''अजी सुनते हो .....मुझे तो नयी बहू के लक्षण अच्छे नहीं लगते ..'' मित्तल बाबू की धर्मपत्नी अपने इकलौते पुत्र की नयी -नवेली दुल्हन के बारे में पतिदेव से शिकायत करती हुई बोली .मित्तल बाबू अखबार पढ़ते हुए उदासीन भाव से बोले -'' एक महीना भी पूरा नहीं हुआ बेटे के ब्याह को और तुम्हारी ये चुगलियां शुरू .अब बस भी करो .क्या गलत दिख गया बहू में ?'' मित्तल बाबू की बात पर नाक-भौ सिकोड़ते हुए उनकी धर्मपत्नी मिर्च भरी जुबान से बोली -''चुगलियां .....पता भी है कल नल ठीक करने वाला मिस्त्री आया था और ये आपकी लाड़ली बहू बिना मुंह ढके हंस-हंस कर बतिया रही थी उस गैर-मर्द से ...सरम भी तो आवै है कि नहीं !'' मित्तल बाबू अख़बार मोड़कर सामने रखी मेज़ पर पटककर रखते हुए बोले -'' शर्म की ठेकेदार धर्मपत्नी जी जब पुरुष टेलर के यहाँ जाकर खुद को नपवाती हो तब शर्म कहाँ जाती है और चूड़ीवाले से चूड़ी पहनते समय भी शर्म आती है तुम्हे ....नहीं ना ..तब बहू के लक्षण की बात रहने ही दो तुम ...व्हाट नॉनसेंस !'' मित्तल बाबू ये कहते हुए खड़े हुए और वहाँ से चल दिए .उनकी धर्मपत्नी उनके जाते ही सिर पर हाथ रखते हुए बोली -'' ये तो लल्लू हैं क्या जाने सरम क्या होवै है !!!''
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
:)
VERY NICE .
सीख देती नोकझोक बेहतरीन
ये सब दकियानूसी बाते है ...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
इंसान अपने सौ खून भी माफ़ कर सकता है...पर दूसरों की कमियां निकलने में उसे बहुत मज़ा आता है...
चुटीली .. साथ ही गहरी बात कहती ...
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