मिठाई वाले मुंह कडवे हो गए !-एक लघु कथा | सर्वाधिकार सुरक्षित |
दूसरे गाँव में ठेकेदार के साथ आये मजदूरों ने दिन भर की हाड़तोड़ मेहनत कर लाला जी की नई कोठी के लेंटर का काम निपटाया तो लाला जी ने मिठाई मंगवाकर सबमें बटवाई .सब मिठाई खा ही रहे थे कि ठेकेदार का मोबाइल बजा .ठेकेदार ने कॉल रिसीव की और मजदूरों में से मुन्ना को ऊँगली के इशारे से बुलाया .पसीने से तर- बतर मुन्ना दायें हाथ में मिठाई पकडे दौड़कर आया .ठेकेदार मोबाईल उसको पकड़ाते हुए बोला - ''तेरी घरवाली का फोन है .'' मुन्ना ने बाएं हाथ से मोबाइल पकड़ते हुए पूछा-'' के हो गया ...फून क्यूंकर किया तूने ?'' उधर से उसकी घरवाली रोते हुए बोली -'' अजी के बताऊँ ...जिब से तम गए यहाँ सी बारिश चले जा री .. म्हारी कच्ची छत गिर पड़ी ..मैं तो बब्बू को ले के सामने वाले के मकान की दहलीज़ पे बैठी सी ..किब लो आलोगे तम ?'' घरवाली के पूछने पर मुन्ना बस इतना उत्तर दे पाया -'' तवली आ लूँगा .'' ये कहकर फोन काट दिया .ठेकेदार को मोबाइल पकड़ाकर एक बार मुन्ना ने लाला जी के नए लेंटर पर नज़र डाली और अपने मजदूर भाइयों के पास पहुंचा .मजदूर भाइयों के फोन आने का कारण पूछने पर जब उसने अपनी छत गिरने की बात बताई तो सभी मिठाई वाले मुंह कडवे हो गए !
शिखा कौशिक 'नूतन'
4 टिप्पणियां:
ye sachchai hai .
सच मुंह कड़वे हो गए... अच्छी कहानी .
सच मुंह कड़वे हो गए... अच्छी कहानी .
सच मुंह कड़वे हो गए... अच्छी कहानी .
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