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शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

हमारा मज़हब मुहब्बत है -कहानी

हमारा मज़हब मुहब्बत है -कहानी

कोठरीनुमा कमरे में चारपाई पर बेसुध पड़ी सोलह वर्षीय किशोरी सीमा के सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए उसकी विधवा माँ राधा ने धीमे से कहा -'' सीमा देख कौन आया है ? देख तेरे रहीम चाचा आये हैं ...''माँ की कही बात पर तीन दिन से भूखी-प्यासी पड़ी सीमा ने पलकें हल्के से उठाई और फुसफुसाई -'' चाचा ..मैं पढने नहीं जाउंगी ...मेरे भाई मेरे कारण क़त्ल हो गए ...न मैं पढने जाती ..न कोई मुझे छेड़ता और ना मेरे भाई मेरे कारण उससे लड़ते....ना क़त्ल किये जाते !''बस इतना कहकर सीमा फिर से बेसुध हो गयी .रहीम चाचा की आँखें भर आई और दिल भी .वे भरे गले से बोले -''बच्ची की इस हालत के जिम्मेदार हम भी हैं राधा भाभी ...छेड़छाड़ मज़हबी दंगें का रूप ले लेगी इसका तो किसी बन्दे को गुमान भी न था .खुदा जानता है दोनों बच्चों के क़त्ल के बाद से मेरे घर में भी चूल्हा नहीं जला . कौन इस क़त्ल-ए- आम को सही ठहरा सकता है ?....पर हादसा ...हादसा न रहकर नफरत के खूनी खेल में बदल गया .मासूमों को क़त्ल किया गया ...किसने देखा कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान ...बस काट फेंकने का जूनून !अल्लाह की कसम दिल से यही बददुआ निकलती है जिसने भी मासूमों को काटा है ,घर जलाएं हैं ताउम्र सुकून से न रह पायें वो ज़ालिम !..उस पर ये मासूम बच्ची दोनों भाइयों के की मौत का ज़िम्मेदार खुद को मानकर बदहवास हुए जा रही है .भाभी जान कुछ कीजिये वरना ये अपनी जान दे देगी !''रहीम भाई ने ये कहकर दुआ में हाथ उठाए और भारी मन से उस कोठरीनुमा कमरे से बाहर आ गए .सुहाग तो पहले ही लुट चूका था और अब दो-दो बेटों के क़त्ल किये जाने की दर्दनाक घटना ने राधा को तोड़ डाला था .इधर बेटी सीमा दोनों भाइयों के क़त्ल का ज़िम्मेदार खुद को मानकर भोजन-जल त्यागकर मृत्यु को स्वयं निमंत्रण दे रही थी .राधा की आँखों में आँसूं भर आये .राधा सीमा के सिरहाने बैठ उसके मुँह पर आये बाल हटा ही रही थी कि उसे शोर सुनाई दिया . वो तेजी से चौखट की ओर बढ़ी .सामने का नज़ारा देख वो चौखट पार कर के सड़क पर पहुंची .रहीम भाई को उन्मादी हिन्दू भीड़ ने घेर रखा था .राधा का देवर भीष्म हाथ में ईट लिए गला फाड़कर चीख रहा था -''मारो साले को ...मार डाला इन कट्टर लोगों ने मेरे भाई की निशानियों को !....क्या गलत कर रहे थे वो ...बहन की रक्षा करना ..उसके साथ छेड़छाड़ करने वाले को सबक सिखाना क्या गलत काम है ?उजाड़ डाला मेरे भाई का घर ...मैं भी नहीं छोडूंगा . ''ये कहते हुए भीष्म ने पूरी ताकत के साथ ईट रहीम भाई की ओर उछाल दी .तभी राधा बीच में आ गयी और वो ईट उसके सिर पर जा लगी .ईट इतनी जोर लगाकर फेंकी गयी थी कि राधा के सिर पर लगते ही सिर से खून निकलना शुरू हो गया .राधा वहीँ चीखकर सिर पकड़कर बैठ गयी .रहीम भाई ने जेब से रुमाल निकालकर तुरंत राधा के सिर पर बांध दिया .रहीम भाई की ओर देखते हुए राधा बोली -'' मार डालो अब इन्हें मार डालो ...भीष्म भूल गया जब तेरे भाई स्वर्ग सिधारे थे तब रहीम भाई ने ही बिना किसी लालच के हमारी मदद की थी ..चूल्हा नहीं जला था इनके घर उस दिन ! हमसे ज्यादा ये रोये थे उनकी मौत पर ! तुझसे ज्यादा सीमा के भाईयों को कंधे पर बिठाकर घुमाया है इन्होंने .कुछ हैवानों के दरिंदगी की सजा क्या रहीम भाई की पूरी कौम को देकर मेरे बेटे जिंदा हो जायेंगें ...भीष्म धीरज रख ...मेरी कोख तो उजड़ चुकी है अब किसी और माँ की कोख न उजड़ने दे .'' ये कहकर राधा ने सारी भीड़ के आगे हाथ जोड़ दिए .इतने में रहीम भाई के बेटा-बेटी व् पत्नी ज़ाहिदा भी वहां बदहवास भागते हुए आ पहुंचे . ज़ाहिदा सबके आगे हाथ जोड़ते हुए बोली -''अल्लाह गवाह है हमने कभी अपने और राधा भाभी के घर में फर्क नहीं रखा .ईद-दीवाली साथ मनाई .फिर आज .....ये सब क्या हो रहा है ! पहले ही हमारे दो बेटे मौत के घाट उतार दिए गए ...बिटिया भूखी-प्यासी मरने की जिद किये पड़ी है और हम मज़हब को लेकर बैठे हैं ! दोनों भाइयों के क़त्ल से मेरे बेटा-बेटी सहमे हुए हैं ...रो -रोकर आँखें सुजाये जा रहे हैं ...उन दोनों का फोटो दिल से लगाये आहें भर रहे हैं ...मुझसे ज्यादा राधा भाभी की बात मानते हैं दोनों मेरे बच्चे ! बेटी समीना पूछती है ''मेरी राखी अब किन कलाइयों पर बधेंगी अम्मी ?...और बेटा जुनैद कहता है ''ईद पर गले मिलने अब कौन आएगा अम्मी ?...भाइयों उन्मादी मत बनो ...हम हिन्दू-मुस्लिम परिवारों की मुहब्बत इतनी कमजोर नहीं जो ऐसी नफरत की आँधियों में उड़ कर बिखर जाये .इंशाल्लाह आगे भी हम सबकी मुहब्बत कायम रहेगी !'' ज़ाहिदा के चुप होते ही रहीम भाई ने दुआ में हाथ उठाते हुए -'' आमीन'' कहा तो भीष्म तेज़ी से उनके पास आकर गले लग गया .राधा का ध्यान तभी घर की ओर गया .सीमा सरक-सरक कर चौखट तक आ गयी थी राधा दौड़कर उसके पास पहुंची और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया .राधा के पीछे पीछे सारी भीड़ व् रहीम भाई सहित उनका परिवार भी वही पहुँच गया .सीमा सूखे गले से फुसफुसाते हुए बोली -''माँ ...मुझे बहुत प्यास लगी है ...जुनैद से कहो मुझे पानी पिलाएगा ..अब मेरा एक ही भाई तो बचा है !'' सीमा की बात सुनकर वहां उपस्थित सारी भीड़ की आँखे भर आई और जुनैद ने भ्रात -धर्म का पालन करते हुए समीना द्वारा लाया गया पानी भरा गिलास बहन सीमा के सूखे होठों से छुआ दिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

hriday ko gahraai tak jhakjhor gayi aapki kahani .very nice expression of feelings .