गैंगरेप के केस में एक अपराधी को नाबालिग होने के कारण मात्र तीन वर्ष की सज़ा सुनाई गयी और अन्य अपराधियों को फाँसी की सज़ा . नाबालिग अपराधी की माँ दुआ में हाथ जोड़ते हुए बोली -'' अल्लाह तेरा शुक्र है तूने मेरी औलाद को जिंदगी बख्श दी .'' तभी उसे लगा कोई उसके कान में कह रहा है -'' ज़लील औरत तेरी औलाद ने ऐसा कुकर्म किया है कि अल्लाह उसे कभी माफ़ नहीं कर सकता !बेहतर होता तू खुद उसके लिए फाँसी की मांग करती ...खैर ...गुनाहगार का साथ देने वाली तूने उस बिटिया के लिए भी कभी दुआ में हाथ उठाए जो तेरी औलाद की दरिंदगी की शिकार हुई ...नहीं ना ! जा आज से तू भी अल्लाह की नज़र में गुनाहगार हो गयी !!'' नाबालिग अपराधी की माँ के दुआ के लिए उठे हाथ शर्मिंदगी में खुद-बी-खुद अलग हो गए .
शिखा कौशिक 'नूतन'
5 टिप्पणियां:
bahoot badhiya likha aapne. Please keep on writing:)
good work.
bahoot badhiya likha aapne....great work. Keep up the good writing;)
Bachche ke banne ya bigadne ke peeche maan ka sabse bada role hota hai.
बहुत मार्मिक ... पर माँ को अपनी ओलाद के आगे कुछ दिखता भी तो नहीं है ... क्या माँ होना उसका कसूर है ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लागर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शनिवार हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल :007 http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर ..
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