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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

शालीनता-लघु कथा


हाथ में कमल लिए ,अकड़ी हुई गर्दन और अभिमानी भावों से युक्त मुखमंडल के साथ गरीबों से भेंट करने पहुंचे मुख्यमंत्री जी ने एक गरीब युवक से पूछा -''क्या समस्या है बताओ ?''पूछने का अंदाज़ ऐसा था कि युवक ने घबराकर हाथ जोड़कर कहा -'' कुछ नहीं साब ..सब ठीक है .'' मुख्यमंत्री जी कुटिल मुस्कराहट के साथ बोले -'' देखो मैं भी चाय बेच- बेचकर यहाँ तक पहुंचा हूँ .मेहनत करो ...मेहनत ..'' ये कहकर ज्यों ही मुख्यमंत्री जी आगे बढे एक बुजुर्ग गरीब आदमी युवक के कंधें पर हाथ रखते हुए बोला -'' बेटा ..केवल मेहनत से नहीं और भी बहुत कुछ करके ये यहाँ तक पहुंचे हैं .जब गरीबी से उठकर इन मुख्यमंत्री जैसे लोग गरीबों का दर्द नहीं महसूस करते तब और किससे उम्मीद कर सकते हैं...पर तू हिम्मत न हार . '' तभी वहाँ जमा भीड़ में कुछ सुगबुगाहट होनी लगी और सभी पटेल चौराहे की ओर चल पड़े .वहाँ राष्ट्रीय पार्टी के उपाध्यक्ष जी आये हुए थे .गरीब युवक ने ज्यों ही उनसे हाथ मिलाना चाहा एस.पी.जी. के सुरक्षाकर्मी ने उसे दूर हटा दिया .उपाध्यक्ष जी ने ये देख लिया और सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उस युवक से हाथ मिलाते हुए पूछा -''क्या समस्या है बताइये आप ?'' बोलने का लहज़ा इतना विनम्र था कि मुख्यमंत्री जी के कड़वे व्यवहार से उस युवक के ह्रदय पर लगे अपमान के घावों पर ज्यों किसी ने मरहम लगा दिया हो .गरीब युवक हाथ जोड़ते हुए बोला -'' भैय्या जी बेरोजगारी से परेशान हूँ ...कुछ कीजिये !'' उपाध्यक्ष जी बोले -'' हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं हैं ..मैं जानता हूँ कि आप लोग हाड़ तोड़ मेहनत कर के भी दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं .कई योजनाएं चालू कर दी गयी है और कुछ होने वाली हैं .संपन्न परिवार में जन्म लेने के कारण मुझे कभी भूखे नहीं सोना पड़ा पर मैं उस दर्द को महसूस कर सकता हूँ आप लोगों के दर्द देखकर .'' ये कहकर उपाध्यक्ष जी ने गरीब युवक की नम आँखें देखकर उसे गले से लगा लिया .गरीब युवक सोचने लगा '' आम से खास बने मुख्यमंत्री जी को खास से आम बनने वाले भैय्या जी से और कुछ नहीं तो शालीनता तो सीखनी ही चाहिए .''
शिखा कौशिक 'नूतन '

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut sahi kaha .shikha ji happy deepawali .

Satish Saxena ने कहा…

यह राजनीति है !!