सी पर बैठकर हुक्का गुडगुडा रहा था .दोनों पोते वहीँ उधम मचा रहे थे .हनी व् सनी के खेल में मुझे भी मज़ा आने लगा था .सात वर्षीय हनी अकड़ते हुए बोला -'' सनी तू मेरे से एक साल छोटा है ...तू चोर बनेगा और मैं इंस्पेक्टर .चल भाग ....मैं पकड़ता हूँ तुझे .''इसके बाद दोनों मेरी आराम कुर्सी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगे .सनी बगीचे से निकलकर अन्दर घर की ओर भाग लिया .हनी उसके पीछे पीछे भाग लिया .सनी उसे चकमा देकर फिर से बगीचे में मेरे पास आ गया .मैंने उसे एक ओर इशारा करते हुए कहा- ''वहां छिप जा ....मैं नहीं बताऊंगा .'' सनी हाँफते हुए बोला -'' अरे नहीं दददू ....छिपने की जरूरत नहीं ...आप मुझे दस का नोट दे दीजिये ..मैं अभी हनी को रिश्वत देकर छूट जाता हूँ .'' सनी की बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गया कि पुलिस की छवि बच्चे - बच्चे के दिमाग में क्या बन चुकी है ! मैंने हल्की सी चपत सनी के गाल पर लगाई तभी पीछे से हनी ने सनी को आकर पकड़ लिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'
16 टिप्पणियां:
करार व्यंग है ... आज का सत्य भी तो यही है ...
आज भी पुलिस की छवि यही है ,,,
recent post : ऐसी गजल गाता नही,
सही कहा पुलिस की छवी कभी गिर गयी है... बहुत गभीरता से सोचने की जरुरत है ...अच्छी कहानी.
सही कहा पुलिस की छवी कभी गिर गयी है... बहुत गभीरता से सोचने की जरुरत है ...अच्छी कहानी.
thanks everyone to comment on this blogpost .
विचारणीय रोचक कहानी .आभार . ''शादी करके फंस गया यार ,...अच्छा खासा था कुंवारा .'' साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
सही चित्रण !
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शिखा जी करार व्यंग .... बधाई
पुलिस की छवी गिर गयी है.
बहुत ही मनोरंजक तथा व्यंग्यात्मक लघु कथा. आभार
बहुत ही मनोरंजक तथा व्यंग्यात्मक लघु कथा. आभार
ye humare sarkaar ki niyati hai.
aap sabhi ka aabhar
क्या खूब व्यंग है...
क्या खूब व्यंग है...
हकीक़त नहीं फिर भी सच के करीब ****** बेहतरीन लघु कथा
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