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गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

जातिवाद का ज़हर -लघु कथा

प्राइमरी स्कूल के अहाते में खेलते हुए बिटटू की पेन्सिल पैंट की जेब से निकलकर गिर पड़ी . वही पास में खड़े नोनू ने उसे उठाकर ज्यूँ ही बिटटू को पकड़ाना चाहा स्कूल के बच्चों का एक झुण्ड ताली बजाता हुआ बिटटू और नोनू को चिढ़ाने लगा -'' हा जी हा ...पेन्सिल तो चूड़े की हो गयी .'' बिटटू ने पेन्सिल नहीं पकड़ी और नोनू सर झुकाकर रोने लगा . उनकी टीचर ने उधर से गुजरते हुए ये सब देखा तो सभी बच्चों को डांटते हुए बोली - ''ये गन्दी बातें किसने सिखाई तुम्हें ? नोनू तुम सब में सबसे अच्छा बच्चा है ...उसने बिटटू की सहायता की है और सहायता करने वाला भगवान् का फरिश्ता होता है .'' ये कहते कहते वे झुकी और उन्होंने नोनू को गोद में उठा लिया और बच्चों के उस झुण्ड को सम्बोधित करते हुए बोली -''...लो मैं भी हो गयी चूड़े की !! मैं ने नोनू को गोद में जो उठा लिया !! कहो अब कहो !'' टीचर की इस बात को सुनकर सब बच्चों ने अपने कान पकड़ लिए पर टीचर जानती हैं ये कान इनके बड़ों को पकड़ने चाहिए जो इन्हें जातिवाद का ज़हर घुट्टी में घोलकर कर पिलाते हैं .
शिखा कौशिक 'नूतन

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

SAHI PRERNA .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा ... बहुत ही प्रेरक कहानी ...

Ramakant Singh ने कहा…

PRERANADAYI POST BEHATARIN BADHAAI