सिया ने माँ से पूछा -'' मैं कालेज की फ्रेंड्स के साथ बाहर कैम्प में चली जाऊं माँ दो दिन के लिए ?'' माँ बोली -'' पिता जी से पूछो ? '' सिया रसोईघर से कमरे में आई और पिता जी से पूछा कैम्प में जाने के लिए तो वे भड़क कर बोले -'' अरे सिया की माँ ! तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़ गए हैं जो बकवास बातों के लिए बेटी को मेरे पास मुझसे पूछने भेज देती हो . तुम्हे पता नहीं मैं इस सबके लिए कभी आज्ञा नहीं दूंगा !'' सिया की आँखों में पानी आ गया वो रोते हुए रसोईघर में चली गयी .सिया ने देखा माँ की आँखों में भी नमी थी .सिया को लगा उसने आज बहुत बड़ी गलती कर दी .उसके कारण माँ को भी पिता जी से डांट खानी पड़ी . तभी सिया का दो वर्ष छोटा भाई शोर मचाता हुआ घर में आया और पिता जी से बोला -'' पिता जी मुझे कालेज फ्रेंड्स के साथ बाहर जाना है कैम्प में .मैं चला जाऊं ? '' पिता जी मुस्कुराते हुए बोले -'' इसमें भी कोई पूछने के बात है बेटा ? इस उम्र में मस्ती नहीं करोगे तो क्या हमारी उम्र में करोगे .'' सिया ये सारा वार्तालाप सुनकर मन ही मन खुद को कोसते हुए बोली -'' गलती मैंने नहीं भगवान ने की है ...मुझे लड़की बनाकर .'' और माँ से लिपट कर फिर से रो पड़ी !
शिखा कौशिक 'नूतन'
3 टिप्पणियां:
bahut sundar kahani
गलती भगवान की नहीं हमारी सोच की है जो लडके और लड़की की परवरिश में अंतर करती है...
यही भेद आपसी दूरियों बढ़ता है..
सार्थक प्रस्तुति
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