शेखर अपनी नई खरीदी हुई कार से पहली बार अपने ऑफिस पहुंचा तो साथियों ने दावत की फरमाइश रख दी .दावत में उसके बॉस भी शामिल हुए .बातों ही बातों में शेखर के बॉस के मुख से वो बात निकल ही गयी जो उनके दिल में थी .वे व्यंग्यमयी स्वर में बोले थे -''भई अब तो मीडिल क्लास में भी बहुत लोगों ने कार कर ली है .'' शेखर को उनकी ये बात चुभी तो बहुत पर उसने ज़ाहिर नहीं होने दिया .ऑफिस से घर लौटते समय शाम को शेखर ट्रैफिक जाम में फंस गया .उसकी कार के बगल में एक रिक्शा भी जाम में फंस गयी .तभी उस रिक्शा के चालक का मोबाइल फोन बज उठा .रिक्शावाले को मोबाइल पर बतियाते देख शेखर के मन में आया '' लो भई अब रिक्शावालों पर भी मोबाइल हो गया .'' पर अगले ही पल शेखर अपनी इस सोच पर शर्मिंदा हो उठा .उसने सोचा -''जब मैं खुद से कम आय वर्ग के व्यक्ति को आधुनिक सुविधा का प्रयोग करते देख उनके प्रति ये घटिया सोच रखता हूँ तब बॉस की बात मुझे चुभी क्यों वे भी तो इसी घटिया सोच को ही प्रकट कर रहे थे !''
शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
व्यंग्य पसंद ना करने वालों को व्यंग्य से बचना चाहिए। शेखर को अहसास हुआ !
अब इस मानसिकता को बदलना पड़ेगा ....!
==================
नई पोस्ट-: चुनाव आया...
एक टिप्पणी भेजें