इत्मिनान की साँस -short story सर्वाधिकार सुरक्षित |
''सौम्या कहाँ है ?'' रमेश ने सुमन को कड़कदार आवाज़ लगाते हुए पूछा .सुमन आटा मांडना बीच में छोड़कर हडबडाती हुई रसोईघर से निकलते हुए ड्राइंग रूम में प्रवेश करते हुए बोली -'' आती ही होगी ...मार्किट गयी है ...अभी शाम के साढ़े पांच ही तो बजे हैं !'' रमेश उबलता हुआ बोला -'' पांच बजे या चार ...लड़की का ज्यादा देर घर से बाहर रहना ठीक नहीं .....दिल्ली तक में बुरा हाल है ..यहाँ के माहौल का क्या कहना ...?'' सुमन रमेश को ठंडा करते हुए बोली -'' चिंता मत करो छोटू गया है उसके साथ .'' रमेश इत्मिनान की साँस लेता हुआ बोला '...सौम्या की माँ तू भी पगली है ...ये बात पहले बतानी चाहिए थी ...चलो ठीक है !'' ये कहकर रमेश निश्चिन्त होकर देवी माँ के संध्या-वंदन की तैयारी में जुट गया .
शिखा कौशिक 'नूतन '
3 टिप्पणियां:
BILKUL SAHI STHITI DIKHAYI HAI .NICE SHORT STORY .
सटीक कथ्य-
सही है,
बढिया
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